तकरीबन 76 फीसदी लड़कियां पकड़ी गई इस बार नकल करते हुए

11 दिन में परीक्षा के दौरान पकड़े गए 90 नकलची

22 फरवरी से शुरु हुई सीसीएसयू में परीक्षाएं

11 पेपर की परीक्षाएं हो पाई है यूनिवर्सिटी के मुताबिक

69 लड़कियां पकड़ी गई हैं 90 नकलचियों में

49 लड़कियां तो सिर्फ छोटी-मोटी नकल के मामलों में पकड़ी गई

8 लड़कियां पैरों या बॉडी पार्ट पर लिखकर लाई थीं

2 लड़कियों को दूसरे की परीक्षा देते हुए पकड़ा गया

30 फीसदी लड़कियों ने छोड़ दी हैं परीक्षाएं

25 फीसदी लड़कों ने अभी तक छोड़ा है एग्जाम

Meerut। सीसीएसयू में बीती 22 फरवरी से परीक्षाएं शुरु हो गई थी। परीक्षा कंट्रोल रूम के आंकड़ों के मुताबिक इस बार नकल करते हुए सबसे ज्यादा लड़कियां पकड़ी गई हैं। वहीं परीक्षा छोड़ने में भी लड़कियां ज्यादा हैं।

90 नकलची पकड़े

गौरतलब है कि सीसीएस यूनिवर्सिटी व संबद्धित कॉलेजों के 11 पेपर की परीक्षाओं में कुल 90 नकलची पकड़े गए हैं। इनमें से 69 लड़कियां है। इनमें 49 मामले छोटी-मोटी नकल के है। इसके अलावा 8 लड़कियां पैरों या फिर किसी बॉडी पार्ट पर लिखकर लाई थी। दो लड़कियां किसी दूसरे की परीक्षा देने पहुंची थी। वहीं 10 लड़कियां एक दूसरे से बात करते हुए नकल कर रही थीं। इनको सचल दलों ने चेकिंग के दौरान पकड़ा है।

सबसे ज्यादा देहात के मामले

इन केंद्रो में अधिकतर केंद्र देहात के है। इनमें भैंसा में 20, मवाना के केंद्रों पर 39 और मेरठ के आसपास के क्षेत्रों से नकलची पकड़े गए है। वहीं 31 नकलची लड़के पकड़े गए है। इनमें से छह किसी दूसरे की परीक्षा देते हुए पकड़े गए.वहीं परीक्षा छोड़ने में भी लड़कियां ही आगे हैं। दरअसल, परीक्षा छोड़ने वाली लड़कियों का एवरेज आंकड़ा 30 प्रतिशत है। रोजाना 30 प्रतिशत लड़कियां परीक्षा छोड़ रही है। वहीं लड़के 25 प्रतिशत है।

नाम कर सकती हैं रोशन

प्रोवीसी प्रो। वाई विमला ने बताया कि नकल करने में लड़कियों की संख्या बढ़ना चिंता का विषय है। उनकी भावना होती है कि फेल हो गए तो सख्ती होगी या फिर पढ़ाई छुड़वा देंगे, लेकिन ये नहीं पता कि अगर वो थोड़ा सा पढ़कर एग्जाम देंगे तो बेहतर नम्बर लाकर नाम रोशन कर सकती है।

सचल दस्ते कर रहे खानापूर्ति, आई शिकायतें

सीसीएसयू में परीक्षा के लिए गठित सचल दस्तों की शिकायतें आ रही हैं। कहा जा रहा है कि देहाती इलाकों में सचल दस्ते महज खानापूर्ति कर रहे है.इसकी शिकायतें कंट्रोल रूम में आ रही हैं। कहा जा रहा है कि सचल दस्ते महज केंद्रों पर जाकर बिना निरीक्षण वापस लौट रहे है। इसके तहत यूनिवर्सिटी, वीसी व रजिस्ट्रार ने सचल दस्तों का भी औचक निरीक्षण किया। इसके साथ ही हर केंद्र का ब्यौरा देने के निर्देश दिए गए हैं।

कर रहे हैं खानापूर्ति

भैंसा के मल्लूसिंह डिग्री कॉलेज के एक कक्ष निरीक्षक ने शिकायत की है। उसके मुताबिक उनके वहां आसपास के केंद्रों पर तो सचल दस्ते जाते तक नही हैं। सिर्फ बाहर से ही साइन कर लौट जाते है। वहीं केंद्र में कमरों में न जाकर बाहर से ही लौट रहे है। इसके अलावा एक गाजियाबाद के धोलापुर से आरएसआर डिग्री कॉलेज से भी शिकायत पहुंची है कि वहां भी सचल दस्ते सही से जांच नहीं कर रहे है। ऐसे में महज खानापूर्ति करने की शिकायतें आ रही है।

नाम का है सारा खेल

दरअसल, ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि रजिस्टर पर महज उन्हीं सेंटरों का नाम लिखा जाता है जहां पर गड़बड़ी मिलती है। वहीं का नाम व सारी परिस्थितियां लिख रहे है। इसके अलावा इलाके वाइज सिर्फ केंद्रों की संख्या लिखी जा रही है। ऐसे में निश्चित है कि खानापूर्ति हो भी सकती है। टोटल इस बार पांच सचल दस्ते है, एक टीम में चार सदस्य है, इसके अलावा हर जगह के लिए 113 पर्यवेक्षक भी अलग से नियुक्त किए है, जो टीमों से अलग जाते है निरीक्षण करने, वो भी महज खानापूर्ति ही कर रहे हे, टोटल 218 केंद्र बनाए गए है।

कुछ शिकायतें मिल रही है। अब आलाधिकारियों ने भी औचक निरीक्षण करने का फैसला लिया है। इसके अलावा अब केंद्रों का डाटा पूरा देना होगा।

अश्वनी कुमार, परीक्षा नियंत्रक, सीसीएसयू