-13 को गणेश चतुर्थी, प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे कलाकार

- 2 से 20 हजार रुपए तक में मिल रहीं मूर्तियां

<-क्फ् को गणेश चतुर्थी, प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे कलाकार

- ख् से ख्0 हजार रुपए तक में मिल रहीं मूर्तियां

GORAKHPUR: GORAKHPUR: गणेश चतुर्थी के त्योहार में चार दिन बचे हुए हैं जिसे देखते हुए भक्त भी जोर-शोर से तैयारियों में लगे हुए हैं। मूर्तियों को स्थापित की जाने वाली जगहों की सफाई से लेकर पारंपरिक पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं की खरीदारी जारी है। शहर में गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्थापित करने चलन धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है। दस साल पहले भले ऐसे भक्तों की संख्या अउंगली पर गिनी जा सकती थी जो भगवान गणेश की मूर्ति बैठा उनकी पूजा-अर्चना करते हों। लेकिन समय के साथ शहर में गणेश प्रतिमा स्थापित करने का चलन बढ़ता ही जा रहा है। अलग-अलग मोहल्लों में अब ऐसी भ्00 से ज्यादा जगहें हैं जहां भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है।

स्थापित होती हैं भ्00 से अधिक प्रतिमाएं

बक्शीपुर के कुम्हार टोले में क्0 परिवार ऐसे हैं जो मूर्ति बनाने का काम करते हैं। प्रत्येक परिवार औसतन क्0 से क्भ् प्रतिमाएं तैयार कर रहा है। इसके अलावा टीडीएम कॉलेज के पास, गोरखनाथ, बसंतपुर, बर्फखाना, पादरी बाजार, गुलरिया, जाफरा बाजार आदि जगहों पर भी मूर्तियां तैयार की जा रही हैं। इन जगहों पर तैयार होने वाली मूर्तियां शहरी एरिया के अलावा और भी जगहों पर स्थापित की जाती हैं। सभी जगहों पर कलाकार मूर्तियों को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं। गणेश चतुर्थी पर प्रतिमा स्थापित करने के बाद भक्तगण अगले पांच दिन पूजा-अर्चना करते हैं।

ख् से ख्0 हजार तक की प्रतिमाएं

मूर्ति को तैयार करने में कच्चे लागत की कीमत काफी कम होती है। मूर्तियों का दाम पूरी तरह से कलाकारों की मेहनत पर डिपेंड होता है। शहर के कलाकारों ने कई तरह के आर्थिक क्षमताओं के भक्तों की डिमांड देखते हुए ख् से लेकर ख्0 हजार तक के कीमत की मूर्तियां तैयार की हैं। कम खरीदार होने के कारण कलाकार गणेश प्रतिमा का 90 प्रतिशत हिस्सा केवल ऑर्डर पर ही तैयार करते हैं। क्योंकि एक बार त्योहार बीत जाने के बाद पूरे साल तक गणेश प्रतिमा के खरीदार नहीं मिलते हैं।

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ऐसे करें गणेश चतुर्थी पर पूजा

गणेश चतुर्थी के दिन पूजा घर में भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें। कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं, चार हल्दी की बिंदी लगाएं, एक मुट्ठी अक्षत रखकर इस पर छोटा बाजोट, चौकी या पटरा रखें। लाल, केसरिया या पीले वस्त्र को उस पर बिछाएं, रंगोली, फूल, आम के पत्ते और अन्य सामग्री से स्थान को सजाएं। एक तांबे का कलश पानी भर कर, आम के पत्ते और नारियल के साथ सजाएं। यह समस्त तैयारी गणेश उत्सव के आरंभ होने के पहले कर लें। पूजा की प्रक्रिया शुरू करने से पहले साफ और नए कपड़े पहनें और अगर हो सके तो चांदी की थाली में स्वास्तिक बनाकर और फूल-मालाओं से सजाकर उसमें गणपति को विराजमान करके लाएं। यदि चांदी की थाली संभव न हो तो पीतल या तांबे की भी चलेगी। मूर्ति बड़ी है तो आप हाथों में लाकर भी विराजमान कर सकते हैं। जब घर में विराजमान करें तो मंगलगान करें, कीर्तन करें। गणपति को लड्डू का भोग लगाएं। लाल पुष्प चढ़ाएं। प्रतिदिन प्रसाद के साथ पंच मेवा जरूर रखें।

शहर में यहां सजते हैं पंडाल

- घासीकटरा, रामस्वरूप नगर

- पादरी बाजार

- विजय चौराहा, विंध्यवासनीनगर

- बसंतपुर मार्केट

- कूड़ाघाट चौराहा

- रुस्तमपुर पोस्ट ऑफिस के पास

- अलहदादपुर

- सूरजकुंड कॉलोनी

- सुमेर सागर

- तारामंडल विस्तारपुरम कॉलोनी