- पब्लिक नहीं करती ऑफलाइन शिकायत

- ऑनलाइन आई कंप्लेंस की भी नहीं होती सुनवाई

GORAKHPUR: नगर निगम की कमियों की शिकायत करने वाले गोरखपुराइट्स पार्षदों की कमी, निगम की खामियां तो गिना रहे हैं लेकिन निगम की तय प्रक्रिया के तहत शिकायत करने से कतरा रहे हैं। शिकायत एवं सुझाव पेटिका के रिकॉर्ड खंगालें तो यह गलतफहमी हो सकती है कि निगम की सेवाओं से शहरवासी पूरी तरह संतुष्ट हैं। टूटी सड़कों, पानी की अव्यवस्था, सफाई व्यवस्था में कमी, सीवर लीकेज प्रॉब्लम, अतिक्रमण समस्या को लेकर शहर की अधिकांश आबादी परेशान रहती है। इसके बाद भी नगर निगम कैंपस में लगाए गए कंप्लेन बॉक्स में कोई शिकायत नहीं आती है। बॉक्स में नागरिक न तो कोई सुझाव देते हैं और न ही शिकायत दर्ज करवाते हैं। हालांकि ऑनलाइन शिकायतों का तांता लगा रहता है लेकिन उनकी सुनवाई नहीं होती।

ऑनलाइन कंप्लेन में इंट्रेस्ट लेती पब्लिक

नगर निगम में ऑफलाइन शिकायत या सुझाव भले ही नहीं आते हों लेकिन ऑनलाइन आने वाली शिकायतों का हाल, ठीक इसके उलट है। आईजीआरएस पर ऑनलाइन शिकायतों की बाढ़ आई रहती है। साफ-सफाई से लेकर अतिक्रमण समस्या तक को लेकर लोग आईजीआरएस पर शिकायतें करते रहते हैं। हालांकि यह अलग बात है कि उनका निस्तारण समय से नहीं हो पाता है। रिकॉ‌र्ड्स पर नजर डालें तो कई बार तो ऐसा भी होता है कि ऑनलाइन शिकायतों का निस्तारण तो कर दिया जाता है लेकिन भौतिक स्तर पर समस्या जस की तस बनी रहती है।

रोज खाली रहता है बॉक्स

शिकायत एवं सुझाव पेटिका की जिम्मेदारी संभालने वाले कर्मचारी ने बताया कि रोजाना बॉक्स खाली ही रहता है। उन्होंने बताया कि ऑफिस आने के बाद डेली सुबह बॉक्स खोलता हूं जिसमें से कुछ भी नहीं निकलता। पिछली बार महीनों पहले एक पत्र मिला था जो किसी नागरिक की शिकायत या सुझाव नहीं था। निगम में किसी कार्यवाही की उम्मीद से आने वाले लोग सीधे अधिकारियों से मिलकर समस्याओं से अवगत करा देते हैं।

मुख्यमंत्री संदर्भित शिकायत

शिकायत 242

निस्तारण 223

पेंडिंग 19

ऑनलाइन मिलीं कंप्लेंस

शिकायत 2467

निस्तारण 2389

पेंडिंग 78

पीजी पोर्टल पर मिलीं शिकायतें

शिकायत 73

निस्तारण 68

पेंडिंग 5

नोट- आंकड़ें दिसंबर 2018 तक के हैं।