- हर बार कारतूसों के हिसाब किताब में उलझ जाती पुलिस

- तमंचे के साथ सिर्फ दो से तीन कारतूस ही होते हैं बरामद

GORAKHPUR: शहर में फर्जी लाइसेंस से असलहों की खरीद-फरोख्त के मामले से एक तरफ जहां हड़कंप मचा है। वहीं, दूसरी ओर अवैध आ‌र्म्स के साथ पकड़े गए लोगों से बरामद सिर्फ दो कारतूसों का हिसाब लेने में पुलिस के कदम ठिठक जा रहे हैं। अभियुक्तों के पास मिलने वाले अवैध असलहे कहां से आते हैं। इस सवाल का जवाब तो पुलिस तलाश लेती है। लेकिन, कारतूसों का कोई बही खाता नहीं मेंटेन हो पाता है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कहीं भी कारतूस बना पाना संभव नहीं है। लाइसेंसधारी ही हेराफेरी करते हैं। इसलिए वेरीफिकेशन का अभियान चलाया जा रहा है।

एक तमंचा, दो कारतूस के साथ धरे गए बदमाश

जिले में बदमाशों की गिरफ्तारी के मामले अक्सर सामने आते हैं। कानून- व्यवस्था के लिए चुनौती बने शातिरों को अरेस्ट पुलिस आए दिन एक तमंचा और दो कारतूस बरामद करती है। बदमाश की प्रोफाइल के हिसाब से उसके पास से तमंचे मिलते हैं। हाईप्रोफाइल बदमाशों के पास से पिस्टल और रिवाल्वर मिल जाते हैं। जबकि, ज्यादातर के पास से पुलिस को फ्क्भ् और फ्क्ख् बोर के तमंचे बरामद होते हैं। अधिकांश मामलों में एक तमंचे के साथ दो कारतूस बरामद होते हैं। यदि गिरफ्तारी फर्द में बदमाश ने पुलिस पर गोली दागी है। तो एक कारतूस और दूसरा खोखा शामिल होता है। तमंचों के बारे में पुलिस बता देती है कि मुंगेर से खरीदा गया था। लेकिन कारतूस का कोई हिसाब-किताब नहीं होता। इसलिए बदमाशों की गिरफ्तारी के बावजूद ब्लैक में कारतूस बेचने वालों के खिलाफ एक्शन नहीं हो पाता।

कंट्री मेड मिलेगा तमंचा पर कारतूस बनाना नहीं संभव

पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि तमंचा का निर्माण करने वाली तमाम अवैध फैक्ट्रियां चलती हैं। चोरी-छिपे असलहा तस्कर तमंचा बनाकर मुंहमांगी कीमत पर बेचते हैं। इसलिए समय-समय पर कार्रवाई के दौरान बड़ी मात्रा में असलहों की फैक्ट्री पकड़ी जाती है। लेकिन पुलिस की कार्रवाई में कोई अवैध फैक्ट्री में बना कारतूस नहीं मिलता है। पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि फैक्ट्री के अलावा कहीं पर कोई कारतूस नहीं बना सकता है। बदमाशों के पास मिलने वाले कारतूस ब्लैक में खरीदे गए होते हैं। कई बार लाइसेंसी असलहाधारक अधिक रुपए लेकर कारतूस बेच देते हैं। इससे निपटने के लिए कारतूस खरीदने के दौरान खोखा का रिकार्ड मांगा जा रहा है।

पूर्व में हुई तमंचा और कारतूस की बरामदगी

ख्0 सितंबर ख्0क्9: सहजनवां पुलिस ने आरोपित संजय को अरेस्ट किया। उसके पास से दो पिस्टल, एक खोखा और एक कारतूस बरामद हुआ।

09 सितंबर ख्0क्9: खोराबर पुलिस ने तीन युवकों को अरेस्ट किया। उनके पास से दो तमंचा, एक चाकू और कारतूस बरामद हुआ।

0फ् सितंबर ख्0क्9: गगहा पुलिस ने चार बदमाशों को अरेस्ट किया। उनके पास से चार कारतूस बरामद हुए।

ख्8 अगस्त ख्0क्9: तिवारीपुर पुलिस ने स्कूटी सवार दो युवकों को अरेस्ट कियाक् उनके पास से एक तमंचा, एक कारतूस बरामद हुआ।

ख्7 अगस्त ख्0क्9: पीपीगंज एरिया के भरवल मोड़ से पुलिस ने दो बदमाशों को दबोचा। उनके पास से एक देसी पिस्टल, एक कारतूस, एक रिवाल्वर बरामद हुआ।

क्0 नवंबर ख्0क्8: झंगहा के टमठा में अवैध तमंचा बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई थी। टमठा के जय प्रकाश के घर से सात तमंचे मिले थे। एक साल पूर्व इसके बेटे को पुलिस जेल भेज चुकी है।

0भ् जनवरी ख्0क्8: को पुलिस ने बड़हलगंज पुलिस ने तमंचा बनाने वाले दो युवकों को दबोचा। तमंचा और कारतूस बरामद हुआ।

खेल खेलती पुलिस, साट देते तमंचा-कारतूस

पूर्व में ऐसे मामले सामने आए हैं कि मुकदमे की एक धारा बढ़ाने के लिए तमंचा और कारतूस पुलिस बरामद दिखा देती थी। लेकिन सख्ती बढ़ने और परीक्षण होने की वजह से पुलिस ने इस हथियार का इस्तेमाल कम कर दिया है। कई बार ऐसे भी मामले सामने आए हैं कि पुलिस ने अपने पास से तमंचा और कारतूस लगा दिया। ऐसा भी होता है कि ज्यादा संख्या में कारतूस मिलने पर पुलिस उसे अगले मामले में यूज करने के लिए रख लेती है। किसी अन्य बदमाश के पकड़े जाने पर उसके साथ लिखा पढ़ी करने के काम आ जाता है। ऐसे में हर बार पुलिस को एक और दो कारतूस से काम चलाना पड़ता है। जबकि, तमंचों के साथ चलने वाले तमाम शातिरों के पास कारतूस की बड़ी खेप होने की सूचना कई बार मिल चुकी है। हालांकि पुलिस अधिकारी इस बात से इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिसके पास से जो बरामद होता है। उसी में लिखा पढ़ी की जाती है।

लाइसेंसी को देना होता है ब्यौरा, जमा कराना पड़ता है खोखा

पुलिस का कहना है कि अवैध असलहा रखने वालों को कारतूस की सप्लाई लाइसेंसी करते हैं। परिचित होने या फिर अधिक रुपए के लालच में कारतूस को बेच देते हैं। इसलिए लाइसेंस पर कारतूस खरीदने के दौरान खोखा दिखाने की प्रक्रिया शुरू की गई। खोखा दिखाने के साथ-साथ इस बात का सबूत भी देना होता है कि फायरिंग कब और क्यों हुई है। यह नियम लागू होने के बाद कारतूस की अवैध बिक्री में कमी आई है। लेकिन अवैध असलहा रखने वाले कहीं न कहीं से कारतूसों का जुगाड़ कर लेते हैं।

वर्जन

तमंचे और कारतूस की बरामदगी पर जांच बिठाई जाती है। मुकदमे के विवेचक बताते हैं कि अभियुक्त को कहां से तमंचा और कारतूस मिला था। अभियुक्त के पास जितनी बरामदगी होती है। उसे लिखा पढ़ी में शामिल किया जाता है।

डॉ। सुनील गुप्ता, एसएसपी