- इंडस्ट्रियल कॉरीडोर को लेकर वाराणसी में सर्वे शुरू

- सूरत की कंपनी को सौंपी गई जिम्मेदारी

वाराणसी समेत आसपास के जिलों से बड़ी संख्या युवा रोजगार के लिए दिल्ली, मुंबई पलायन कर रहे हैं। यहां लम्बे समय से कोई नई हैवी इंडस्ट्री नहीं आने और बंद पड़ी मिलों को चालू नहीं किए जाने से रोजगार का जबर्दस्त संकट है। रोजी-रोटी के सबसे बड़े जरिया कुटीर उद्योगों की दशा भी बेहद खराब है। इसी को ध्यान में रखकर हरहुआ से राजातालाब तक इंडस्ट्रियल कॉरीडोर विकसित करने की तैयारी शुरू हो गई है। आउटर रिंग रोड फेज-टू के किनारे करीब 400 हेक्टेयर में इंडस्ट्रियल कॉरीडोर बनेगा। मास्टर प्लान तैयार करने के लिए सर्वे शुरू हो गया है। इसकी जिम्मेदारी सूरत की कंपनी डिजाइन प्वाइंट कंसल्टेंट लिमिटेड को सौंपी गई है।

नये कारखाने लाने की कवायद

पीएम नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में वाराणसी शहर के विस्तार और सुविधाएं बेहतर करने के साथ नई इंडस्ट्री के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर पूरा फोकस है। केंद्र सरकार की मंशा बनारस में औद्योगिक विकास के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की मदद से नए कारखाने लाने की है। वाराणसी को केंद्र बनाकर पूरे पूवरंचल में औद्योगिक विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। कमिश्नर के निर्देश पर इंडस्ट्रियल कॉरीडोर विकसित करने के लिए हरहुआ से राजातालब तक निर्माणाधीन 18 किलोमीटर रिंग रोड फेज-टू के आसपास के इलाके को चिन्हित किया गया है। इसके लिए अमृत योजना के तहत सर्वे शुरू कराया है। सर्वे करने वाली कंपनी डिजाइन प्वाइंट कंसल्टेंट ने जीआईएस मैप पर सुपर इम्पोज करना भी शुरू कर दिया है। कॉरीडोर में उद्योग लगाने के साथ-साथ आयात-निर्यात सेंटर भी स्थापित होगा।

वर्जन

इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के लिए भी जमीन अधिग्रहण की औपचारिकता पूरी करने की बजाए लैंड पुलिंग स्कीम की तरह स्कीम लाई जाएगी। किसानों से संवाद कर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अपनायी जाएगी।

-दीपक अग्रवाल, कमिश्नर