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VARANASI : एक बार फिर बनारस में 'कबीर धरोहर' को नई पहचान देने की कवायद शुरू हुई है. उनकी जीवनगाथा एवं संदेशों को जीवंत किया जाएगा. कबीरचौरा मठ मूलगादी के सुंदरीकरण के साथ वहां बने हाईटेक झोपड़ी के बाद अब लहरतारा स्थित कबीर की जन्मस्थली में बनने वाले भव्य कबीर स्मारक में राजस्थान के लाल पत्थरों, संगमरमर से सजाने का फैसला लिया गया है. कबीर मूलगादी मठ की वर्षो पुरानी परिकल्पना को आकार देने के लिए तेजी से काम हो रहा है.

मूर्ति नहीं, अष्ट कमल दल चरखा
कबीर की जन्मस्थली में पांच करोड़ की लागत से बनने वाले स्मारक में मूर्ति की जगह अष्ट कमल दल चरखा डोले की तरह दिखेगी. खास बात ये है कि चरखे में शरीर का प्रतीक होगा तो इसके डंडे धूप से उभरती छाया में अपनी धुरी पर घूमते नजर आएंगे. कबीर ने अपनी बानियों में पिंड से लेकर ब्रह्मांड तक जगत के अस्तित्व को जिन पंच तत्वों में माना, उनका समावेश स्मारक के पांच खंडों के ऊपरी हिस्से में शिखर, उर्ध्वमुखी शंकु, पट्टिकायुक्त गवाक्ष, तिर्यक फलक व प्रच्छाया पट्टिकाओं के जरिए होगा.

बनाई जा रही हाईटेक झोपड़ी
आधुनिकता के इस युग में मूलगादी में जर्मनी और नीदरलैंड की तकनीक से हाइटेक झोपड़ी नीरू टीला के केंद्र में बनाई जा रही है. बताया जाता है कि इस जगह संत कबीर का लालन-पालन करने वाले नीरू और नीमा की मजार और वह कुआं है जिसका पानी कबीर उपयोग में लाते थे. दो कमरों वाली झोपड़ी के एक हिस्से में कबीर दास का स्वचालित ताना-बाना होगा. झोपड़ी के अंदर प्रवेश करते ही करघे की आवाज के साथ कबीर के लोकप्रिय भजन 'झीनी-बीनी चदरिया सुनाई देगी. यही नहीं थोड़ा आगे बढ़ने पर वहां रखा दीपक अपने आप जलने लगेगा.

दिखेगा मोक्ष का दसवां द्वार
स्मारक से निकलते समय यात्रा पथ 'रंग महल के दस दरवाजे' की तरह मोक्ष की कठिन अवधारणा की व्याख्या करते दिखाई देंगे. साथ ही शिखर में लगने वाले इटैलियन कांच से निकलने वाली रोशनी भी आत्मा और परमात्मा को एकाकार करते हुए अंधकार से रोशनी की ओर जाने का मार्ग प्रशस्त करते हुए मोक्ष का दसवां द्वार दिखाएगी.

अनूठा होगा स्मारक
इस स्मारक में तीन परिक्रमा पथ होंगे, जो आत्मिक, मानसिक व दैहिक स्थितियों के प्रतीक होंगे. सात कमल दल मनुष्य के सात चक्र मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा व सहस्त्रार आधार से शिखर तक प्रतीकात्मक रुप में दिखेंगे. इसमें यथा भूलोक, भवर्लोक, स्वर्लोक, महलोक, जनलोक, तपलोक व सत्यलोक समेत कुल सात लोक का दर्शन होगा.

कबीर दास की जन्म स्थली में भव्य कबीर स्मारक बनाया जाएगा. स्मारक में राजस्थान के लाल पत्थर, संगमरमर से सजाया जाएगा. जर्मनी व नीदरलैंड की तकनीक से हाइटेक झोपड़ी बनाई जा रही है. इसी जगह संत कबीर का लालन पालन हुआ था.
-विवेक दास, पीठाधीश्वर आचार्य