- आई नेक्स्ट कैंपेन हत्यारा दिमाग के ग्रुप डिस्कशन में एक्सप‌र्ट्स ने रखे अपने विचार

- ग्रुप डिस्कशन के दौरान अच्छी पेरेंटिंग ही बच्चों को क्राइम की दुनिया से कर सकती है बाहर

GORAKHPUR:

बचपन में जो बातें दिल में बस जाती हैं, वह ता उम्र याद रहती हैं। नन्हा आजाद मन जब कुछ नया सुनता है, तो उसे आसानी से एब्जॉर्ब कर लेता है। पढ़ाई-लिखाई के साथ गुड एटिकेट्स भी बचपन में ही सिखाया जाता है। अगर यहां चूक हुई, तो फ्यूचर बर्बाद होना तय मानिए। गलत डायरेक्शन में हुई परवरिश या फिर लापरवाह रवैया इस आजाद चंचल मन को गलत राह की ओर मोड़ देता है, इसके बाद सामने आता है ऐसा खतरनाक दिमाग, जो फिर किसी की भी नहीं सुनता। छोटी-मोटी घटनाओं में लोगों की अनदेखी उसका साहस बढ़ा देती है और वह क्राइम के दलदल में धंसता चला जाता है। यह बातें सामने आई आई नेक्स्ट की ओर से 'हत्यारे दिमाग' की बारिकियों को जानने के लिए ऑर्गेनाइश ग्रुप डिस्कशन में, जहां फील्ड के एक्सप‌र्ट्स ने बेबाकी से अपनी राय रखीं। एसक्प‌र्ट्स पैनल में साइकियाट्रिस्ट, साइकोलॉजिस्ट, सोशल वर्कर और स्कूल मैनेजमेंट से जुड़े लोग मौजूद रहे।

स्कूलों में एजुकेशन साथ मिलेंगे टिप्स

29 जुलाई की रात झरना टोला के ठाड़ो लाइन में एक फैमिली के चार मेंबर्स की हत्या कर दी गई थी। इसकी सूचना पुलिस को 31 जुलाई को हुई। इस वीभत्स घटना के बाद आई नेक्स्ट ने हत्या के तरीके को लेकर 'हत्यारा दिमाग' कैंपेन शुरू किया। इसमें एक्सप‌र्ट्स से यह जानने की कोशिश की गई कि आखिर क्या वजह है कि अपराधी घटना में इस हद तक उतर जाते हैं कि वह लाश को भी नहीं छोड़ते। एक्सप‌र्ट्स से बातचीत के दौरान यह बात सामने आई कि ऐसे अपराधियों को बनाने के पीछे सबसे बड़ी वजह है पेरेंटिंग की चूक। जिसकी वजह से बालमन क्राइम के दलदल में उतरता चला जाता है। आई नेक्स्ट की खबर के बाद स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन और पेरेंट्स दोनों ही एक्टिव हुए हैं। स्कूल मैनेजमेंट अब अपने स्कूलों में ट्रेनिंग देंगे कि बच्चों को कैसे अच्छी शिक्षा के साथ-साथ एक अच्छी पेरेंटिंग दी जाए। पेरेंट्स को यह टिप्स स्कूल में होने वाले पेरेट-टीचर्स इंटरैक्शन मीटिंग के दौरान दी जाएगी।

जिस तरह से यूथ में नशीले पदार्थ के सेवन की मात्राएं बढ़ी हैं। जितने भी रेप की केस में बढ़ोत्तरी हुई है, उसकी के पीछे नशा ही रीजन रहा है। यह पेरेंटिंग का फेल्योर है। इसलिए जब तक बच्चों को सही दिशा में पेरेंटिंग नहीं मिलेगी। तब तक समाज से विकृतियां दूर नहीं की जा सकती है। इसके लिए एजुकेशन के साथ-साथ उनकी खोज-खबर रखना भी बेहद जरूरी है। पेरेंट्स को बच्चों के साथ मिलकर कम्यूनिकेशन गैप को कम करना होगा।

- डॉ। शेर बहादुर सिंह, प्रिंसिपल, डीवीएनपीजी कॉलेज

आज की डेट में जिस तरह से क्रिमनल बिहेवियर बढ़ रहा है। इसकी एक ही वजह है गलत संगत। परवरिश के दौरान पेरेंट्स को अपने बच्चे की संगत पर भी नजर रखनी होगी। जब तक इन सभी पहलुओं पर आप ध्यान नहीं दिया जाएगा, तब तक वह अच्छे इंसान नहीं बन सकते। हीनियस क्राइम तभी पनपते हैं, जब उस शख्स से आप घृणा करते हैं। घृणा करने से उसके भीतर तमाम तरह की विकृतियां पनपती है और वह गलत कार्य के लिए विवश होता है।

- डॉ। सीपी मल्ल, मनोचिकित्सक

आज की डेट में जिस तरह से बच्चों में क्राइम बढ़े हैं। उसके पीछे जिम्मेदार पेरेंट्स हैं। इसलिए इस भविष्य को सुधारने के लिए पहला प्रयास घर के सदस्यों को करना होगा। उसके बाद इस तरह के घटनाओं की रोकथाम के लिए गवर्नमेंट को सख्त होना होगा। रहा सवाल मीडिया का तो उसे भी जागरूकता बढ़ानी होगी, जिससे लोग अवेयर हो सकें।

- इं। पीके मल्ल, सोशल वर्कर

तमाम तरह के होने वाले क्राइम में जिस तरह से बच्चे इनवॉल्व नजर आते हैं। उससे तो साफ जाहिर होता है कि उनकी पेरेंटिंग में कहीं न कहीं चूक हुई है। इसलिए पेरेंट्स को ध्यान देने की जरूरत है। हर एक पेरेंट्स को अपने बच्चे के प्रति सजग रहना होगा और उसकी रेग्युलर मॉनीटरिंग करनी होगी। तभी जाकर इस समाज का कल्याण हो सकेगा।

- डॉ। अशोक श्रीवास्तव, सोशल वर्कर

अक्सर देखा जाता है कि बच्चे नींद पूरी नहीं कर पाते हैं और ना ही उनका बेहतर खानपान हो पाता है। इसकी वजह से उनकी मनोदशा पर भी गहरा असर पड़ता जा रहा है। जब भी इस तरह के मामले में पेरेंट्स से शेयर किए जाते हैं, तो वह इस पर ध्यान नहीं देते। ऐसे में बच्चों की मनोदशा पर गलत प्रभाव पड़ता है। इसलिए पेरेंट्स को अपने बच्चे के प्रति संजीदा रहने की जरूरत है।

- अजय शाही, डायरेक्टर, आरपीएम एकेडमी

इस आपाधापी भरी जिंदगी में आगे बढ़ने की होड़ में पेरेंट्स अपने बच्चों पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। कई ऐसे घर हैं जहां केवल झूठ की बुनियाद पर पूरी जिदंगी चल रही है। जिसे बच्चा घर में देख रहा है। ऐसी कॉम्प्लेक्स लाइफ में बच्चों को सही दिशा में पेरेंटिंग नहीं मिल पा रही है। इसलिए सबसे पहले पेरेंट्स खुद को सुधारें और अपने एटीट्यूड में भी बदलाव लाएं। तब जाकर वह अपने बच्चे को एक अच्छा इंसान बना सकेंगे।

- डॉ। धनंजय कुमार, साइकोलॉजिस्ट

बच्चा क्राइम करने से पहले कहीं न कहीं से इंस्पायर जरूर होता है। उसके अंदर जो घृणा की भावना होती है, वह जब तक उसके मन से नहीं निकलेगी तब तक वह एक अच्छा इंसान नहीं बन सकता है। बच्चों में जिस तरह से क्राइम बढ़ रहे हैं इसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं। बच्चे पर ध्यान देने के साथ-साथ उसका हर दिन ऑब्जर्वेशन जरूर करें। जब तक हम अपने कानून का सम्मान नहीं करेंगे। तब तक क्राइम इसी तरह से बढ़ते रहेंगे।

टीजे सिंह, एसएसआई, कैंट थाना

माता-पिता और गुरू ही क्राइम को दूर कर सकते हैं। स्कूलों में फिजकिल ट्रेनिंग होनी चाहिए। पेरेंट्स को अपना वक्त निकालकर बच्चों पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए उन्हें अपना नजरिया भी बदलना होगा। बच्चे को एक अच्छा इंसान बनाने के लिए उसे जब तक अच्छे संस्कार नहीं मिलेंगे। तब इस तरह के हीनियस क्राइम बढ़ते रहेंगे।

- अनीता अग्रवाल, सोशल वर्कर

पेरेंट्स अच्छा स्कूल ढूंढते हैं, लेकिन बच्चे का मेंटल लेवल क्या है। इसकी जानकारी नहीं करते। इस पर पास होने का दबाव बनाते हैं। ऐसे बच्चे लगातार निगेटिव कमेंट सुनने से डिपे्रस हो जाते हैं और गलत रास्ते पर चले जाते हैं। इसलिए पेरेंट्स को चाहिए कि उसका मेंटल लेवल परखकर ही उसके करियर का सेलेक्शन करें, उसपर बोझ न डाले, वह जो पढ़ना चाहता है, उसे उसकी पूरी आजादी दें। तो ऐसे स्टूडेंट्स गलत रास्ते पर बिल्कुल नहीं जाएंगे।

डॉ। सत्येंद्र सिन्हा, क्षेत्रीय प्रवक्ता, बीजेपी

क्राइम करने वालों में सबसे ज्यादा नशे का सेवन करने वाला शख्स ही शामिल रहता है। शहर के करीब 167 जगह ऐसे हैं जहां स्मैक का कारोबार है। यहां से यूथ पूरी तरह से स्मैक की आगोश में डूब चुका है। उसके सेवन से क्राइम को बढ़ावा मिल रहा है, इसलिए हर एक फैमिली मेंबर्स को अपने बच्चों को प्रति एलर्ट रहना होगा। साथ ही साथ उसके हर एक गतिविधियों पर भी नजर रखना होगा।

पूनम सिंह, सोशल वर्कर

क्राइम पर अंकुश लगाने के लिए हम सभी को जागरूक होना पड़ेगा। बच्चों में पनप रहे क्राइम के लिए मैं भी पेरेंटिंग को ही जिम्मेदार मानती हूं, क्योंकि ज्वाइंट फैमिली के बीच जब तक हम कनेक्टिविटी नहीं बनाएंगे। तब तक बच्चों पर हम पूरी तरह से नजर नहीं रख पाएंगे। इसलिए घर के सभी सदस्यों को बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। हर एक रिश्ते के बारे में उसे अवगत कराते रहना चाहिए। तभी जाकर हम एक अच्छा इंसान का रूप दे सकेंगे।

रूचि अरोड़ा, डायरेक्टर, किड्स कैंप एकेडमी