पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। गंगा दशहरा के दिन दशाश्वमेध में दस बार स्नान करके शिवलिंग का दस संख्या के गंध,पुष्प,दीप, नैवेद्य और फल आदि से पूजन करते है। साथ ही पूजन करके रात्रि को जागरण करने से अनंत फल प्राप्त होता है। इसी दिन गंगा पूजन का भी विशिष्ट महत्व है।इस दिन विधि-विधान से गंगाजी का पूजन करके दस सेर तिल, दस सेर जौ और दस सेर गेहूं दस ब्राह्मणों को दान दें। जेष्ठ शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ करके दशमी तक एकोत्तर-वृद्धि से दशहरा स्त्रोत का पाठ करें।ऐसा करने से समस्त पापों का समूल नाश हो जाता है और दुर्लभ सम्पत्ति प्राप्त होती है।

क्‍या हैं पौराणिक कहानी

बता दें गंगावतरण की कथा का वर्णन बाल्मीकि रामायण, देवी भागवत, महाभारत तथा स्कन्द पुराण में मिलता है। पुरातन युग में अयोध्यापति महाराज सगर ने एक बार विशाल यज्ञ का आयोजन किया और उसकी सुरक्षा का भार उन्होंने अपने पौत्र अंशुमान को सौंपा।देवराज इंद्र ने राजा सगर के यगीय अश्व का अपहरण कर लिया,तो यज्ञ के कार्य में रुकावट हो गई।इंद्र ने घोड़े का अपहरण कर उसे कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया।घोड़े को खोजते हुए राजा सगर के पुत्र जब कपिल मुनि के आश्रम में पहुंचे। कोलाहल सुनकर कपिल मुनि के क्रोध से राजा के हजारों पुत्र भस्म हो गए।महात्मा गरुड़ ने राजा सगर को उसके हजारों पुत्रों के भस्म होने की जानकारी दी।उनकी मुक्ति का मार्ग उन्होंने स्वर्ग से गंगाजी को पृथ्वी पर लाना भी बताया था। चूंकि पहले यज्ञ शुरू करवाना जरूरी था।अतः अंशुमान ने घोड़े को यज्ञ मंडप पहुंचाया और यज्ञ करवाया।उधर राजा सगर का देहांत हो गया।जीवन पर्यन्त तपस्या करके गंगा जी को पृथ्वी पर लाने का बीड़ा अंशुमान और उसके पुत्र दिलीप ने उठाया,लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।

10 बूंद गंगाजल की डालकर घर पर ही नहाने से भी मिलता है फल

दिलीप के पुत्र भगीरथ ने जब के वर्षों तक कठोर तपस्या की,तब कहीं जाकर ब्रह्माजी प्रसन्न हुए और उन्होंने भगीरथ से वर मांगने को कहा।भगीरथ ने गंगाजी को पृथ्वी पर भेजने के लिए निवेदन किया। गंगाजी का वेग सभांलने हेतु भगीरथ जी ने भगवान शंकर को प्रसन्न किया,भगवान शंकर की जटाओं से होती हुई देवी गंगा का अवतरण भूमि पर हुआ।बहता हुआ गंगा का ऋषि कपिल के आश्रम में पहुंचा और इस प्रकार उनके सभी पुत्र श्राप से मुक्त हुए।ब्रह्माजी ने पुनः प्रकट होकर भागीरथ के कठिन तप से प्रभावित होकर,गंगा जी को भागीरथी नाम से संबोधित किया।इस प्रकार भगीरथ ने अपने पुण्य से पुत्र लाभ पाया। साथ ही आप नहाने के पानी मे 10 बूंद गंगाजल की डालकर घर पर ही नहाने में गंगा स्नान का फल प्राप्त होगा और दान करने में अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी।