GORAKHPUR: गोरखपुर में मेट्रो के संचालन के लिए स्थानीय निकायों को भी आर्थिक योगदान देना होगा। लखनऊ मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (एलएमआरसी) ने जो खाका तैयार किया है, उसके मुताबिक केंद्र, प्रदेश सरकार के साथ स्थानीय निकाय की हिस्सेदारी तय की गई है। इसके तहत स्थानीय निकाय को 200 करोड़ का योगदान देना है। भारी भरकम राशि को लेकर जीडीए सचिव ने शासन को पत्र लिखा है। राइट्स ने जो डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की है, उसके मुताबिक मेट्रो प्रोजेक्ट पर 4100 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। इनमें से 200 करोड़ स्थानीय निकाय को देना है। जीडीए, नगर निगम और आवास विकास परिषद को मिलकर इस रकम का इंतजाम करना है। यह रकम चार साल में देनी है यानि हर साल 50 करोड़ रुपए का योगदान स्थानीय निकायों को करना है। लखनऊ मेट्रो के संचालन में लखनऊ विकास प्राधिकरण नोडल एजेंसी था, ऐसे में उसे कुल लागत का पांच प्रतिशत से अधिक योगदान करना पड़ा था।

खस्ता है हाल, जीडीए ने मांगा बजट

अपनी खस्ताहाल आर्थिक स्थिति को देखते हुए जीडीए ने पहले ही शासन से 200 करोड़ रुपए की मांग कर दी है। जीडीए सचिव राम सिंह गौतम का कहना है कि मेट्रो संचालन में 200 करोड़ देना संभव नहीं है। ऐसे में इस रकम को लेकर शासन से मांग की गई है। रकम मिलते ही उसे एलएमआरसी को ट्रांसफर कर दिया जाएगा।

नगर निगम की तरफ नजर, मिलती है अवस्थापना निधि

नए नियम के मुताबिक अवस्थापना निधि का पैसा सिर्फ नगर निगम को मिल रहा है। ऐसे में जीडीए से लेकर आवास विकास परिषद के अधिकारियों की नजर नगर निगम की तरफ है। साल भर पहले तक अवस्थापना निधि की रकम जीडीए, नगर निगम और आवास विकास परिषद में बराबर-बराबर बांटी गई थी। फिलहाल निधि की पूरी रकम नगर निगम को दी जा रही है। वर्तमान में नगर निगम को एक वित्तीय वर्ष में 75 से 85 करोड़ रुपए की अवस्थापना निधि मिलती है।