- वॉटर सप्लाई सिस्टम से 15 परसेंट वॉटर डेली होता है वेस्ट

- 135 लीडर पर कैपिटा, पर डे है पानी की जरूरत

- अवेयरनेस के थ्रू ही हो सकती है पानी की बचत

GORAKHPUR: पानी के लिए देश में हाहाकार मचा हुआ है। जमीनें पूरी तरह से सूख चुकी हैं। लोग प्यास बुझाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं। यूपी की बात करें तो यहां अभी पानी की जबरदस्त किल्लत तो नहीं है, लेकिन फिर भी पानी ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है। प्यास की आंच अभी न लगने से लोग बेधड़क पानी बर्बाद करने में लगे हुए हैं। अपने काम के लिए पानी को बेवजह बहाने में जरा भी गुरेज नहीं करते हैं। अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जबकि पीने तक को पानी मयस्सर नहीं होगा, जहां मिलेगा वहां भी इसको पाने के लिए जंग होगी।

पर कैपिटा 135 लीटर पानी है यूज

पानी की जरूरत सभी को पड़ती है, बस इसके तरीके अलग-अलग होते हैं। एमएमएमयूटी के प्रोफेसर डॉ। गोविंद पांडेय की मानें तो ऑन एन एवरेज डेली पर कैपिटा 135 लीटर पानी यूज किया जाता है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा नहाने और बर्तन धोने में खर्च हो जाता है। वहीं इन दिनों फ्लश में भी काफी पानी बर्बाद किया जा रहा है। 135 लीटर में अहम जरूरत यानि कि पीने और खाना बनाने में महज 10 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा बचा हुआ 125 लीटर पानी में एक बड़ा हिस्सा बेकार होता है।

नहाने में बहा देते हैं 55 लीटर

पानी की बर्बादी यूं तो सभी जगह होती है, लेकिन सबसे ज्यादा पानी अगर कहीं बर्बाद होता है तो वह है नहाने में। डॉ। गोविंद पांडेय ने बताया कि आमतौर पर अगर देखा जाए तो एक आदमी नहाने के लिए 35 से 55 लीटर पानी का यूज करता है। यह वह लोग होते हैं, जो पहले बाल्टी भर लेते हैं और उसके बाद नहाते हैं। मगर इस भीड़ में एक बड़ी तादाद उन लोगों की होती है, जो टैप ऑन कर नहाते हैं। ऐसे में जितना पानी वह नहाने में यूज करते हैं, उससे कहीं ज्यादा वह वेस्ट कर देते हैं। इसलिए जरूरी है कि नहाने के लिए लिमिटेड वॉटर का यूज करें और पहले बाल्टी भर लें और उसके बाद नहाना शुरू करें।

बाथ टब में भी बर्बादी

नहाने के दौरान भी वॉटर वेस्टेज की कई कैटेगरी है। इसमें सबसे ज्यादा पानी बाथ टब में नहाने के दौरान वेस्ट होता है। वह इसलिए कि बाथ टब में पानी भरने के बाद लोग नहाने बैठते हैं। इसमें काफी देर रिलैक्स होने के बाद वह फिर शॉवर के थ्रू पानी डालकर बाहर निकलते हैं। ऐसे में बाथ टब में भरा पानी एक्स्ट्रा वेस्ट होता है। वहीं शॉवर में भी 15 परसेंट से ज्यादा पानी बॉडी तक न पहुंचकर इधर-उधर गिरकर वेस्ट हो जाता है। इसलिए जहां तक पॉसिबल हो बाथ टब का कम से कम यूज करें, जिससे कि बड़ी मात्रा में पानी बचाया जा सके।

डेली रूटीन में भी वॉटर लॉस

गोरखपुराइट्स जहां पानी का एक बड़ा हिस्सा नहाने में खर्च कर रहे हैं, वहीं रोजाना जरूरतों में भी वह पानी के एक बड़े हिस्से की बर्बादी कर रहे हैं। इसमें ब्रशिंग, शेविंग और टॉयलेट में भी पानी की बर्बादी सबसे ज्यादा हो रही है। इसके साथ ही किचन में भी पानी का एक बड़ा हिस्सा वेस्ट हो रहा है। डॉ। पांडेय ने बताया कि ऐसी कंडीशन में वॉटर वेस्टेज और लॉस, टोटल अमाउंट का 15 परसेंट होता है। इसे हम थोड़ा सा सावधानी रखकर बचा सकते हैं।

वॉटर क्राइसिस के कई बड़े रीजन्स -

जनसंख्या दबाव

शहरीकरण

इंडस्ट्रीलाइजेशन

वाटर बेस एग्रीकल्चर

पॉल्युशन

यहां बर्बाद हो रहा है पानी -

- ब्रशिंग

- शेविंग

- टॉयलेट

- नहाने

- कपड़े धोने

- गार्डनिंग

- लीकेज

- आरओ

- धुलाई