- सिटी की वर्किग वुमंस में बढ़ रहे हेल्थ इश्यूज, बिगड़े रूटीन में नहीं दे पातीं खुद पर ध्यान

- गंभीर बीमारियों का भी हो सकतीं शिकार, मेडिकल कॉलेज सहित प्राइवेट हॉस्पिटल्स तक डेली आ रहे केस

GORAKHPUR: मैम, मैं वर्किग वुमन हूं। अर्ली मॉर्निग उठना और लेट नाइट सोना, डेली का रूटीन है। इरीटेशन और कमजोरी समेत इररेग्युलर पीरियड्स से परेशान हूं। यह परेशानी तारामंडल की रहने वालीं प्रीतम की है। सिर्फ प्रीतम ही नहीं, हजारों वर्किग वुमंस हैं, जिन्हें यह समस्याएं परेशान कर रही हैं। ये फैक्ट सामने आया है गायनोकोलॉजिस्ट के पास पहुंच रहे ऐसे केसेज के जरिए जिनमें वर्किग वुमंस में तमाम हेल्थ इश्यूज सामने आए हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज सहित प्राइवेट हॉस्पिटल्स के आंकड़ों पर नजर डालें इस तरह की समस्याएं लिए आए दिन महिलाएं पहुंच रही है। डॉक्टर्स भी इन्हें इलाज के साथ-साथ अपने डेली रूटीन में चेंजिंग की एडवाइज दे रहे हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के गायनोकोलॉजी डिपार्टमेंट में इस तरह के केसेज आने पर असिस्टेंट डॉक्टर्स की टीम इन्हें शार्टआउट कर काउंसलिंग भी कर रही है।

डेली आ रहे केस, काउंसलिंग से मिल रही मदद

बीआरडी में डिसऑर्डर की प्राब्लम्स

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के गाइनोकोलॉजी डिपार्टमेंट में महिलाओं से संबंधित बीमारियों के 150 से ज्यादा केस डेली पहुंचते हैं। वहीं दो दर्जन से ज्यादा ऐसी महिलाएं आ रही हैं जो वर्किग वुमन हैं। वे कमर दर्द, सिर दर्द, थकान, अनिद्रा, बालों में असमय सफेदी, दांतों की प्रॉब्लम, अनियमित पीरियड्स को लेकर काफी टेंशन में हैं। ऐसे पेशेंट्स को टिप्स दिए जा रहे हैं। इसके लिए अलग से हेल्प डेस्क भी बनाए गए हैं जो काउंसलिंग करने का काम करते हैं। वहीं, प्राइवेट हॉस्पिटल्स की बात करें तो यहां भी डेली तमाम ऐसे केसेज सामने आ रहे हैं।

हेल्थ पर नहीं ध्यान, बिगड़ रहे हालात

गाइनोकोलॉजिस्ट डॉ। अमृता सक्सेना बताती हैं कि शहरी महिलाएं चाहे घरेलू हों या कामकाजी, घर-बाहर की व्यस्तताओं के चलते अपनी हेल्थ पर बिलकुल ध्यान नहीं दे पाती हैं। खराब स्वास्थ्य का शिकार होने का दूसरा बड़ा कारण मोटी हो जाने का डर भी है। जिसकी वजह से वे ना तो ढंग से डाइट ले पाती हैं और जो खाना चाहिए उसमें भी वे कटौती कर देती हैं। रंग काला ना पड़ जाए इसके डर से वे धूप में नहीं बैठतीं और विटामिन डी की कमी इन समस्याओं के मूल में है। गाइनोकॉलॉजिस्ट डॉ। श्वेता राजन बताती हैं कि वर्किग लेडीज की नींद नहीं पूरी होने से बहुत सी बीमारियां होती हैं। आज की डेट में जो केसेज आ रहे हैं उनमें ज्यादातर ऐसी महिलाएं हैं जिनमें कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाना, कमजोरी होना, स्ट्रेस होना, डायबिटीज, बिहैवियर चेंज होना आम है। इनमें इनसिक्योरिटी भी बनी रहती है।

एडवाइज फॉर पेशेंट्स

- समय से सोना बहुत जरूरी है।

- कम से कम सात घंटे की नींद लेना जरूरी है।

- सुबह उठने पर योग या प्राणायाम करें।

- हैवी डायट के बजाय गर्मी में लिक्विड आईट्म्स लें।

- फ्रूट्स का अधिक सेवन करें।

फैक्ट फिगर

बीआरडी के गाइनोकोलॉजी डिपार्टमेंट में डेली आ रहे केस - 120-150

वर्किग वुमंस की हेल्थ से जुड़े केस - 35-40

काउंसलिंग के लिए बनाई गई टीम - 3

वर्जन

वर्किग लेडीज का डेली रूटीन डिस्टर्ब हो जाता है। इसके पीछे पूरी नींद नहीं लेना वजह है। गलत समय पर खाने-पीने की वजह से भी न्यूट्रिशन और फिजिकल एक्टिविटी इफेक्ट होगी।

प्रो। रीना श्रीवास्तव, पूर्व विभागाध्यक्ष, बीआरडी मेडिकल कॉलेज