इस साल 88 फीसद ही बरसेगा मानसून ऐसा मौसम विभाग के पूर्वानुमान में जाहिर किया गया है. मौसम विभाग का कहना है कि अल नीनो के असर के चलते कम होगी बारिश हालाकि इससे पहले 93 फीसद बारिश की थी उम्मीद थी. इसी वजह से कहा गया कि देश के कई राज्यों में सूखे की स्थिति बन सकती है. इस पर केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि देश में गेंहू ओर चावल का पर्याप्त बफर स्टॉक है और हम किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. कृषि मंत्री का बयान रिजर्व बैंक की चेतावनी के बाद आया है. सिंह ने कहा कि इस बारे में अप्रैल में ही पूरी समीक्षा करके तैयारी शुरू कर दी गयी थी. सरकार ने किसी भी आकस्मिक आपदा का सामना करने की योजनायें बना ली हैं और देश के सभी राज्यों  के करीब 580 जिलों को लक्ष्य बना कर तैयारियां शुरू कर दी गयी थीं.

ये भी पता चला है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. पिछले माह ही उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों व विभागों को कम बारिश को लेकर किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया था, ताकि आम आदमी पर असर न हो.

कमजोर मानसून से बिगड़े हालात

अपने आगमन की निर्धारित तारीख से पांच दिन लेट होने के बाद अब मानसून के कमजोर रहने की भी आशंका है. मौसम विभाग ने संशोधित पूर्वानुमान में सामान्य से कम और दीर्घावधि औसत की 88 फीसद बारिश होने की भविष्यवाणी की है. कमजोर मानसून से देश के कुछ हिस्सों में सूखा पड़ सकता है. किसान पहले ही बेमौसम बारिश से हुई तबाही से जूझ रहे हैं. उससे उबरे भी नहीं हैं कि सूखे का मंडराता खतरा उनकी खरीफ फसल से अच्छी पैदावार की उम्मीदें भी तोड़ता नजर आ रहा है.

 

भूमि विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मंगलवार को मानसून का संशोधित पूर्वानुमान जारी किया. उन्होंने कहा, ‘मुझे बहुत भारी मन से कहना पड़ रहा है कि हमारे संशोधित पूर्वानुमान के अनुसार इस साल दीर्घावधि औसत की महज 88 फीसद बारिश होगी.’ मौसम विभाग ने अप्रैल में जारी पूर्वानुमान में कहा था कि देश में मानसून की वर्षा औसत से 93 फीसद होगी. इसे सामान्य से कम माना जाता है. कम वर्षा का असर दिल्ली एनसीआर, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में ज्यादा होगा. यहां संशोधित अनुमान के अनुसार 85 फीसद वर्षा होगी. पिछले वर्ष भी इन राज्यों में कम बारिश हुई थी.

 

अल नीनो का प्रभाव

दरअसल प्रशांत महासागर क्षेत्र में इस समय अल नीनो का प्रभाव है. इससे समुद्री सतह का तापमान ज्यादा रहता है और नमी वाले बादल बनने की प्रक्रिया बाधित होती है और सूखा पड़ता है. एशिया में ऑस्ट्रेलिया और भारत पर इसका सीधा असर पड़ता है. अल नीनो हर दो से सात साल में आता है.  

परेशान किसान और बाजार  

खराब मानसून की दस्तक ने किसानों के साथ-साथ बाजार को भी सिहरा दिया है. पिछले मानसून की बेरुखी और रबी सीजन में बेमौसम बारिश की मार के बाद खराब मानसून की खबर के बाद शेयर बाजार को भरभराते देर नहीं लगी. रिजर्व बैंक के गवर्नर ने तो इस विषम परिस्थिति से सरकार को निपटने की चेतावनी दे डाली. इसके बाद तो शेयर बाजार में अफरातफरी मच गई. सूखे जैसी स्थिति की आशंका के बाद कृषि मंत्रालय अपनी आपात योजना की समीक्षा में जुट गया.

 

रिजर्व बैंक ने सरकार से ऐसे हालात से निपटने के लिए आकस्मिक आपात योजना तैयार रखने को कहा है.ताकि कमजोर मानसून की वजह से कम खाद्यान्न उत्पादन के प्रभाव से बेहतर तरीके से निपटा जा सके. आरबीआइ गवर्नर ने स्पष्ट किया कि अप्रैल में महंगाई के लिए जोखिम की पहचान की गई है. लगातार दूसरे वर्ष कमजोर मानसून के पूर्वानुमान की वजह से यह संकट बन सकती है. मानसून के विफल होने की हालत में महंगाई के इस अंदेशे से निपटने के लिए मजबूत खाद्य प्रबंधन पर जोर देने की सलाह दी गई है. विस्तृत आर्थिक स्थिति के बारे में रिजर्व बैंक ने कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधियां नरम बनी हुई हैं.  

महंगाई हो सकती है बेलगाम

पिछले दो सीजन से खराब मौसम ने खेती की हालत खराब हुई है. पैदावार में गिरावट आई। खासतौर पर दलहन व तिलहन फसलों के कम उत्पादन से बाजार में इनकी कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं. आगामी खरीफ के खराब होने की दशा में इन दोनों जिंसों की स्टॉक और घट सकता है. इससे महंगाई बेलगाम हो सकती है.

 

तैयारी में जुटा कृषि मंत्रालय

मौसम के पूर्वानुमान और शेयर बाजार में तेज गिरावट के बीच कृषि मंत्रालय आपात योजना की समीक्षा में जुट गया. कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह खुद मंत्रालय के आला अफसरों और मौसम विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने हालात की जानकारी ली. इस बारे में उन्होंने बताया कि मानसून के कमजोर होने की दशा को भांपकर देश के 580 जिलों को आकस्मिक योजना भेज दी गई है. राज्यों के अफसरों के साथ बैठकें चल रही हैं. सरकार की ओर से पिछली बार के मुकाबले और भी पुख्ता तैयारी की जा रही है.

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