गोरखपुर (सैय्यद सायम राउफ)। चंद्रयान-2, देश-दुनिया की नजर आज इस खास मिशन पर हैं, ऑर्बिट में प्लेस होकर यह प्रॉपर्ली वर्क करने लगे, इसकी सभी दुआएं कर रहे हैं। इस मिशन के हीरो इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के चीफ के सिवन के साथ इस मिशन में जुड़े हजारों साइंटिस्ट हैं। अब देश-दुनिया की जिस मिशन पर निगाह है, तो इसकी अपडेट लेने के लिए सोशल मीडिया पर लोग इसरो और मिशन से जुड़े दूसरे सांइटिस्ट से जुड़ने लगे हैं। इन सबके बीच 104 सैटेलाइट एक साथ लांच कराने वाले इसरो चीफ रॉकेटमैन के सिवन के फॉलोवर्स असली-नकली के फेर में फंस गए हैं। एक ही नाम की ढेरों आईडी होने से उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि कौन सी रॉकेटमैन की असली आईडी है। हालांकि इसरो ने अपने ऑफिशियल अकाउंट के जरिए ये बता दिया है कि के सिवन किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नहीं है।

वेरिफाई न होने से बढ़ी परेशानी
ट्विटर पर के सिवन के नाम से ढेरों अकाउंट बन गए हैं। ज्यादातर अकाउंट इसी साल बने हैं। मगर के सिवन का ओरिजनल ट्विटर हैंडल कौन सा है, इसके बारे में किसी को कोई इंफॉर्मेशन नहीं है। ऐसा इसलिए कि हर चंद्रयान से जुड़ी ज्यादातर अपडेट्स सभी हैंडल पर देखने को मिल जा रही है। किसी ने डॉ। सिवन नाम से हैंडल बनाया है, तो किसी ने कैलाशादेवू सिवन नाम से प्रोफाइल तैयार की है। यहां तक कि सेम नाम का इस्तेमाल कर इसमें एक 'ए' बढ़ाकर भी आईडी बनाई गई है। इस संबंध में कई लोगों ने 'ट्विटर वेरिफाई' से ट्विटर हैंडल वेरिफाई करने के लिए भी मैसेज दिया है, जिससे कि इंडिया और इसरो के हीरो की असल प्रोफाइल अपडेट की जा सके और लोग उनसे जुड़कर मिशन की सही जानकारी ले सकें।

दर्जन भर अकाउंट, सभी के बढ़ रहे फॉलोवर्स
इसरो चीफ के अकाउंट की बात करें तो इस समय सिर्फ ट्विटर पर उनके नाम से दर्जनों प्रोफाइल बन गई है। हर प्रोफाइल में मिलता जुलता नाम है, जिससे असली-नकली की पहचान करना मुश्किल हो गया है। बड़ा नाम जुड़ने से प्रोफाइल पर लगातार फॉलोवर्स की तादाद बढ़ती जा रही है। असली हैंडल न मालूम होने की वजह से लोग सभी अकाउंट को फॉलो कर ले रहे हैं, जिससे कि सभी के फॉलोवर्स बढ़ते जा रहे हैं।

कौन हैं 'रॉकेटमैन'

- विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में निदेशक रहे के सिवन की नियुक्ति 12 जनवरी 2015 को हुई थी।

- इसरो को एक ही मिशन में 104 सैटेलाइट्स को भेजने की क्षमता प्रदान की। इसकी बदौलत पिछले साल फरवरी में इंडिया ने व‌र्ल्ड रिकॉर्ड बनाया।

- सैटेलाइट को ऑर्बिट में भेजने के लिए जितने लोग तकनीक पर काम कर रहे थे, उनमें के सिवन प्रमुख थे।

- के सिवन ने 1980 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया और 1982 में बेंगलुरु के आईआईएससी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीजी किया।

- आईआईटी बॉम्बे से उन्होंने वर्ष 2006 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी कंप्लीट की।

- सिवन वर्ष 1982 में इसरो में आए और पीएसएलवी परियोजना पर उन्होंने काम किया। उन्होंने एंड टू एंड मिशन प्लानिंग, मिशन डिजाइन, मिशन इंटीग्रेशन एंड ऐनालिसिस में काफी योगदान दिया।

- वह इंडियन नेशनल ऐकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग, एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया और सिस्टम्स सोसाइटी ऑफ इंडिया में फैलो हैं। कई जर्नल में उनके पेपर पब्लिश हो चुके हैं।

- उन्हें कई प्राइजेज से नवाजा गया है। इसमें चेन्नई की सत्यभामा यूनिवर्सिटी से अप्रैल 2014 में मिला डॉक्टर ऑफ साइंस और वर्ष 1999 में मिला श्री हरी ओम आश्रम प्रेरित डॉ। विक्रम साराभाई रिसर्च अवॉर्ड शामिल है।

syedsaim.rauf@inext.co.in