- कमरे का प्लास्टर झड़ रहा-दिख रहा छड़, किसी तरह बिता रहे जिंदगी

-1880 में न्यूज रिजर्व फोर्स के नाम से वाहिनी की हुई थी स्थापना

- दिल्ली दरबार में ड्यूटी के बाद 1905 में इसका नाम बदल कर रखा गया गोरखा मिलिटरी पुलिस

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PATNA: हम सब गोरखा से वाकिफ हैं. पटना में इन्हीं गोरखा की पुलिस बटालियन है. ये बीएमपी वन में ये रहते हैं. पूरे बिहार में इनकी 11 कंपनियां हैं. नेपाल में आए भूकंप से इनके कई परिजन अब भी नहीं मिल रहे. कईयों के मकान नेपाल में ढह चुके हैं.

खुद अनसेफ रह करते हैं शस्त्र की सुरक्षा

वाहिनी सुरक्षा का शस्त्र जहां रखा जाता है, वहां हमेशा पहरा देना होता है यानी उसकी रखवाली करनी पड़ती है. शस्त्र रखने वाले कमरे की हालत बहुत जर्जर है. कई जगह प्लास्टर ऐसा झड़ा है कि अंदर की छड़ दिख रही है. पीछे की तरफ कमरे का और ज्यादा बुरा हाल दिखता है. गारद में बड़ी संख्या में गोलियां और आ‌र्म्स हैं, इसलिए 24 घंटे इस पर पहरा रखना होता है. इसकी सुरक्षा काफी टफ है.

15 साल में अपनी जमीन भी नहीं!

जिस जमीन पर बीएमपी वन पटना है, वह जमीन वेटेनरी कॉलेज की बताई जाती है, यानी बटालियन के पास अभी तक खुद की जमीन नसीब नहीं हुई है. कुछ नए कंस्ट्रक्शन के काम जरूर हुए हैं, लेकिन ज्यादातर एस्बेस्टस के छत हैं. बटालियन की गोपनीय शाखा तक इसी एस्बेस्टस वाले कमरे में है. परेड ग्राउंड भी बड़ा नहीं है. मेस की व्यवस्था खुद से ये लोग संभालते हैं, इसलिए बहुत सिस्टमेटिक नहीं. कई प्राइवेट डेरे में रहते हैं, जिनके परिवार नेपाल या कहीं और रहते हैं वे ही यहां रहते हैं.

चंदे के पैसे वाला सैलून

जवानों से उम्मीद की जाती है कि उनके बाल सलीके से कटे हों. अनुशासित हों. इसके लिए यहां जो सैलून हैं, उसमें नाई अयोध्या ठाकुर तो हैं, पर सैलून का हाल ये है कि जवानों ने अपने चंदे के पैसे से इसे तैयार करवाया है. सैलून बिहार के किसी पिछ़ड़े गांव के सैलून से ज्यादा बढि़या नहीं है.

ऐसे भी रहता है क्या कोई?

कई जवान प्लास्टिक जैसे तंबुओं में रहते हैं. पटना के घटिया लॉज के कमरों से काफी बदतर हालत है इनकी. ट्रेनिंग करने वाले जवानों के पलंग एक कतार में बिल्कुल एक-दूसरे से सटे हुए हैं. उग्रवादियों से लड़ने से लेकर बाकी काम संभालने वाले गोरखा जवानों को सरकार कैसी सुविधा देती है ये साफ दिखता है. भूकंप की संवेदना और बाकी समय की संवेदना में जमीन आसमान का फर्क है.

मंदिर, कैरम और डर

जवानों ने यहां मां दुर्गा का एक मंदिर बनाया है. दुर्गा पूजा में धूम-धाम से इनकी पूजा होती है. गोरखा बटालियन में आस्था काफी है. इन्हें खेलना भी पसंद है. ये हर दिन कैरम खेलते हैं. ये जवान गजब के साहसी होते हैं, इसलिए नेपाल की त्रासदी के वक्त भी कैरम का खेल जारी रहता है. ये उम्मीद कभी नहीं खोते जीतने का. ये कहते भी हैं हम हिमालय पुत्र हैं. सवाल ये है कि सरकार हिमालय पुत्रों के साथ कैसा व्यवहार करती है.

टोपी और खुखरी ही पहचान

नेपाली टोपी गोरखा बटालियन की पहचान है. साथ ही इनकी पहचान खुखरी भी है. ये जवान आ‌र्म्स के साथ हमेशा अपने साथ खुखरी जरूर रखते हैं. जब गोलियां खत्म हो जाती हैं तब खुखरी का इस्तेमाल करते हैं. ये इनका पौराणिक हथियार भी है, लेकिन ये सारे हथियार बेकार हैं सरकार की उस व्यवस्था के आगे जिसमें ये रह रहे हैं.

Past History

इस बटालियन का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है. 1880 में न्यूज रिजर्व फोर्स के नाम से वाहिनी की स्थापना की गई. 1892 में बिहार, बंगाल और उड़ीसा को मिलाकर इसका नाम बंगाल मिलिटरी पुलिस रखा गया. दिल्ली दरबार में ड्यूटी के बाद 1905 में इसका नाम बदल कर गोरखा मिलिटरी पुलिस रखा गया. 1905 से 1948 तक यह देश के विभिन्न राज्यों जैसे 1915 में बंगाल, 1917 में म्यूरभंज, 1918 में सुरगुजा, 1935 में पंजाब में प्रतिनियुक्त रहा. आजादी के बाद 1948 को इसका नाम जीएमपी के साथा पर बिहार मिलिटरी पुलिस रखा गया. 23 दिसंबर 2004 को बिहार सरकार गृह डिपार्टमेंट के आदेशानुसार इस बटालियन की संख्या को बिहार सैन्य पुलिस 19 से बिहार सैन्य पुलिस -1, गोरखा वाहिनी किया गया.

The other side

ये हमेशा याद रहेगा

-2002 में रफीगंज में राजधानी एक्सप्रेस के दुर्घटना होने के दौरान गोरखा बटालियन ने अहम भूमिका निभाई थी. कई घायलों की जान भी बचाई थी इन्होंने.

-2006 में गला जिले के उग्रवादियों के द्वारा भारी संख्या में नियोजित ढ़ंग से डुमरिया थाने में किए गए हमले के समय उस थाने में प्रतिनियुक्त इस वाहिनी के जी कंपनी की टुकड़ी ने काफी साहस दिखाया और उग्रवादियों के हमले को नाकाम कर दिया. इससे डमरिया थाने की सरकारी संपत्तियों के साथ-साथ जान की रक्षा हो सकी और उग्रवादियों अपने मंसूबे में सफल नहीं हो सके.

-2010 में औरंगाबाद जिले के डंडवा थाने के इस वाहिनी की सी कंपनी के जवानों द्वारा की जा रही ड्यूटी के क्रम में भारी संख्या में एकत्रित उग्रवादियों के द्वारा लोगों की भीड़ में किए गए अचानक हमले में जवानों ने काफी साहस के साथ लड़ाई लड़ी. सामना करते हुए चार जवान शहीद हो गए.

Highlights

बिहार में गोरखा बटालियन की क्क् कंपनियां

पटना में ब् कंपनी

शिवहर में- क्

सीतामढ़ी में क्

जमुई में- फ्

लखीसराय में क्

वैशाली में- क्

बीएमपी वन का कुल स्ट्रेंथ

कमांडेंट- क्

असिस्टेंड कमांडेंट- क्

डीएसपी- ख्

इंस्पेक्टर- फ्0

सब इंस्पेक्टर- 7क्

हवलदार- ख्म्ब्

सिपाही- 9ब्0

फोर्थ ग्रेड- 7भ् नाई, धोबी आदि

क‌र्ल्क- भ्

डॉक्टर- क्

फार्मासिस्ट- ख्