अब मिलेगी राहत
वित्तीय सेवा विभाग के सूत्रों ने बताया कि इस बाबत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों को पत्र भेज दिया गया है. इसमें कहा गया है कि वे ऐसी ट्रांसफर और पोस्टिंग नीति बनाएं, जिससे महिलाकर्मियों की परेशानी को कम किया जा सके. पत्र के अनुसार, यह तय किया गया है कि महिला बैंककर्मियों को उनके अनुरोध पर जहां तक संभव हो, ऐसे स्थान पर ट्रांसफर दिया जाए, जहां उनके पति काम करते हों. अनमैरिड महिला कर्मचारियों के संबंध में बैंकों से कहा गया है कि उन्हें ऐसी जगह या उसके निकटतम स्थान पर समायोजित किया जाए जहां उनके माता-पिता रहते हों.

क्या थी परेशानी
बैंकों को दिए गए निर्देशों में विभाग ने कहा कि अक्सर देखने में आया है कि मैरिड या अनमैरिड महिलाकर्मियों को जब पति या माता-पिता से दूर एप्वॉइंट किया जाता है या ट्रांसफर होता है तो उन्हें वास्तव में परेशानी आती है. उनमें असुरक्षा का भाव भी जागने लगता है. आपको बता दें कि हाल ही में बने भारतीय महिला बैंक सहित देश में सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंक हैं. इनके करीब 8 लाख कर्मचारियों में से 2.5 लाख महिलाकर्मी हैं. सरकारी बैंकों से इस संबंध में जल्द ही नीति बनाकर अपने संचालक मंडल से मंजूरी लेने को कहा गया है. उन्हें इस नीति पर तत्काल अमल करने को कहा गया है. इसके अलावा ट्रांसफर से जुड़े लंबित अनुरोधों पर भी नई नीति के तहत विचार करने के निर्देश दिए गए हैं.

मिली एक और सौगात
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को बताया कि उसने कंपैशनेट एंप्लॉयमेंट यानी अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने की पॉलिसी फिर से लागू कर दी है. इसके तहत नौकरी के दौरान मौत होने पर कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी दी जायेगी. गौरतलब है कि 2004-05 के बाद से इस व्यवस्था पर रोक लगी हुई थी, लेकिन 5 अगस्त से इसे फिर से बहाल कर दिया गया है.

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