दिन भर में सिर्फ तीन बार हरि का नाम!

भगवान ने नारद से कहा, 'मेरा सबसे बड़ा भक्त धरती पर एक किसान है.' नारद भगवान की आज्ञा लेकर उस किसान को देखने धरती पर पहुंचे. वहां देखा किसान ने सुबह उठते टाइम हरि का नाम लिया और हल-बैल लेकर खेत पर काम के लिए निकल गया. दोपहर में भोजन करते टाइम उसने एक बार फिर हरि का

नाम लिया. रात को खाना खाकर सोने से पहले एक बार फिर उसने हरि को याद किया. नारद आश्चर्य से अपने आप से बोले, 'बस! तीन बार हरि का नाम. मैं तो हर बात से पहले और बाद में नारायण-नारायण कहकर हरि को याद करता हूं. ये मुझसे बड़ा भक्त कैसे हुआ?'

नारद को भगवान ने दिया कठिन टास्क

नारद भगवान से बोले, 'भगवन! उस किसान ने सिर्फ दिन में सिर्फ तीन बार आपका नाम लिया. मैं तो...' भगवान उन्हें काटते हुए बोले, 'इसका जवाब तुम्हें बाद में दूंगा पहले एक तेल से भरा पात्र लो और धरती का एक चक्कर लगा कर आओ. ध्यान रहे पात्र से एक बूंद भी तेल नहीं टपकना चाहिए.' नारद बोले, 'जो आज्ञा प्रभु.' यह कहकर नारद तेल से लबालब भरा पात्र लेकर धरती का चक्कर लगाने निकल पड़े. वे पात्र को हाथों में पकड़े बड़े ध्यान से देखते हुए धरती का चक्कर लगाने लगे.

नाम क्या लेता! टास्क तो आपका ही था

धरती का चक्कर लगाकर वापस भगवान को गर्व से तेल का पात्र दिखाकर नारद बोले, 'प्रभु एक बूंद भी तेल नहीं गिरने दिया. आपका काम पूरा हो गया.' भगवान ने नारद से पूछा, 'इस बीच तुमने मेरा कितनी बार स्मरण किया?' नारद आश्चर्य से भगवान की ओर देखते हुए बोले, 'मेरा सारा ध्यान तो आपके काम पर ही था. आपको अपने नाम की पड़ी है. अरे! जब आपका काम कर रहा था तो नाम क्या...'

किसान तो टास्क के साथ नाम भी लेता है

भगवान मुस्कुराते हुए नारद से बोले, 'किसान भी तो मेरा ही टास्क करता है. इसके बावजूद तीन बार मेरा नाम भी लेता है.' नारद भगवान की बात समझ गए थे. वे बोले, 'नारायण-नारायण प्रभु मैं अपनी हार मानता हूं. वाकई वह किसान आपका सबसे बड़ा भक्त है. वह धरती जीवों के लिए अन्न उपजाता है. आपका दिया हुआ काम अपना समझ कर पूरी ईमानदारी से पूरा करता है और बीच-बीच में टाइम निकाल कर आपको याद भी कर लेता है.'

गीता में भी मैंने कहा है, 'कर्म ही पूजा है'

भगवान बोले, 'बिल्कुल ठीक समझे नारद. मैंने गीता में भी कहा है कि मुझे प्राप्त करने के लिए तीन साधन है पहला ध्यान योग, दूसरा भक्ति योग और तीसरा कर्म योग. इसका मतलब आपको काम करने का जो मौका मिला है वह मैंने आपको इस योग्य समझा है इसलिए है. मुझे प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि काम पूरी ईमानदारी से किया जाए. काम साधो मैं खुद-ब-खुद आपको मिल जाऊंगा. क्योंकि आप जो काम करते हैं वास्तव में वह दूसरों से जुड़ा होता है, जो लास्ट में सब मुझसे जुड़ जाते हैं. दुनिया को चलाने के लिए यह सिस्टम दरअसल मैंने बनाया है और हर व्यक्ति को अलग जिम्मेदारी पर लगाया है. जो कामचोरी करता है वास्तव में वह मेरा अनादर करता है.'