आगरा। दिल्ली के एम्स में हुए भीषण अग्निकांड ने अस्पताल में बरती जा रही लापरवाही को उजागर किया है। देश के सबसे बड़े अस्पताल की जिस इमारत में आग लगी, उसके पास फायर डिपार्टमेंट की एनओसी तक नहीं थी। हालात अगर ताजनगरी के देखे जाएं तो शहर के सरकारी और कई प्राइवेट हॉस्पिटल्स में भी फायर विभाग की ओर से एनओसी प्राप्त नहीं है। इन अस्पतालों में रोजाना हजारों की संख्या में मरीज आते हैं। उसके बाद भी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। रविवार को जब शहर के अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के इंतजामों की पड़ताल की गई तो हालत बद से बदतर मिले। अस्पतालों के पास न ही फायर डिपार्टमेंट से एनओसी प्राप्त है और न ही अग्नि शमन यंत्र हैं। यदि कहीं फायर सिस्टम लगे भी हुए हैं तो वह मात्र शोपीस हैं।

एसएन के पास नहीं है आग से बचने के इंतजाम

शहर के सबसे बड़े स्वास्थ्य केन्द्र एसएन मेडिकल कॉलेज में भी आग लगने पर उससे बचाव के काई इंतजाम नहीं हैं। यहां रोजाना करीब सात सौ से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं। कुछ अग्निशमन यंत्र लगे भी हुए हैं तो उनकी एक्सपायरी की डेट निकल चुकी है। इस पर भी किसी का कोई ध्यान नहीं है। ऐसे में अगर यहां आग से संबंधित कोई घटना होती है तो वह बड़ा हादसा हो सकती है।

लेडी लॉयल के पास है एनओसी

शहर के एसएन मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल एवं लेडी लॉयल में रोजाना करीब दस हजार से अधिक मरीजों का आना-जाना लगा रहता है। चीफ फायर ऑफीसर अक्षय रंजन शर्मा ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में से सिर्फ लेडी लॉयल के पास ही फायर डिपार्टमेंट की एनओसी है। अन्य सरकारी अस्पतालों के पास फायर डिपार्टमेंट की एनओसी नहीं है। इसके अलावा अधिकांश प्राइवेट अस्पताल भी बिना एनओसी के चल रहे हैं।

जर्जर पड़े हुए है फायर सिस्टम

एसएन की न्यू सर्जरी बिल्डिंग में किसी भी फ्लोर पर फायर एक्सटिंग्यूशर नहीं लगे हुए हैं। तीसरी मंजिल पर सिर्फ एक जगह लगे हुए हैं, लेकिन उसकी एक्सपायरी डेट करीब छह महीने पहले ही निकल चुकी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या इतने मरीजों पर एक सिलेंडर काफी है। कोई हादसा या शॉर्ट सर्किट हो जाए तो इसकी जवाबदेही कौन होगा।

मल्टी सुपरस्पेशिलियटी बिल्डिंग में टूटे पड़े यंत्र

आधुनिक सुविधाओं से लैस एसएन की नई सर्जरी बिल्डिंग सेंट्रलाइज्ड एसी है। सेंट्रलाइज्ड एसी होने के कारण पूरी बिल्डिंग पैक है। सीलिंग फ्वॉइल के अंदर सभी तारें कैद हैं। किसी भी मंजिल पर एक भी अग्निशमन यंत्र मौजूद नहीं है। यदि नई सर्जरी बिल्डिंग में आग लग जाती है, तो उसे बुझाने के लिए बड़े-बड़े पाइपों को डाला गया है, लेकिन इन पाइपों में आने वाले पानी के रास्ते को ही ब्लॉक कर दिया गया है। छत पर लगे वॉल्व को बेल्िडग से लॉक कर दिया गया है। इसको देखने से ही लगता है कि कई सालों से इस वॉल्व पर किसी की नजर ही नहीं गई है। न ही किसी का इस ओर ध्यान है।

सरकारी अस्पतालों में सिर्फ लेडी लॉयल के पास डिपार्टमेंट से एनओसी दी गई है। बिना एनओसी के अन्य अस्पतालों में इलाज चल रहा है। एसएन मेडिकल कॉलेज में निर्माण कार्य के चलते काम प्रोसेस में है।

अक्षय रंजन शर्मा, चीफ फायर ऑफीसर

आंकड़े

एसएन में भर्ती मरीज- 750 से अधिक

जिला अस्पताल में भर्ती मरीज- 70 से अधिक

एसएन की ओपीडी में आते हैं रोजाना मरीज-3000

जिला अस्पताल की ओपीडी में आते हैं रोजाना मरीज-2500