10 एसी बसें उतारी थीं

यूपीएसआरटीसी ने जेएनएनयूआरएम के तहत सिटी में 10 एसी मार्कोपोलो बसों को उतारा था। बसों के कंफर्ट होने की वजह से स्टूडेंट्स, ऑफिस गोइंग और बिजनेसमैन सभी ने खूब पसंद किया था। लेकिन चार सालों में धीरे-धीरे बसें खराब होती गईं। पिछले साल तक 10 में 3 एसी बसें ही प्रॉपर तरीके से चलती थीं। एआरएम राजेश सिंह ने बताया कि सभी 10 बसें खराब हो गई हैं। इन्हें अब सडक़ पर चलाना पॉसिबल नहीं है।

एक बस को चाहिए 15 लाख

विकास नगर बस डिपो में सभी 10 बसें कबाड़ हालत में खड़ी हैं। खड़े-खड़े ही बसों के एसी पाट्र्स और कंप्रेशर तक गायब हो चुके हैं। बसों की स्टेपनी भी खराब पड़ी है। जिनको सही कराना अब टेड़ी खीर हो गई है। ऑफिसर्स के मुताबिक, एक एसी बस को दुरस्त करने में लगभग 15 लाख रुपए खर्च होने हैं। यानि कि सभी एसी बसों को सडक़ पर उतारने के लिए डेढ़ करोड़ रुपए की जरूरत। हालात देखकर इतना बजट मिलना संभव नहीं लग रहा है। इसलिए सिटी के पैसेंजर्स इस गर्मी में एसी बसों से चलने का ख्वाब सच नहीं हो पाएगा।

कहां ऐ आएगा बजट?

रोडवेज आरएम एसके बनर्जी ने पिछले दिनों खराब पड़ी सिटी बसों का सर्वे कराया था। जिसमें सामने आया कि 115 बसों को सही करने के लिए 1.75 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी। खराब बसों को तीन भागों में सही कराने का प्रपोजल बनाया गया जिसमें पहले 40 बसों को सडक़ पर उतारने के लिए आरएम ने यूपीएसआरटीसी से 60 लाख रुपए मांगे। बजट के लिए उन्होंने प्रपोजल भी भेजा लेकिन दो महीने बीतने को हैं, पैसा नहीं मिला है।

अच्छा रेवन्यू देती थीं

एआरएम राजेश सिंह ने बताया कि एसी बसों से अच्छा रेवन्यू जेनरेट होता था। स्टूडेंट्स, बिजनेसमेन और ऑफिस जाने वाले बसों की एमएसटी बनवाते थे। जिससे बसें पूरी तरह से फुल ही चलती थीं। लेकिन प्रॉपर मेंटिनेंस न होने की वजह से बसों की हालत खराब होती गई और एक-एक डिपो में खड़ी हो गईं।

प्राइवेट बसों का आतंक

सिटी में एसी बसों के दम तोडऩे के बाद सफर मुश्किलों भरा हो गया है। जिन रूट्स पर एसी बसें चलती थीं अब वहीं प्राइवेट बस वालों का आतंक है। लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए कई बार बसों में लटककर भी सफर करना पड़ रहा हैै। जिससे उन्हें देरी तो होती है, साथ ही दुर्घटना का डर भी बना रहता है।

इन रूट्स पर

गोलचौराहे से नरौना

नरौना से कल्याणपुर

जीटी रोड

'बसों को ठीक कराना आसान नहीं है। यूपीएसआरटीसी से बजट मांगा गया है। अब जब तक बजट नहीं मिलता प्रॉब्लम ठीक नहीं हो सकती.'

एसके बनर्जी, आरएम