-क्राइम कंट्रोल के लिए जीआरपी में सीसीटीवी कैमरों की मैपिंग

-वारदात के बाद बदमाशों की तलाश में मिल रही कामयाबी

GORAKHPUR: ट्रेन से यात्रा कर रहे पैंसेजर्स की सुरक्षा को ध्यान में रखने और उनके साथ होने वाली घटनाओं की रोकथाम के लिए जीआरपी ने नया कदम उठाया है। रेलवे की पटरियों के आसपास के एरिया में सीसीटीवी कैमरों की मैपिंग कराकर बदमाशों की तलाश की जा रही है। हाल में जीआरपी ने करीब एक हजार कैमरों की मैपिंग कराई है।

एसपी जीआरपी का कहना है कि इससे संदिग्ध गतिविधियों, आउटर और प्लेटफॉर्म के पहले ट्रेन धीमी होने पर उतरने वाले शातिरों की तलाश में मदद मिलेगी। जीआरपी के इस प्रयोग को जिला पुलिस भी अमल में लाने की तैयारी में है। ताकि सिटी के क्राइम को कंट्रोल किया जा सके।

चार किमी के दायरे में मैपिंग

रेलवे पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि ट्रेनों में पैसेंजर्स का सामान चोरी करने, मोबाइल छीनने, जहरखुरानी सहित अन्य घटनाओं को अंजाम देने वाले बदमाश आउटर या अन्य जगहों पर ट्रेन से उतर जाते हैं। पैंसेजर की शिकायत पर जब जीआरपी जांच करती है तो उनकी कोई लोकेशन नहीं मिलती। जांच पड़ताल के कुछ दिनों के बाद फाइलें बंद कर दी जाती है। कई बार ऐसा हुआ है कि मर्डर कर डेडबॉडी को रेलवे स्टेशन के नजदीक ट्रैक पर फेंक दिया गया है। इन सभी मामलों में पड़ताल के दौरान जीआरपी को ठोस सबूत नहीं मिलते। सीसीटीवी फुटेज की तलाश में पुलिस को हलकान होना पड़ता है। इसलिए रेलवे स्टेशन, आउटर और गेट सहित अन्य जगहों पर चार किलोमीटर के भीतर पब्लिक के सीसीटीवी कैमरों की मैपिंग कराई जा रही है।

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घंटों फुटेज खोजती रहती है पुलिस

शहर में होने वाले किसी वारदात के बाद संदिग्धों की पहचान के लिए पुलिस टीम घंटों सीसीटीवी फुटेज खोजती रहती है। इस दौरान काफी समय लग जाता है। इससे अपराधी आसानी से बच निकलते हैं। शहर में होने वाले वारदात के बाद अक्सर यह होता है कि जहां जरूरत पड़ती है। वहां के कैमरे भी खराब मिलते हैं। कोतवाली एरिया के इलाहाबाद बैंक से नकदी चोरी होने के बाद पुलिस को काफी परेशान होना पड़ा था। जीआरपी के अभियान से एक क्लिक पर मोबाइल पर ही लोकेशन ट्रैक हो सकेगी।

इन घटनाओं की होगी रोकथाम

ट्रेन, प्लेटफॉर्म और सर्कुलेटिंग एरिया में चोरी, लूट, छिनैती और जहरखुरानी होती है।

सर्कुलेटिंग में खड़ी बाइक और कारों को चोर उठा ले जाते हैं। तलाश में प्रॉब्लम होती है।

चोरी के वाहनों को बाहर से लाकर चोरों का गैंग रेलवे स्टेशन में जमा करा देता है।

ट्रेन के चलते ही खिड़की के रास्ते छिनैती और लूट कर बदमाश भाग जाते हैं।

आउटर पर ट्रेन के धीमे होने पर सामान, मोबाइल सहित अन्य सामान लेकर चोर उतर जाते हैं।

मैपिंग का यह फायदा

घंटों फुटेज खोजने की परेशानी से निजात मिल जाएगी।

रेलवे स्टेशन सहित अन्य जगहों पर संदिग्धों की पहचान हो सकेगी।

चोरी कर भागने की दशा में इलाके भर में संदिग्ध की तलाश होगी।

चार किमी के दायरे में ही ज्यादातर बदमाशों का ठिकाना होता है।

शातिरों के ठिकाने तक पहुंचने में पुलिस को मदद मिलेगी।

यह कदम उठा रही जीआरपी

करीब एक हजार कैमरों की मैपिंग हो चुकी है।

गोरखपुर में 180 कैमरों की मैपिंग का काम लगभग पूरा हो सका है।

सभी थाने, चौकी पर चार किमी के दायरे में सीसीटीवी कैमरों की मैपिंग हो रही है।

गूगल मैप में सीसीटीवी कैमरे की लोकेशन, स्टेशन कोड, कैमरों की तादाद, ऑनर का नाम और मोबाइल नंबर

जीआरपी और रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ के कैमरों की फीडिंग सहित पब्लिक के कैमरों का डाटा फीड किया जा रहा है।

जीआरपी की कार्रवाई

वर्ष मर्डर चोरी वाहन चोरी लूट जहरखुरानी अपहरण छेड़छाड़ एफआईआर

2019 01 219 01 10 05 02 05 337

2018 03 425 13 24 21 04 07 607

2017 02 382 17 29 22 03 08 523

गोरखपुर अनुभाग में मल्टीपरपज स्ट्रैटजी अपनाकर कार्रवाई की जा रही है। एक साल में 1771 अपराधियों का वेरिफिकेशन कराया गया। 601 अपराधियों की काउंसिलिंग कराई गई। सीसीटीवी कैमरों की मैपिंग से किसी वारदात की सूचना पर तत्काल स्पॉट को चिह्नित किया जा सकेगा। इससे घटना की जांच में होने वाली देरी से बचा जा सकेगा। समय से कार्रवाई होने पर क्रिमिनल्स केा अरेस्ट करने में विलंब नहीं होगा।

पुष्पांजलि देवी, एसपी जीआरपी