-मॉक ड्रील में उजागर हुई जिला प्रशासन और आपदा विभाग की लापरवाही, अभी आ जाए बाढ़ तो तबाह होगा गोरखपुर

-अभी तक गोरखपुर जिला प्रशासन से लेकर आपदा विभाग की तैयारी नाकाफी

GORAKHPUR: मानसून ने दस्तक दे दी है। विभाग इस साल भी बाढ़ की संभावना व्यक्त कर रहा है, लेकिन गोरखपुर जिला प्रशासन इसे लेकर सतर्क नहीं है। तैयारी का आलम यह है कि अगर अभी बाढ़ आ जाए तो कुछ नहीं बचेगा। जिला आपदा विभाग ने पिछली बाढ़ की तबाही से भी सबक नहीं लिया है। सिर्फ कागजों में पूरी तैयारी का दावा किया जा रहा है। जिला आपदा प्रबंधन की तरफ से पिछले साल की तुलना में बचाव व राहत कार्य के लिए लगी 607 नावों में से 279 नावों को कंडम घोषित कर रिजेक्ट कर दिया है। जबकि, इन नावों से सिर्फ पिछली बाढ़ में ही काम लिया जा सका है। ऐसे में एक साल में ही नाव कैसे खराब हो गई, यह चर्चा का विषय है। कहीं कमीशन का खेल तो नहीं है।

15 अगस्त बाद नेपाल छाेड़ेगा पानी

पिछले साल गोरखपुर में आई भयावह बाढ़ ने कई गांवों को अपनी चपेट में ले लिया था। जिला आपदा प्रबंधन की टीम ने तत्कालीन डीएम राजीव रौतेला के दिशा निर्देश में बचाव व राहत कार्य कराया था। नेपाल द्वारा छोड़े गए पानी से रोहिन, राप्ती नदियों का जलस्तर बढ़ गया था। इस बार माना जा रहा है कि 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच नदियों का जलस्तर बढ़ेगा। नेपाल भी इसी समय पानी छाेड़ देगा।

लापरवाह जिम्मेदार

जिला प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो अगर नाव पानी में रहते हैं तो उनके डैमेज होने के चांसेज कम होते हैं। अगर उन्हें पानी से बाहर निकाल दिया जाता है तो धूप और बारिश में खराब हो जाती है। नाव के रख-रखाव की जिम्मेदारी जिला आपदा प्रबंधन समेत प्रशासनिक अधिकारियों की होती है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं।

कैसे हुए नावों के रिजेक्शन

पिछले महीने रामगढ़ताल में मॉक ड्रिल के दौरान कुछ नाव रामगढ़ताल में पलट गई। पलटने की वजह जब प्रशासनिक अधिकारियों ने जानने की कोशिश की तो जांच में पता चला कि कुछ नाव खराब हो चुके हैं। इन्हीं के आधार पर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बाकी के नावों की स्थिति की जांच की तो 279 नाव खराब मिले।

कहीं नई नाव खरीदने की तैयारी तो नहीं

मिली जानकारी के मुताबिक, जिला प्रशासन समेत आपदा प्रबंधन की टीम इन कंडम नावों की जगह दूसरी नई नावों की डिमांड भेजने की तैयारी में है। ताकि बचाव व राहत कार्य में नई नावों का इस्तेमाल किया जा सके।

15-20 साल होती है एक नाव की लाइफ

जिला प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक, एक बड़े नाव की कीमत करीब 25-30 लाख रुपए है। यह तरकुल के पेड़ से बनाई जाती है। कीड़े न लगे इसके लिए तारकोल लगाया जाता है। इन नावों की लाइफ 15-20 साल होती है। वहीं, पानी से बाहर रखने पर महज 8-10 साल में ही इनकी पटरियां उखड़ने लगती हैं और कीड़े लगने लगते हैं।

इस वर्ष नावों की संख्या

तहसील छोटी मझोली बड़ी योग

सदर 01 55 01 57

कैंपियरगंज 00 105 19 124

चौरीचौरा 03 03 11 17

गोला 21 03 27 51

सहजनवा 00 11 03 14

बांसगांव 01 11 14 26

खजनी 01 36 02 39

योग 27 224 77 328

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पिछले वर्ष जब बाढ़ आई थी तब नावों की संख्या

तहसील छोटी मझोली बड़ी योग

सदर 11 117 18 146

कैंपियरगंज 5 13 8 26

चौरीचौरा 02 8 15 25

गोला 33 30 13 76

सहजनवा 00 33 03 36

बांसगांव 01 11 14 26

खजनी 01 41 05 47

योग 208 296 103 607

वर्जन

नाव की संख्या कम हुई है, लेकिन बाराबंकी से नई नाव मंगाने की तैयारी है। इसके लिए तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। करीब 150 नई नांव मंगाई जानी हैं। नई नाव पर 15-20 लोग बैठ सकेंगे।

के विजयेंद्र पांडियन, डीएम