- पुराने शेड में कई जगहों पर नजर आते छेद

- प्लेटफॉर्म का फर्श ठीक करने में बीत गई मई

GORAKHPUR: गोरखपुर जंक्शन पर ट्रेन के इंतजार में बैठे पैसेंजर्स के लिए बारिश मुसीबत बन सकती है। गुरुवार सुबह जब आसमान में घने बादल छाए और बूंदाबांदी शुरू हुई तो लोगों को छत की याद आई। बारिश होती तो टूटे शेड से जगह-जगह होने वाला पानी का रिसाव यात्रियों को परेशान कर डालता। हालांकि मौसम को खुशगवार करके बादल बिना बरसे ही लौट गए। इससे यात्रियों को काफी राहत मिली। सीपीआरओ ने कहा कि बरसात का सीजन आने के पहले शेड की मरम्मत करा दी जाएगी।

शेड न रोक पाएगा बारिश का पानी

रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म नंबर एक से लेकर नौ तक एसबेस्टेस और प्लास्टिक का शेड लगा हुआ है। लेकिन काफी पुराने होने से कई जगहों पर शेड तेजी से खराब हो रहा है। बंदरों की धमाचौकड़ी से शेड कई जगहों पर टूट चुका है। जगह-जगह प्लेटफॉर्म पर यात्रियों के बैठने वाले बेंच के ऊपर शेड टूट चुकी है जिससे प्लेटफॉर्म से आसमान साफ नजर रहा है। पुराने फुट ओवरब्रिज से प्लेटफॉर्म नंबर चार पर उतरने वाली सीढ़ी के ठीक ऊपर शेड का हिस्सा टूटकर झूल रहा है। तेज हवा चलने पर शेड टूटकर किसी पैसेंजर के सिर पर गिर जाएगा। इसके अलावा प्लेटफॉर्म नंबर एक, प्लेटफॉर्म नंबर नौ सहित अन्य प्लेटफॉर्म पर जगह-जगह शेड की हालत खराब हो चुकी है।

मई बीत गई, नहीं पूरा हुआ काम

रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर नौ का सौंदर्यीकरण कार्य पूरा नहीं हो सका है। धंसे हुए प्लेटफॉर्म को ठीक करके टाइल्स लगाने की जिम्मेदारी रेलवे ने प्राइवेट फर्म को सौंपी थी। रेलवे अधिकारियों ने दावा किया था कि मई माह के अंत तक प्लेटफॉर्म की फर्श की पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। यात्रियों के लिए अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हो जाएंगी। लेकिन अभी तक निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है। यात्रियों के लिए चल रहा अन्य कंस्ट्रक्शन वर्क भी पेंडिंग पड़ा हुआ है। प्लेटफॉर्म के फर्श के मरम्मत कार्य में देरी से यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ती है। दिन में लोग एडजस्ट कर लेते हैं। लेकिन रात में कम रोशनी में खुदा हुआ प्लेटफॉर्म तकलीफ देता है।

वर्जन

बरसात का सीजन आने के पहले ही शेड की मरम्मत करा दी जाएगी। इस कार्य के लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अन्य समस्याओं को भी जल्द ही दूर कर लिया जाएगा। प्लेटफॉर्म के फर्श का काम लगभग पूरा हो चुका है। अन्य कंस्ट्रक्शन वर्क भी जल्द से जल्द पूरे करा लिए जाएंगे।

- संजय यादव, सीपीआरओ