- दूर नहीं हो सकी है जलकल विभाग में इंप्लॉइज की शॉर्टेज

- सर्वे से लेकर वॉटर सप्लाई और कंप्लेंस के निस्तारण में आ रही प्रॉब्लम

- पानी बर्बाद करने वालों पर भी नहीं हो पा रही कार्रवाई, गर्मी में होगी भारी किल्लत

GORAKHPUR: जलकल विभाग में मैन पावर की कमी इस बार गर्मी में शहरवासियों को प्यासा रखने वाली है। सिटी में हर साल होने वाली पानी की किल्लत को देखते हुए जहां जलकल को एडवांस प्लानिंग करनी चाहिए, वहीं जिम्मेदार मैन पावर की कमी से ही जूझ रहे हैं। हाल ये है कि तीन जेई के भरोसे सिटी का वॉटर मैनेजमेंट चल रहा है। इसके चलते जहां निगम एरिया में शामिल किए गए 31 गांवों का सर्वे प्रभावित हो रहा है, वहीं सिटी एरिया में ट्यूबवेल खराबी आदि समस्याएं ठीक नहीं हो पा रही हैं।

गिरने लगा वॉटर लेवल, हालात संभालने वाले ही नहीं

गर्मी का मौसम आने से पहले ही सिटी का वॉटर लेवल नीचे चला गया है लेकिन इसको लेकर पब्लिक के साथ प्रशासन भी अवेयर नहीं है। भू-गर्भ जल विभाग के अनुसार सिटी के कई एरियाज में नॉर्मल वॉटर लेवल काफी नीचे चला गया है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो गर्मी में पानी की भारी किल्लत होने वाली है। उधर, गोरखपुर जलकल की बात करें तो विभाग के पास तीन जेई हैं जिनमें एक का ट्रांसफर हो चुका है लेकिन संख्या कम होने से उन्हें रिलीव नहीं किया जा सका है। जलकल एमडी ने जेई और एक्सईएन समेत सात की डिमांड भेजी थी लेकिन इसके बावजूद आज तक कुछ नहीं हो सका है।

मैन पावर की कमी से हो रही दिक्कत

नगर निगम में शामिल 31 गांवों में सर्वे की दिक्कत।

- वार्ड में वॉटर सप्लाई दुरुस्त कराने में परेशानी।

- जलकल विभाग में आईं कंप्लेंस के तत्काल निस्तारण में दिक्कत।

- ट्यूबवेल का मोटर जलने के बाद उसे तत्काल ठीक कराने में परेशानी।

फैक्ट फिगर

जलकल में जेई - दो

अंडर ट्रांसफर जेई - 1

भेजी गई डिमांड - 7

बॉक्स

पीने को नहीं पानी, खुलेआम होती बर्बादी

सिटी में मोटर धुलाई की करीब 200 दुकानें हैं। इनमें से अधिकतर दुकानें अवैध बोरिंग कर चलाई जा रही हैं। इन धुलाई सेंटर्स पर हर रोज लाखों लीटर पानी बर्बाद किया जा रहा है। इन धुलाई सेंटर्स पर न तो रिसाइकिलिंग की व्यवस्था है और न ही पानी का संचयन किया जाता है। इसके अलावा लोग भी धड़ल्ले से पानी वेस्ट कर रहे हैं।

डेली 120 मिलियन लीटर सप्लाई

गोरखपुर सिटी की आबादी लगभग दस लाख है। जबकि प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। जलकल विभाग के मुताबिक डेली 148 मिलियन लीटर पानी की जरूरत होती है। जबकि जलकल विभाग डेली 120 मिलियन लीटर पानी ही सप्लाई कर पा रहा है।

सिटी का वॉटर सप्लाई मैनेजमेंट

वार्ड - 70

बिल्डिंग्स - 132013

जलकल से एलॉट बिल्डिंग्स - 80060

वॉटर कंजर्वेशन सोर्स - 79416

सिटी की आबादी - करीब 10 लाख

नलकूप - 121

मिनी नलकूप - 87

पेयजल का उत्पादन नलकूपों से - लगभग 126.05 एमएलडी

मांग में पड़ रही कमी - 42 एमएलडी

ओवर हेड टैंक - 31

स्टोरेज कैपेसिटी - 29790 किलो लीटर

प्रति व्यक्ति सप्लाई - 93 एलपीसीडी

पाइप लाइन की लंबाई - 1180 किमी

बॉक्स

उठ चुकी ऑटोमेटिक मीटर की मांग

जलकल विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक कई बार सिटी के वॉटर कनेक्शनों पर ऑटोमेटिक मीटर लगाए जाने की मांग उठ चुकी है। ताकि पता चल सके कि कौन व्यक्ति कितने लीटर पानी खपत कर रहा है।

क्या कहते हैं जलकल जीएम

रिपोर्टर - गर्मियों में वॉटर सप्लाई की क्या प्लानिंग है।

जीएम - अभी मैन पावर की कमी है। कम इंप्लॉईज में किसी तरह काम चलाया जा रहा है।

रिपोर्टर - आप अभी इस दिशा में क्या काम कर रहे हैं।

जीएम - सिटी के लोगों को बेहतर वॉटर सप्लाई देने की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। आने वाले दिनों में बेहतर हो जाएगा।

रिपोर्टर - वॉटर सप्लाई को बेहतर बनाने के लिए कितना बजट मिला है।

जीएम - तकरीबन नौ करोड़ रुपए मिले हैं।

रिपोर्टर - वॉटर लेवल क्यों घट रहा है।

जीएम - पानी बर्बाद करने वालों के लिए एक नियम लागू किया जाएगा जिससे उन पर लगाम लगाई जा सके।

रिपोर्टर - आगे की क्या तैयारी है।

जीएम - सभी अफसरों को आदेश दिए गए हैं कि गर्मी के दिनों में गोरखपुराइट्स को बेहतर सप्लाई दी जाए।

वर्जन

जलकल विभाग में मैन पावर की कमी है। गर्मी में वॉटर सप्लाई के लिए नलकूप और पंप पहले से ही दुरूस्त करा दिए गए हैं। साथ ही खराबी होने पर टीम मौके पर पहुंचकर उसे ठीक करेगी। इसके अलावा इंस्ट्रूमेंट की भी खरीदारी की जा रही है।

एसपी श्रीवास्तव, जीएम, जलकल