मुस्लिम रचनाकार कृष्ण से प्रेरित

'हरी हो...गति मेरी' प्रस्तुति का एक उद्देश्य यह भी रेखांकित करना है कि श्री कृष्ण के सन्दर्भ में लिखने वाले रचनाकार केवल हिंदू धर्म तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि कई अन्य मुस्लिम कवि भी उनके बारे में लिखना पसंद करते थे। इस प्रस्तुति का नृत्य संयोजन श्रीमती अदिति मंगलदास द्वारा किया गया है। मुस्लिम कवियों की युगों से प्रचलित इन रचनाओं का गायक समीउल्लाह खान अपनी मधुर आवाज में पाठ करेंगे। मोहित गंगानी विभिन्न पदांतों की प्रस्तुति के साथ इन रचनाओं का सौंदर्य बढ़ाएंगे, जबकि योगेश गंगानी तबले और आशीष गंगानी पखावज पर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे। किरण कुमार बांसुरी की मीठी सुर-लहरियों पर श्रोताओं एवं दर्शकों को श्री कृष्ण के सान्निध्य का अनुभव कराएंगे।

गौरी दिवाकर

“साहित्य सदा ही एक राष्ट्र की अंतरात्मा के आवाज के रूप में देखा गया है और नृत्य उसकी अभिव्यक्ति है।” - गौरी दिवाकर गौरी दिवाकर, बहुमुखी प्रतिभा की धनी एक गरिमामय शख़्सियत हैं जिन्हे मुंबई की संस्था 'कला के कलाकार' द्वारा सन 2002 में 'श्रृंगार मणि' पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। सन 2008 में गौरी दिवाकर को संगीत नाटक अकादमी द्वारा 'बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार' से सम्मानित किया गया, जो नृत्य और संगीत के क्षेत्र के प्रतिभाशाली कलाकारों को दिया जाता है।

कम उम्र में की शुरुआत

बहुत कम उम्र में ही अपनी नृत्यकला की शुरुआत करने वाली गौरी दिवाकर ने सुश्री सुमिता चौधरी जी से प्रशिक्षण लिया और प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद से संगीत प्रभाकर की शिक्षा प्राप्त की। इसके पश्चात उन्होंने पंडित बिरजू महाराज व श्री जयकिशन जी महाराज के संरक्षण में दिल्ली के कथक केंद्र में अपनी प्रतिभा को निखारा। वर्तमान में गौरी जी, श्री अदिति मंगलदास के नेतृत्व में संचालित दृष्टिकोण नृत्य फाउंडेशन की कलाकार मंडली की एक वरिष्ठ सदस्य हैं।

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