- अपहृत दूध कारोबारी का पता नहीं लगा सका पुलिस

- थानों का चक्कर लगा रहे परिजन, सुननी पड़ती फटकार

GORAKHPUR: जिले की पुलिस के लिए अपहरण की घटनाएं सिरदर्द बनती जा रही हैं। दो मामलों की छानबीन में पुलिस को नाकामी मिलने से महकमा भी हैरान है। लापता लोगों का कोई सुराग पुलिस नहीं लगा पा रही। उनकी तलाश में परिजनों की हालत खराब हो गई है। बार-बार अपहृत के बारे में सूचना मांगने वाले परिजनों को थानेदारों की फटकार सुननी पड़ रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अपहरण के मामलों की छानबीन चल रही है। सीसीटीवी फुटेज सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की मदद ली जा रही है।

केस 1

4 नवंबर 2018 से गायब दूध कारोबारी

बिहार, मुजफ्फरपुर के अहियापुर के कोल्हुआ निवासी रविंद्र पाठक के बेटे मुकेश पाठक दूध के ठेकेदार हैं। चार नवंबर 2018 को वह अपने बिजनेस पार्टनर राकेश सिंह के साथ गीडा स्थित दूध की डेयरी का टेंडर लेने के लिए गोरखपुर आए थे। गीडा से लौटते समय रुस्तमपुर पुलिस चौकी के पास दूसरे वाहन में सवार लोगों ने मुकेश का वाहन रोक लिया। मारते पीटते हुए उनको दूसरी गाड़ी में बिठाकर कहीं फरार हो गए। यह जानकारी परिजनों ने पुलिस को दी। कैंट पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज कर लिया। करीब चार माह बाद भी व्यापारी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी। उनके परिजन हर हफ्ते कैंट थाना आकर अपहृत के बारे में जानकारी ले रहे हैं।

केस 2

झंगहा एरिया के शिवपुर, बाबू टोला निवासी हसमुद्दीन मोतीराम अड्डा चौराहे पर चिकन की शॉप चलाता है। दो अक्टूबर 2018 की देर शाम वह दुकान बंद करके घर के लिए निकला। लेकिन बाद में उसका पता नहीं चला। हसमुद्दीन की मां तसबुन ने बर्खास्त होमगार्ड गुड्डू यादव के खिलाफ बेटे का अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। काफी प्रयास के बाद पुलिस ने गुड्डू को अरेस्ट किया। लेकिन हसमुद्दीन की कोई जानकारी जुटाए बिना उसे जेल भेज दिया। बाद में पता लगा कि अपहृत की बाइक कानपुर में बेची गई है। इस मामले में एसओ ने अपने अफसरों को सही जानकारी नहीं दी।

बॉक्स

क्लू मिले तो पहुंचें सच तक

इन दो प्रमुख अपहरण की घटनाओं में पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल सका है। पुलिस की टीम जांच के बाद दावा कर रही है कि अभी तक अपहरण के ऐसे सुराग नहीं मिले जिससे पुष्टि हो सके। इसलिए पुलिस की जांच जहां की तहां ठप हो जा रही। ऐसे में अपहृतों के बारे में जानकारी जुटा पाना पुलिस के लिए आसान नहीं रहा। पुलिस का दावा है कि वह एड़ी-चोटी का जोर लगाती है। जबकि हकीकत यह है कि सच तक पहुंचने के लिए पुलिस के पास कोई क्लू नहीं है। ऐसे में मामलों में पुलिस की जांच में आज-कल जांच करने का टालू रवैया भी भारी पड़ रहा।

इस वजह से नहीं मिलती कामयाबी

- सूचना मिलने पर मुकदमा दर्ज करने में पुलिस लापरवाही करती है।

- जांच के नाम पर खानापूर्ती करके विवेचक मामले को टालते रहते हैं।

- इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के अभाव में पुलिस को जांच में प्रॉब्लम आती है।

- परिजनों, रिश्तेदारों से सही और सटीक जानकारी न मिलने पर जांच शुरू नहीं हो पाती।

- पूर्व में कई बार खुद लापता होकर अपहरण की कहानी गढ़ने की बात सामने आ चुकी है।

वर्जन

अपहरण के मामलों की सूचना दर्ज करके पुलिस छानबीन में जुटी है। पेंडिंग पड़े सभी मामलों में पुलिस कार्रवाई कर रही है। हर गंभीर प्रकरण की समीक्षा करके जानकारी ली जाती है। पुलिस टीम को निर्देशित किया गया है कि हर हाल में घटनाओं का पर्दाफाश करें।

- डॉ। सुनील गुप्ता, एसएसपी