- सर्वे में शामिल लोगों ने अलग-अलग दिया जवाब

- ज्यादातर महिलाओं ने पाक्सो एक्ट पर जताई सहमति

GORAKHPUR: देश में चाइल्ड एब्यूज रोकने के लिए कानून का प्राविधान किया गया है। नियम कानून बनाकर बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण को रोकने की कवायद चल रही है। लेकिन एक्ट को लेकर भी लोगों में कन्फ्यूजन बना हुआ है। तमाम लोग इस एक्ट के बारे में नहीं जाते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट, रेडियो सिटी और परवरिश संस्था के एक्सक्लूसिव सर्वे में सवाल पूछा गया था कि भारत में यौन शोषण एक्ट का क्या नाम है। इसका जवाब देने के लिए चार ऑप्शन उपलब्ध कराए गए थे। इनमें पहला था जुवेनाइल जस्टिल, दूसरा पाक्सो एक्ट, तीसरा प्रॉहिबेशन ऑफ चाइल्ड मैरिज और द कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स 2005 पर सबकी राय मांगी गई।

एक्ट को लेकर अलग-अलग है राय

शहर के लोगों ने ओवरऑल सर्वे में पाक्सो एक्ट पर सर्वाधिक 58 फीसदी अंक दिए। जुवेनाइल जस्टिस को 22 और प्रॉहिबेशन ऑफ चाइल्ड मैरिज को 16 परसेंट और द कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स 2005 को चार प्रतिशत लोगों ने सही बताया। 22 परसेंट मेल ने जुवेनाइल जस्टिस, 52 परसेंट ने पाक्सो एक्ट, 22 परसेंट ने तीसरा प्रॉहिबेशन ऑफ चाइल्ड मैरिज और 4 फीसदी लोगों ने द कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स 2005 पर अपनी राय दी। महिलाओं ने पहले को 22 परसेंट, पाक्सो एक्ट को 63, द कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स 2005 को चार और प्रॉहिबेशन ऑफ चाइल्ड मैरिज को 11 परसेंट ने भारत में बाल यौन शोषण एक्ट का नाम बताया। ओवरऑल सर्वे में सर्वाधिक लोगों ने पाक्सो एक्ट पर सहमति जताई।