- गोरखपुर में अर्थक्वेक से बचने लायक कोई भी स्ट्रक्चर नहीं

- नदियों के किनारे बसे मोहल्लों के लिए भी अर्थक्वेक है खतरनाक

- एमएमएमयूटी में ऑर्गेनाइज नेशनल कॉन्फ्रेंस में सामने आई बात

GORAKHPUR : ईस्टर्न इंडिया में वेंस्डे को अर्थक्वेक के झटके महसूस किए गए। रेक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता म् आंकी गई। दिल्ली, वाराणसी, गया, रांची, कोलकाता और विशाखापटनम जैसे शहरों में महसूस किए गए झटकों से यूं तो जानमाल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन सेम तीव्रता के झटके गोरखपुर के लिए खतरनाक हो सकते हैं। यह बातें सामने आई एमएमएमयूटी में ऑर्गेनाइज नेशनल कॉन्फ्रेंस में जहां देश भर के सिविल इंजीनियर्स स्ट्रीम से जुड़ी डिफरेंट प्रॉब्लम्स पर डिस्कशन कर रहे थे। सिविल इंजीनियर्स की मानें तो गोरखपुर में जिस तरह से इमारतें बनाई गई हैं, साथ ही यहां पर जिस तरह की सॉयल कंडीशन और वाटर लेवल है, उससे यह साफ है कि अगर रेक्टर स्केल पर म् से ज्यादा तीव्रता का भूकंप आता है तो सिटी में बने दो मंजिला मकान को नुकसान पहुंचना तय है।

नदी के किनारे सबसे ज्यादा खतरा

सिटी की बात करें तो इनमें सबसे ज्यादा नुकसान उन एरियाज के लोगों को होगा, जहां पर आस-पास नदी या तालाब है। ऐसी कंडीशन में गोरखपुराइट्स को ऐसे मकान बनाने होंगे, जो अर्थक्वेक रेजिस्टेबल हो, इसके लिए उन्हें मकान बनाने में आई लागत का ख्0 परसेंट एक्स्ट्रा खर्च करना पड़ेगा। इसके लिए डिजाइन में कुछ प्रोवीजन किए जाते हैं, जिसे एक्सपीरियंस्ड सिविल इंजीनियर्स की देख-रेख में बनाया और समझा जा सकता है।

डेंसिटी इंप्रूव हो तो मजबूत होगी इमारत

अर्थक्वेक रेजिस्टेबल इमारत के लिए सिविल इंजीनियरिंग के एचओडी डॉ। श्रीराम चौरसिया की मानें तो कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो मजबूत इमारत बनाई जा सकती है। इसके लिए जो हाई राइज बिल्डिंग बन रही है, उनमें स्वॉयल का लेवल, जिसपर फाउंडेशन रखा जा रहा है, उसकी डेंसिटी इंप्रूव कर दी जानी चाहिए। साथ ही पाइल और रेस्ट फाउंडेशन का कंबाइंड फाउंडेशन प्रोवाइड किया जाना चाहिए और कॉलज और बिंब में स्टील की डीटेलिंग, आईएस कोड के अनुसार होनी चाहिए। सरिया जो यूज किया जाए वह डक्टाइल होना चाहिए। ओवरऑल स्ट्रक्चर रिजिड न होकर फ्लैक्सिबल होना चाहिए। इससे मकान पर भूकंप का असर काफी कम हो जाएगा।

रिसर्च स्कॉलर्स ने प्रेजेंट किए पेपर

एमएमएमयूटी की ओर से 'रीसेंट एडवांस इन सिविल इंजीनियरिंग' पर ऑर्गेनाइज इस सेमिनार में आईआईटी रुड़की, आईआईटी बीएचयू, एएमयू के अलावा एमएमएमयूटी के रिसर्च स्कॉलर्स ने भी अपना पेपर प्रेजेंट किया। क्लोजिंग सेरेमनी के चीफ गेस्ट एनई रेलवे के चीफ इंजीनियर डीके सिंह रहे। उन्होंने यूथ इंजीनियर्स पर जोर देते हुए कहा कि शहरीकरण, गगनचुंबी इमारतों के विकास जैसी प्रॉब्लम उन्हें ही सॉल्व करनी है। ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ। आरके शुक्ला ने दो दिनों तक चली कॉन्फ्रेंस की आउटलाइन पेश की। प्रोग्राम का संचालन डॉ। गोविंद पांडेय ने किया।