लखनऊ (ब्यूरो)। आईआईएम में छात्र के रूप में मौजूद मंत्री व अधिकारीगणइनविलजिलेटर के रूप में सीएम योगी आदित्यनाथ और टास्क एक विषम परिस्थिति में जान बचाने के लिये किन सामानों के चयन की वरीयताव्यक्तिगत और समूह के तौर पर हुई इस परीक्षा में उनके जवाबों के आधार पर अंक दिये गए। आईआईएम में आयोजित लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम 'मंथन-2' में मंशा यह थी कि इसमें शामिल हुए प्रदेश सरकार के मंत्री व अधिकारी टीम वर्क की तरह काम कर प्रदेश की 23 करोड़ जनता तक सरकार की योजनाओं का सफलता पूर्वक लाभ पहुंचा सकें।

विषम परिस्थिति से आंकी गई कार्यसाधकता

आईआईएम में आयोजित लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम 'मंथन-2' में रविवार को एक बार फिर सीएम योगी आदित्यनाथ मंत्रीगणों, सभी विभागों के विभागाध्याक्षों व सभी प्रमुख सचिवों के साथ पहुंचे थे। सुबह नौ बजे बोधिगृह-2 बिल्डिंग की पहली मंजिल पर आयोजित हॉल में मंत्री व अधिकारीगण 11 राउंड टेबल्स में पहले से तय स्थान पर बैठ गए। कुछ देर बाद ही सीएम योगी आदित्यनाथ और आईआईएम की डायरेक्टर प्रो। अर्चना शुक्ला हॉल में दाखिल हुई। उनके दाखिल होते ही हॉल में खामोशी पसर गई। कार्डलेस माइक लिए प्रो.अर्चना मंत्रियों को एक विषम परिस्थिति के बारे में बताती हैं। उस विषम परिस्थिति के बारे में डिटेल विवरण सभी टेबल पर रखी पर्चियों में भी लिखा था। सभी से व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से उस विषम परिस्थिति पर उनके निर्णय को लेकर सवाल किया गया। जिसके आधार पर उनकी कार्यसाधकता जांची गई और अंक दिये गए। इस दौरान सीएम योगी हॉल में मौजूद सभी टेबल्स पर बारी बारी से गये और वहां बैठे मंत्रियों और अधिकारियों से चर्चा की।

'लक्ष्यों को हासिल करने के लिये टीम वर्क जरूरी'

इस मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लक्ष्यों को हासिल करने के लिये टीम वर्क जरूरी है। प्रदेश सरकार राज्य में विकास और सुशासन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिये गंभीरता से काम कर रही है, इसे गति प्रदान करने में मंथन जैसे कार्यक्रमों की बड़ी उपयोगिता है। सरकार के लक्ष्य के बारे में सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश के समग्र विकास और सुशासन का रोडमैप तैयार करना है और एक टीम के रूप में उसे जमीन पर उतारना है ही सरकार का लक्ष्य है। कहा, प्रशासनिक तंत्र के पास विजन तो है लेकिन, उस विजन को मूर्तरूप देने में इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम सहायक सिद्ध हो सकते हैं। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन बनाने में इस ट्रेनिंग की भूमिका को भी उन्होंने महत्वपूर्ण बताया।

यह था टास्क

ट्रेनी के रूप में मौजूद मंत्रियों और अधिकारियों की इस परीक्षा में उनके सामने एक विषम परिस्थिति रखी गई। उन्हें बताया गया कि आप एक हवाई जहाज पर सवार हैं जो रेगिस्तान में दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है। विमान दुर्घटना में पाइलट और दो क्रू मेंबर घायल हो जाते हैं। विमान में आपके पास पानी, नमक के टैबलेट, पैराशूट, ओवरकोट, रेनकोट, चश्मा, चाकू, जानवरों की किताब, पिस्टल, आईना समेत कुल 15 सामान हैं। जान बचाने के लिए समूह को विमान से बाहर निकलना है तो इनमें से किन-किन सामानों का प्राथमिकता के आधार पर चयन करेंगे। हर गु्रप को संगठित रूप से और उसके हर मेंबर को व्यक्तिगत तौर पर अपनी प्राथमिकताएं लिखकर बतानी थीं। इसी के आधार पर अंक दिये जाने थे।

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