इस मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ है और कार्यवाही दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी. कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि अगर घूस की पेशकश की गई थी तो सेनाध्यक्ष को मामला दर्ज करवाना चाहिए था.

जबकि भारतीय जनता पार्टी ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि सरकार को पहले ही मामले की जाँच करवानी चाहिए थी. अखबार में दिए एक विशेष इंटरव्यू में सेना अध्यक्ष ने कहा है, “एक लॉबिस्ट ने मुझे 14 करोड़ रुपए की रिश्वत देने की कोशिश की. वो खराब क्वालिटी के 600 वाहनों की खरीद के लिए सेना की मंजूरी चाहता था.

ऐसे ही सात हज़ार वाहन सेना में इस्तेमाल हो रहे हैं, महंगे दामों ये खरीदे गए थे लेकिन इस पर कोई सवाल नहीं पूछा गया. मैं इस व्यक्ति की जुर्रत देखकर दंग रहा गया. मैने ये बात रक्षा मंत्री को भी बताई और कहा था कि अगर उन्हें लगता है मैं मिस्फिट हूँ तो मैं जाने के लिए हूँ.”

जनरल वीके सिंह ने उनकी जन्मतिथि पर विवाद समेत कई मुद्दों पर बात की.

सेना अध्यक्ष के मुताबिक भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के कारण ही उनकी जन्म की तारीख को मुद्दा बनाया गया. द हिंदू में बातचीत में उन्होंने कहा, “नियम बिल्कुल साफ हैं. जब आप सरकारी सेवा शुरु करते हैं तो 10वीं के प्रमाण पत्र को ही माना जाता है. वहाँ मेरे जन्म का साल 1951 है. इस विवाद को उठाने में तरह की लॉबी ने काम किया- आर्दश लॉबी, उपकरण बेचने वालों की लॉबी. उन्हें समझ आ गया था कि हम उनके खराब उपकरण नहीं लेंगे.”

'जन्मतिथि पर जानबूझकर बनाया गया विवाद'

जनरल वीके सिंह ने कहा कि जन्मतिथि का विवाद जानबूझकर खड़ा किया गया है और इसके लिए पैसे का लेन देन भी हुआ. उनका ये भी कहना था कि इनमें से कुछ लोग सेना में कार्यरत हैं और कुछ सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

जब जनरल वीके सिंह से पूछा गया कि उन्होंने 2008 में ये बात क्यों स्वीकार की थी कि उनका जन्म 1950 में हुआ था तो सेना अध्यक्ष का तर्क था, “जब आपसे ये कहा जाए कि अभी इस बात को मान लीजिए क्योंकि फाइल आगे जानी है, बाद में इस मसले को सुलझा लिया जाएगा तो आप क्या करेंगे. आप अपने से वरिष्ठ अधिकारियों को ये तो नहीं कहेंगे कि मुझे आप पर भरोसा नहीं है. ये तो सेना में आदेश न मानने वाली बात हो जाती.”

माओवाद से निपटने को लेकर भी उन्होंने अपनी राय रखी.

हिंदू में बातचीत में उन्होंने कहा, “ये समस्या इतनी बड़ी हो गई है क्योंकि हमने उसने यहाँ तक बढ़ने दिया है. इसे राजनीतिक, सामाजिक और विकास के स्तर पर लड़ना होगा. सेना को अपने ही लोगों के साथ नहीं लड़ना चाहिेए. हम माओवादियों को पृथकतावादियों के तौर पर नहीं देखते. हम गृह मंत्री चिदंबरम ने मुझसे पूछा तो मैने यही कहा था.” चीन पर जनरल वीके सिंह ने कहा कि जब तक चीन के साथ सीमा विवाद है तब तक भारत को सर्तक रहना होगा.

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