- अस्पताल में तड़पती रही गैंगरेप की शिकार युवती, नहीं मिला इलाज

- कई बार बेहोश हुई, लेकिन हॉस्पिटल स्टाफ को नहीं आया तरस

- महिला पुलिस भी ड्यूटी खत्म होने पर उसे तड़पता छोड़ गई

Meerut : वो गैंगरेप से पीडि़त थी। जिला अस्पताल में पहुंचकर भी उसे इलाज नसीब नहीं हो रहा था। तड़प रही थी। चिल्ला रही थी। थक गई तो बेहोश हो गई। परिजन उसे भर्ती करने के लिए हॉस्पिटल स्टाफ की मिन्नतें कर रहे थे। बिलख रहे थे, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था। ऐसा लग रहा था कि अस्पताल में डॉक्टर्स नहीं यमदूत बसते हैं। आइए आपको भी दिखाते हैं कि अस्पताल में क्या हो रहा था और डॉक्टर्स किस तरह का व्यवहार कर रहे थे।

सुबह क्0 बजे

दरोगा रजनी (युवती के परिजनों से) : हमारा काम खत्म हो गया है, हमारा काम बस यहां तक छोड़ना था। अब आगे काम तुम जानो।

युवती के पिता और मां : मैडम, प्लीज हम आपके पैर पड़ते हैं कि आप भर्ती करवा दो।

दारोगा : कहा न हमारा कम खत्म हम जा रहें है। यह कहकर दरोगा भाग खड़ी हुई।

सुबह क्0:फ्0

पीडि़ता अपने पिता और मां के साथ अस्पताल में महिला वार्ड के बाहर रिक्शे पर तड़प रही थी। उसकी मां उसे एडमिड करने के लिए बात करने गेट पर पहुंची।

सुबह क्0:ब्भ्

पर गेट पर खड़ी दिल्ली गेट थाना की कांस्टेबल सविता, क्या है अंदर नहीं जाना।

लड़की की मां : हमारी बेटी बेहोश हो रहीं है। उसे सुबह से उल्टियां आ रहीं है। आप उसे अंदर ले जाने दो। हम आपके हाथ जोड़ते है।

कांस्टेबल : नहीं अंदर डॉक्टर ने मना कर दिया है तो आप कैसे ले जा सकते है, नहीं जाना अंदर।

सुबह क्क्:फ्0 बजे

पीडि़ता को लेकर इधर-उधर भागते परिजन हारकर उसे फिर से रिक्शा पर लेकर बैठ गए। क्ख् बजे तक लड़की वहीं पर पड़ी रही।

दोपहर क्ख्:फ्0 बजे

आई नेक्स्ट की टीम ने पीडि़ता व उसके परिजनों से बात की। बातचीत में पता लगा कि युवती सुबह से आई हुई है। डॉ। मनीषा अग्रवाल ने यह कहकर टाल दिया कि पुलिस इसके साथ नहीं है। हम इसे नहीं देखने वाले और न ही इसे भर्ती करेंगे।

दोपहर क् बजे

किशोरी के मां बाप रोते बिलखते रहे, पर न तो किसी ने उनकी सुनी न ही पीडि़ता को देखा। आई नेक्स्ट ने वहां मौजूद महिला पुलिसकर्मी से बात की, तो वह अभद्र व्यवहार करने लगी। लगभग आधा घंटा मशक्कत के बाद युवती को अस्पताल के अंदर किया तो ड्यूटी पर मौजूदा डॉ। सुमन सिरोही अंदर जाकर छिप गईं।

दोपहर क्.फ्0 बजे

आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने डॉक्टर को बाहर बुलवाया तो डॉक्टर उल्टे ही भड़कने लगी।

डॉ। सुमन सिरोही : क्या है यहां क्या लेने आए हो, जब सुबह ही मना कर दिया था। ऐसे कोई भर्ती नहीं होगी।

रिपोर्टर : मैडम बच्ची का बहुत बुरा हाल है, इसे भर्ती क्यों नहीं कर रही हैं?

डॉक्टर : जब हमने कह दिया किसी पुलिस वाले को लाओ हम कुछ नहीं करने वाले है।

आई नेक्स्ट : अरे ऐसे कैसे कर सकती है। आप एक डॉक्टर हैं?

डॉक्टर : अब आप लोग बताओगे हमें क्या करना है, जाओ तुम ही कर लो इलाज। बस हम नहीं कर रहे।

रिपोर्टर : अरे मैडम ऐसे कैसे मना कर सकते हैं आप? आपको एडमिट तो करना पड़ेगा आपको। जल्दी से इसे एडमिड करो।

इस तरह दोपहर ख्.फ्0 बजे तक पीडि़त महिला को लेकर डॉ। सुमन से बातचीत होती रही। इस दौरान डॉक्टर ने काफी अभद्र व्यवहार किया। आखिरकार शाम फ् बजे डॉक्टर उस महिला को एडमिट करने पर राजी हो गई। इस तरह आई नेक्स्ट की मशक्कत के बाद पीडि़त महिला का इलाज शुरू हो सका।

इनसेट

ड्यूटी से गायब अधिकारी

हद तो उस समय पार हो गई, जब अस्पताल में इतना हंगामा चल रहा था तो प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक अपनी सीट से गायब थीं।

मैं तो उस समय राउंड पर थी। वो युवती पुलिस के साथ नहीं आई थी, इसलिए उसका किसी को पता नहीं लगा। कहना तो पड़ता है कि हमें भर्ती करवा दो, जब तक कहेंगे नहीं तो पता कैसे चलेगा? वो ख्:फ्0 बजे अंदर आई थी, तो डॉ। सुमन ने उसे तुरंत भर्ती कर लिया था।

- डॉ। मंजू मलिक

प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, डफरिन महिला अस्पताल

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इनसेट

क्या है मामला

कंकरखेड़ा के न्यू गोविंद पुरी निवासी एक किशोरी को पड़ोस में रहने वाले वसीम और जाहिद तीन अगस्त को बहला फुसलाकर ले गए। दोनों ने मिलकर किशोरी के साथ गैंगरेप किया। बाद में कैंट स्टेशन के पास फेंककर फरार हो गए। आरोपियों के खिलाफ कंकरखेड़ा थाना में नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पुलिस ने पीडि़ता का जिला अस्पताल में मेडिकल करवाया। एसओ कंकरखेड़ा को तहरीर भी दी गई। सुबह दस बजे युवती को जिला अस्पताल लाया गया, तो उसे गेट से ही चलता कर दिया गया। ड्यूटी पर मौजूद थाना देहली गेट की सविता ने गेट पर कुंडी तक लगा दी। यही नहीं डॉ। सुमन सिरोही और डॉ। बत्रा ने भी उसे बाहर से ही भगाने की बात कही।