भारत के शिकारपुर! यहां बेरोक टोक कर सकते हैं जंगली जानवरों का शिकार

बिहार:

यहां पर फसलों को बचाने के लिए अक्सर ही नीलगायों की हत्या के मामले सामने आते हैं। हाल ही में यहां पर हैदराबाद से बुलाए शूटरों द्वारा तीन दिनों में 250 नीलगायों को मारने का मामला गरमाया है। किसानों की समस्या को देखते हुए नीलगायों को मारने का आदेश दिया गया है। अब इससे किसानों का कितना भला होगा, फिलहाल तो नीलगायों का अंधाधुंध शिकार हो रहा है।

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बंगाल:

बंगाल में हाथियों की हत्या की अनुमति दी जा चुकी है। जिससे अब यहां पर फसल बचाने के नाम पर हाथियों की हत्या की जा रही है। अब इससे पर्यावरण का कितना नुकसान होगा ये आने वाला समय ही बताएगा। भले ही देश में फसल बचाने के लिए जानवरों की हत्या की जा रही है लेकिन ये जानवरों की नहीं बल्कि प्राकृतिक जैवविविधता की हत्या हो रही है।


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हिमाचल प्रदेश:

हिमाचल प्रदेश में बंदरों को मारने का आदेश दिया गया है। आज इन जानवरों की हत्या से पर्यावरण के संरक्षण और विकास की दिशा में गहरी चोट हो रही है। सरकारों द्वारा उठाए जा रहे ये कदम पर्यावरण-सुरक्षा की दिशा में कितने सुरक्षित हैं ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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गोवा:
वहीं गोवा में मोरों को मारने की इजाजत दे दी है। जिससे आज यहां पर राष्ट्रीय पक्षी मोर का शिकार हो रहा है। कभी ये खेतों आदि में होने वालों चूहों का शिकार करते थे। इन मोरों की हत्या से साफ है कि बेशक फसलें बच रही हैं, लेकिन इससे कहीं न कहीं मिट्टी की दीर्घकालिक उपजाऊ क्षमता कम हो रही है।

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चंद्रपुर:

चंद्रपुर में जंगली भालुओं को मारने की अनुमति दी गई है। जिससे 53 जंगली भालुओं को अब तक मार डाला गया। ऐसे में इन राज्यों की ये शुओं को मारने की हवस समझ नहीं आ रही है। शायद आज इसी वजह से चीन और कनाडा जैसे देशों में वन्य जीवों को बचाने की अनोखी पहल हो रही है।

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चीन:

चीन में भी ऐसा ही कदम माओत्सेतुंग की सरकार ने उठाया था लेकिन इससे किसानों का भला होने की बजाए और ज्यादा नुकसान हुआ था। चीन में गौरेया को मारने का आदेश दिया गया था, लेकिन बाद में टिड्डे, कीड़े-मकोड़ों की वजह से फसल और ज्यादा बेकार होने लगी। गौरेया कीड़े-मकोड़े फसलों से खा जाती थी। पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। जिसके बाद यहां पर गौरेया मारने पर रोक लगा दी गई।

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कनाडा:

कनाडा में भी सील मछली को बचाने की अनोखी पहल हो रही है। सील मछलियों के प्रजनन में समुद्री बर्फ की अहम भूमिका है। अब यहां पर मछुआरों को सील मछली मारने की आजादी नहीं है।

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