बच्चों के कपड़ों से लेकर साड़ी व सलवार सूट पैक होता है पॉलीथिन रैपर में

डस्ट से बचाने के लिए दुकानदार करते हैं लोकल पैकिंग

इन सामानों में बड़ी मात्रा में खपती है पॉलीथिन

ALLAHABAD: पॉलीथिन पर पूर्ण पाबंदी भले ही लग गई हो? पैकिंग के लिए ना‌र्म्स भले ही तय कर दिए गए हों? शहरवासी भले ही पॉलीथिन से दूरी बनाने लगे हों? लेकिन, तमाम सेगमेंट ऐसे हैं जो अब भी अपने पुराने ढर्रे पर काम कर रहा है। यहीं बड़ी मात्रा में पॉलीथिन का यूज हो रहा है और इसे चेक करने वाला भी कोई नहीं है। इस सेगमेंट की हकीकत चौंकाने वाली है। दुकानदारों का अपना रोना है और जिम्मेदारों की स्थिति यह है कि वह इस सेगमेंट पर हाथ डालने का अभी साहस नहीं बटोर सके हैं।

दुकान से लेकर ठेले तक पर

आई नेक्स्ट सोमवार को कहां है पॉलीथिन पर प्रतिबंध अभियान के तहत चौक, घंटाघर के साथ शहर के पुराने मोहल्लों में पहुंचा था। गारमेंट और बर्तन की शॉप्स पर नजर पड़ी तो बड़ा गोलमाल नजर आया। ठेले से लेकर दुकानों तक पर कपड़े पॉलीथिन के पैकेट में रैप मिले। न किसी कंपनी का नाम और न ही कोई रसीद-पर्ची देने व मांगने वाला। यानी बिना किसी रोक-टोक के इस सेगमेंट में पॉलीथिन को खपाया जा रहा था। आन द स्पॉट पॉलीथिन की थिकनेस नापने का कोई औजार तो टीम के पास मौजूद नहीं था लेकिन पॉलीथिन की क्वालिटी बता रही थी कि वह 40 माइक्रान की तो नहीं ही है। पूछने पर शाप ओनर्स का कहना था कि लखनऊ, कानपुर, मुंबई, आगरा, गुजरात, अमृतसर आदि शहरों में तैयार किए गए कपड़े पॉलीथिन में पैक होकर आ रहे हैं। हम इसे हटा नहीं सकते क्योंकि इससे कपड़े को संभालना मुश्किल है और डस्ट पड़ जाने पर इसका बिकना मुश्किल हो जाएगा।

मॉल में भी दिखी पॉलीथिन

वैसे तो शहर के मॉल, शापिंग कांप्लेक्स और ब्रांडेड कंपनियां पालीथिन पर पाबंदी में सहयोगी रुख अपनाए हुए हैं। ज्यादातर ब्रांडेड चीजें अब या तो खुली डिस्प्ले की जा रही हैं अथवा उनकी पैकिंग हार्ड कागज से बने पैकेट्स में होकर आ रही है। मॉल्स में बिकने वाले लोकल प्रोडक्ट्स अब भी इससे दूर हैं। इससे माल्स में भी पॉलीथिन के रैपर में पैक मॅटिरियल यहां दिख जाता है। सिविल लाइंस स्थित एक मॉल में आई नेक्स्ट रिपोर्टर कस्टमर बन कर पहुंचा तो यह सीन लाइव देखने को मिला।

बॉक्स

बर्तनों की चमक बढ़ा रही पॉलीथिन

ठठेरी बाजार की कहानी भी गारमेंट मार्केट से कमतर बिल्कुल नहीं थी। यहां बर्तनों को पॉलीथिन से रैप करके डिस्प्ले किया जा रहा था ताकि उनकी चमक और बढ़ जाए। इस संबंध में पूछताछ करने पर दुकानदार कुछ भी बताने से कन्नी काटने लगे। बमुश्किल किसी ने मुंह भी खोला तो बोले कि हम थोड़ी ही करते हैं। यह तो पैक होकर ही आता है। अब हम इसे तो हटा नहीं सकते।

fact file

शहर में बर्तन की दुकानें

250

शहर में कपड़ों की दुकानें

1000

इस पर कैसे लगेगी रोक

दुकानदार थोक में कपड़े लाकर खुद करते हैं पैकिंग

लखनऊ, कानपुर, आगरा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, मुंबई, अमृतसर, गुजरात व चंडीगढ़ से आ रहे कपड़े

पैकिंग हटाने पर वैल्यू कम हो जाती है कपड़ों की

मॉल, शापिंग कांप्लेक्स के साथ रिटेल शॉप्स हैं पब्लिक की पसंद

पर डे होता है करीब पांच करोड़ से अधिक का कारोबार

लोकल पैकेजिंग का अधिकार केवल उन्हीं कंपनियों को है, जिन्होंने पैकेजिंग की परमीशन ले रखा हो। इसके अलावा 40 माइक्रॉन से नीचे की पॉलीथिन का इस्तेमाल गुनाह है और कोई गुनाहगार बख्शा नहीं जाएगा।

राजकुमार द्विवेदी

प्रबंधक, शहरी विकास मिशन

अगर पॉलीथिन में कपड़े पैक न करें तो फिर कपड़े, जल्द ही गंदे हो जाते हैं। इसी वजह से पॉलीथिन का इस्तेमाल करते हैं।

रितेश केसरवानी

कपड़ा व्यापारी

मुट्ठीगंज

कपड़ों की पैकिंग में पॉलीथिन का इस्तेमाल कम से कम हो, इसका विकल्प ढूंढा जा रहा है। पुराना स्टॉक खत्म होने के बाद नए स्टॉक में इस बात का ध्यान रखा जा रहा है।

राजीव रस्तोगी

कपड़ा व्यापारी

कोठा पार्चा

पॉलीथिन हटा दें को बर्तनों पर धूल जमा हो जाएगी और पब्लिक उसे देखना भी पसंद नहीं करेगी। वैसे भी नया माल पैक होकर नहीं आ रहा है।

-संदीप वर्मा

बर्तन व्यापारी, ठठेरी बाजार

शो रूम में डिस्प्ले वाले बर्तनों को पॉलीथिन से पैक करना हमारी मजबूरी है। लेकिन, जिस माल को हम कस्टमर को देते हैं, उससे पॉलीथिन हटा देते हैं।

सुरेश जायसवाल

चौक बाजार, जायसवाल बर्तन वाले