- कपड़ा व्यापारियों ने जमकर किया था जीएसटी का विरोध

- अब जीएसटी तो नहीं लेकिन ई-वे बिल कर रहा है परेशान

GORAKHPUR: जीएसटी लागू होने के दौरान पूरे देश में इसका सबसे अधिक विरोध कपड़ा व्यवसायियों ने किया था। गोरखपुर में भी विरोध हुआ, धरना प्रदर्शन किया गया। यही नहीं, कपड़ा व्यवसायियों ने तीन दिन तक दुकानें बंद कर शहर बंद का भी आह्वान किया था। पूरे देश में कपड़ा व्यवसायी एक साथ जीएसटी को वापस लेने की मांग कर रहे थे। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद अब व्यापारियों को जीएसटी से विशेष शिकायत नहीं रह गई है। रेडीमेड से लेकर थोक व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी से अब कोई विशेष समस्या नहीं है बल्कि ई-वे बिल से काफी परेशानी है। इसका कारण यह भी है कि जीएसटी पेचीदा होने के नाते व्यापारियों ने इसकी जिम्मेदारी अपने सीए को सौंप दी है।

शुरू में हुई थी परेशानी

जीएसटी लागू होने से व्यापारी काफी उलझन में थे। सूती कपड़ों पर पहली बार पांच प्रतिशत टैक्स लगाया गया था जिससे व्यापारियों में रोष था। जीएसटी काउंसिल नियमों में लगातार परिवर्तन कर रही थी। रिटर्न दाखिल करने के समय बढ़े लोड की वजह से सर्वर भी काम करना बंद कर दे रहा था। एक साल बाद भी भले ही जीएसटी व्यापारियों के लिए टेढ़ी खीर बनी हुई है, और इसे समझना सीए तक के लिए मुश्किल हो रहा हो। लेकिन कपड़ा व्यवसायी अब जीएसटी से राहत महसूस कर रहे हैं।

शहर में थोक कपड़ा व्यापारी- 450

फुटकर व्यापारी - 3500

महीने का टर्न ओवर- 350 करोड़ रुपए

बॉक्स

ई-वे बिल से है परेशानी

कपड़ा व्यापारियों को जीएसटी से उतनी समस्या नहीं जितना ई-वे बिल से है। बिल जनरेट करने के बाद भी उन्हें काफी जुर्माना भरना पड़ रहा है। कपड़े के ज्यादातर प्रोडक्ट दूसरे राज्यों से मंगवाए जाते हैं जिन्हें लाने के लिए ई-वे बिल जनरेट करना जरूरी होता है। इसके बावजूद जब वही प्रोडक्ट यहां से दूसरे जिलों में भेजा जाता है तो सेल टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारी उन पर जुर्माना लगा देते हैं। व्यापारियों का कहना है कि कई बार ऐसा भी हो चुका है कि हम ई-वे बिल जनरेट करके ट्रांसपोर्टर को माल देते हैं लेकिन वह पार्ट बी नहीं भरता है। इसमें भी माल पकड़ने पर अधिकारी हम पर ही जुर्माना लगाते हैं।

5 से 12 प्रतिशत है जीएसटी

कपड़े के एक हजार से कम के प्रोडक्ट्स पर पांच प्रतिशत और अधिक पर 12 प्रतिशत जीएसटी चार्ज लगाया गया है। व्यापारियों का कहना है कि वित्तिय वर्ष 2017-18 में हमने पहली बार टैक्स जमा किया है। इससे पहले इनकम टैक्स तो देते थे पर किसी और तरह का टैक्स नहीं जमा करना पड़ता था। थोक वस्त्र व्यवसायी वेलफेयर सोसाइटी अध्यक्ष ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद से केवल मैं 4 लाख से अधिक टैक्स का भुगतान कर चुका हूं। इसमें सीए को दिए जाने वाली फीस नहीं जोड़ी गई है।

कोट्स

जीएसटी लागू होने के बाद सेल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। हम जो 50 परसेंट की सेल ऑफर कर रहे हैं वह ऑफ सीजन की वजह से कर रहे हैं।

- दुर्गेश त्रिपाठी, मैनेजर, लीवाइस शोरूम

सेल पर थोड़ा फर्क पड़ा है लेकिन वह कॉम्पटीटर बढ़ने के कारण है। जीएसटी का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है। हां शहर में कई शोरूम खुल गए हैं।

- अमित, मैनेजर, टर्टल शोरूम