-जनपद के दो ब्लॉक डार्क और तीन ब्लॉक पहुंचे क्रिटिकल जोन में

-भू जल संसाधन प्रबंधन की आंकलन रिपोर्ट पर शासन ने जताई चिंता

 

आई स्पेशल

 

Meerut: जलसंकट से जूझ रही मुंबई में आईपीएल के आयोजन में पानी की बर्बादी पर पर सख्त हाईकोर्ट ने बीसीसीआई को चेताते हुए कहा कि 'आप इतने लापरवाह कैसे हो सकते हैं? यह आपराधिक बर्बादी है.' बेशक अतिदोहन पर मेरठ के लिए ऐसे सख्त कानून की आवश्यकता है। मेरठ में लगातार गिर रहे जलस्तर पर आईनेक्स्ट की एक खास रिपोर्ट

 

मेरठ के पांच ब्लॉक अतिदोहित

जिले में लगातार हो रहे भूजल स्तर के दोहन के चलते शासन ने मेरठ के दो ब्लॉकों को डार्क और तीन अन्य ब्लॉक भी क्रिटिकल जोन घोषित कर दिया है। भूजल के अतिदोहन को लेकर शासन सख्त निर्देश जारी करते हुए इन ब्लॉकों में नए नलकूप लगाने में पूरी तरह से रोक लगा दी है। आने वाले समय में अब इन जगहों में न कोई बोरिंग किया जा सकेगा और न ट्यूबवेल के लिए कोई कनेक्शन दिया जा सकेगा। सबसे अधिक चौंकाने वाली तो भू। जल मैनेजमेंट की रिपोर्ट हैए जिसने मेरठ पर मंडरा रहे खतरे की ओर इशारा कर दिया है

 

डेंजर जोन में मेरठ

लघु सिंचाई विभाग के आंकड़ों की मानें तो मेरठ पूरी तरह से डेंजर जोन में आकर खड़ा हो गया है। जलापूर्ति के लिए अंधाधुंध तरीके से हो रहे भूजल दोहन का आलम यह है कि 13 अक्टूबर 2014 में मेरठ के दो ब्लॉक रजपुरा और खरखौदा को अतिदोहित करार देते हुए उन्हे डार्क जोन घोषित कर दिया गया है, वहीं माछरा, परीक्षिगढ़ और मेरठ भी क्रिटिकल जोन की जद में आ गए हैं। जबकि दौराला और हस्तिनापुर को सेमी क्रिटिकल जोन में रखते हुए चेतावनी दे दी गई है।

 

नहीं लग सकेंगे नलकूप

भूजल संसाधन आंकलन पर आए शासनादेश के मुताबिक अब अतिदोहित और क्रिटिकल जोन में आए किसी भी ब्लॉक में बोरिंग व नलकूप नहीं लगाया जा सकेगा। इसके लिए शासन ने लघु सिंचाई और बिजली विभाग को पत्र भेजते हुए सख्त निर्देश दिए हैं कि शासनादेश के अनुपालन में इन ब्लॉक में न तो कोई सरकारी नलकूप स्थापित किया जाए और न ही किसी गैर सरकारी नलकूप को बिजली का कनेक्शन जारी किया जाए।

 

सर्वे रिपोर्ट एक नजर में

 

820-सूबे में कुल ब्लॉक

111-डार्क जोन

68-क्रिटिकल

559-सेफ जोन

179-ब्लॉकों में जलसंकट

 

मेरठ दो बार सूखा घोषित

कम वर्षा और लगातार कम होते जा रहे भूजल स्तर का परिणाम है कि पिछले एक दशक में मेरठ को दो बार सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है। शासन ने जनपद को 2005 व 2008 में सूखा घोषित कर दिया था। इस पर विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में भूजल से छेड़छाड़ के परिणामों को ही सूखे का कारण बताया था।

 

शासनादेश के मुताबिक प्रतिबंधित क्षेत्रों में नए नलकूपों की स्थापना पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी गई है। मेरठ में पांच ब्लॉकों की स्थिति अधिक खराब है वहां नए वित्तीय वर्ष में कोई नलकूप नहीं लगाया जा सकेगा।

पीके गुप्ता, सहायक अभियंता, लघु सिंचाई विभाग

 

मेरठ एक नजर में

20 लाख-आबादी

663-गांव

12-ब्लॉक

49 प्रतिशत-शहर में आबादी

203350 हेक्टेयर- एग्रीकल्चरल लैंड

3062- तालाब

55000-नलकूप