- जमानत पर छूटने वालों की निगरानी में छूट रहा पुलिस का पसीना

- एक साल में डेढ़ हजार से अधिक को पकड़ चुकी क्राइम ब्रांच

GORAKHPUR: जिले में लूटपाट की घटनाओं पर लगाम कस पाने में नाकाम पुलिस की परेशानी बढ़ती जा रही है। पुलिस मान रही है कि जेल से जमानत पर छूटे बदमाश वारदातों को अंजाम दे रहे। उन पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस टीम को नए सिरे से एक्टिव किया जा रहा है। करीब सात सौ बदमाशों की कुंडली तैयार की गई है जो जमानत पर बाहर आ चुके हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हर बदमाश की निगरानी के लिए थाना पुलिस को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ड्यूटी के दौरान बीट सिपाही अपराधियों की लिस्ट लेकर उनके बारे में सूचना जुटाते हैं।

1100 को भेजा जेल, 700 को मिली जमानत

हाल के दिनों में शहर के भीतर कई वारदातें हुई हैं। लूट की बढ़ती घटनाओं को एसएसपी ने गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि जब बदमाश पकड़े जा रहे हैं तो घटनाएं क्यों नहीं थम रहीं। इस सवाल का जवाब किसी पुलिस कर्मचारी के पास नहीं है। दावा किया जा रहा है कि जेल से जमानत पर छूट चुके बदमाश दोबारा क्राइम करने लग जा रहे हैं। लेकिन पुख्ता सबूतों के अभाव में पुलिस उन पर भी शिकंजा नहीं कस पा रही। किसी घटना के सामने आने पर बदमाशों को उठाकर पूछताछ करने तक पुलिस की कार्रवाई सीमित रह गई है। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि एक साल के भीतर करीब 1100 बदमाशों को अरेस्ट किया गया जिसमें 700 जेल से छूट चुके हैं। इनमें लूट, छिनैती, आ‌र्म्स एक्ट सहित कई घटनाओं में शामिल बदमाश शामिल हैं।

क्या है निगरानी का निर्देश

- थानों के पेशेवर बदमाशों की सूची तैयार की जाती है।

- मजारिया हिस्ट्रीशीटर, गुंडा, गैंगेस्टर की निगरानी की जाती है।

- सक्रिय और निष्क्रिय के बारे में रोजाना अपडेट करने की जिम्मेदारी।

- गश्त के दौरान हर बदमाश की कुंडी खटखटाकर उसका हालचाल पूछना।

- किसी घटना के सामने पर अपने क्षेत्र के बदमाशों की तस्दीक करना।

- मॉडस अप्रेंडी के मुताबिक जमानत पर छूटे बदमाशों से पूछताछ करना।

- कौन बदमाश जेल से जमानत पर छूटा है, सूचना अपडेट करके कार्रवाई।

क्या होती है लापरवाही

- जाड़े के दिनों में गश्त पर निकले पुलिस कर्मचारी लापरवाही करते हैं।

- रोजाना के अन्य कामों में बिजी होने से बदमाशों का हालचाल नहीं पूछते।

- जमानत पर छूटने वाले बदमाशों के बारे में सूचनाएं कागजों में रह जाती हैं।

- ज्यादातर सिपाहियों, दरोगाओं के पास अपने हल्का-क्षेत्र की जानकारी नहीं होती।

- हर पुलिस कर्मचारी अपने मोबाइल पर सूचनाएं अपडेट नहीं रखते, मुखबिर तंत्र यूज नहीं करते।

वर्जन

जेल से छूटने वाले बदमाशों के बारे में रोजाना सूचनाएं अपडेट की जाती हैं। थानावार लिस्ट बनाकर पुलिस कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंपी जाती है। गश्त के दौरान पुलिस कर्मचारी बदमाशों के संबंध में तस्दीक करके सूचना देते हैं। जमानत पर छूटे बदमाशों के खिलाफ गुंडा, गैंगेस्टर और हिस्ट्रीशीट खोलने की कार्रवाई होती है।

- प्रवीण सिंह, सीओ क्राइम ब्रांच