दिल्ली से रेस्क्यू किए गए दर्जनों बच्चे पहुंचे रांची

16 लड़कियों ने प्रेमाश्रय शेल्टर होम में ली चैन की सांस

>RANCHI: स्टेशन रोड स्थित प्रेमाश्रय शेल्टर होम में रविवार की रात साढ़े बारह बजे पूरी तैयारियां हो चुकी थीं। हर कोई हलचल के बीच जगा हुआ और पूरी तरह से अलर्ट था। शेल्टर होम में सीडब्लूसी मेम्बर, गार्ड से लेकर वार्डेन तक दिल्ली और पंजाब से रेस्क्यू की गई लड़कियों का इंतजार कर रहे थे। ट्रेन के रांची पहुंचते ही दो मिनी बसों में रेस्क्यू किए गए बच्चों को बैठाया गया। इनमें से लड़कियों वाली बस सीधे प्रेमाश्रय पहुंची। यहां पहुंच कर क्म् लड़कियों ने पहले खाना खाया और चैन की नींद सो गई। फिलहाल ये सभी लड़कियां प्रेमाश्रय में ही हैं, जहां इन्हें कोई डांटने-डपटने वाला नहीं है। शाम के वक्त चाय की चुस्की के साथ ये प्रेमाश्रय के गार्डेन में घूमती हुई खुली हवा में सांस ले रही हैं।

खाने को जूठन और सोने के लिए किचन का फर्श

दिल्ली जैसे महानगर में कदम रखते ही प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए काम मिल गया। भीड़भाड़ वाले इलाके में स्थित एक फ्लैट में रहकर वह काम भी करने लगी। दिल्ली की चकाचौंध और सड़क पर रफ्तार के साथ दौड़ती गाडि़यों पर नजर ही नहीं टिकती। लेकिन जल्द ही इस भागती-दौड़ती दुनिया का सच भी सामने आ गया जब घरेलू काम काज के दौरान अमानवीय व्यवहार किया जाने लगा। खाने के नाम पर जूठन, तो सोने के लिए किचन का फर्श। बात-बात पर डांट डपट, कुछ भी बिना पूछे हाथ लगाया तो थप्पड़ों की बौछार। कुछ ऐसी ही कहानी है सोलह साल सुनिता, बिरमानी, आसिया और उन तमाम लड़कियों की जिन्हें दिल्ली और पंजाब से रेस्क्यू कर रांची लाया गया। फिलहाल ऑपरेशन मुस्कान के तहत रेस्क्यू की गई इन लड़कियों को इस वक्त ऐसा माहौल मिल गया है, जहां वे कंफर्ट फील कर रहीं। इसके लिए सीडब्लूसी कार्यरत है। लड़कियों से किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा है। सीआईडी आईजी संपत मीणा ने बताया कि दो-तीन दिन बाद रेस्टोरेशन वर्क शुरू किया जाएगा।

मासूम हैं रेस्क्यू की गई लड़कियां

ऑपरेशन मुस्कान में झारखंड सीआईडी की टीम से गई कुछ महिला पुलिस सोमवार को प्रेमाश्रय में इन लड़कियों के पास पहुंचीं। इन महिला पुलिस ने बताया कि रेस्क्यू की गई ये लड़कियां टीम को देखते ही रो पड़ी। जब उन्हें पता चला कि अब वे झारखंड जाएंगी, तो पहले से दिल्ली शेल्टर होम में मौजूद ये लड़कियां घर आने को बेताब दिखीं। कोई साल भर से तो तो कोई महीनों से यहां रह रही थी। आखिरकार वो वक्त आ गया था जब सब अपने झारखंड लौटने वाली थी। महिला पुलिस ने बताया कि ट्रेन में चढ़ते ही कई लड़कियां रो पड़ी, वहीं सफर के दौरान कई लड़कियां बार-बार झारखंड पहुंचने को लेकर सवाल कर रही थी। अपने मां-बाबा और घर आंगन में जाने की ललक उनमें साफ दिख रही थी। इन मासूम लड़कियों को देखकर पुलिस वालों का दिल भी पसीज गया जिसकी वजह से वे दूसरे दिन भी उनकी एक झलक देखने शेल्टर होम पहुंचीं।