- एक वाहन पर अधिकारी खर्च कर रहे लाखों रुपए

- विभाग की गोपनीयता कर रहे भंग, राजस्व का नुकसान

BAREILLY:

शहर के कई सरकारी महकमों के आला अफसरान विभाग के ही सरकारी ड्राइवर्स से दूरी बनाकर चल रहे हैं। वजह, इन अधिकारियों को सरकारी ड्राइवर्स की चुगलखोरी का डर सता रहा है। ऐसे में अधिकारी सरकारी गाड़ी को छोड़ ट्रैवेल एजेंसीज के वाहन और प्राइवेट ड्राइवर्स की सर्विस ले रहे हैं। बिजली विभाग के ही चीफ इंजीनियर नें सरकारी अम्बेस्डर है होने के बावजूद एजेंसी की इनोवा कार व निजी ड्राइवर हायर किया है। लेकिन अधिकारियों का सरकारी ड्राइवर्स से पोल खुलने का यह डर विभाग की ही गोपनीयता के लिए खतरा बन गया है। वहीं विभागों में तैनाती सरकारी ड्राइवर्स भी मुफ्त में मोटी पगार उठा रहे। इससे नाराज इनकम टैक्स इम्प्लाइज फेडरेशन और इनकम टैक्स गैजेट्स ऑफिसर एसोसिएशन ने 18 अप्रैल को होने वाली हड़ताल में खाली बैठे सरकारी ड्राइवर्स को किसी और काम में लगाए जाने का मुद्दा भी उठाने की तैयारी की है।

प्राइवेट ड्राइवर्स प्रियाॅरिटी में

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, बीएसएनएल, बिजली विभाग सहित आधा दर्जन विभागों के अधिकारियों ने अपने लिए ट्रैवेल एजेंसियों से किराए पर वाहन लिए हैं। यह एजेंसीज वाहन के साथ ड्राइवर की भी सुविधा देती हैं यही बात अधिकारियों को काफी पसंद आ रही है। क्योंकि, एक शिकायत पर इन ड्राइवर्स कों बदला जा सकता है। जबकि सरकारी ड्राइवर के साथ ऐसा नहीं है। अधिकारियों को इस बात का डर बना रहता है कि सरकारी ड्राइवर कई अधिकारियों के साथ काम किए रहते हैं। ऐसे में वह अधिकारियों की गड़बडि़यों व निजी बातों की पोल विभाग में खोल सकता है।

सरकारी ड्राइवर्स की भी मौज

निजी ड्राइवर्स की तैनाती से सरकारी ड्राइवर्स की भी चांदी हो रही है। सरकारी ड्राइवर्स बिना काम किए ही हर महीने 30 से 40 हजार रुपए की सेलरी उठा रहे हैं। सिर्फ बीएसएनएल में ही ऐसे 4 सरकारी ड्राइवर हैं। तौसीफ, रामश्रेष्ठ, मनोहर और ताहिर नाम के ड्राइवर ऑफिस टाइमिंग में खाली बैठ समय गुजारते हैं। दूसरी जगहों पर ड्यूटी लगाने पर इनका कहना होता है कि मेरी नियुक्ति ड्राइवर पद पर हुई है इस लिए सिर्फ ड्राइविंग ही करेंगे। जीएम से लेकर अन्य अधिकारियों तक ने अपने लिए एजेंसी से किराए पर वाहन व ड्राइवर्स लिए हुए हैं। वहीं बिजली विभाग व इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में भी 2 सरकारी ड्राइवर खाली हैं।

लीक कर रहे जानकारी

प्राइवेट ड्राइवर्स के होने से विभाग की गोपनीयता भंग हो रही है। जब भी अधिकारी किसी विजिट और छापेमारी में निकलते है, तो निजी ड्राइवर्स इस बात की जानकारी तुरंत संबंधित लोगों को प्रेषित कर देता है। जिसके चलते अगला अलर्ट हो जाता है और कार्रवाई से बच जाता है। इतना ही नहीं कई मामलों में प्राइवेट ड्राइवर साहब का नजदीकी होने का रौब गांठ कर विभाग के कर्मचारियों को प्रमोशन, ट्रांसफर कराने, मनचाहा जगह पर तैनात किए जाने का ऑफर भी देते हैं।

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विभाग - सरकारी ड्राइवर सेलरी

बीएसएनएल - 4 - 35-45 हजार

बिजली विभाग - 3 - 30-35 हजार

इनकम टैक्स - 2 - 40 हजार

नोट - सेलरी प्रति महीना।

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अब प्राइवेट वाहन ही विभाग में इस्तेमाल हो रहे हैं। इस वजह से सरकारी ड्राइवर को दूसरे काम की जिम्मेदारी सौंप दी गई है।

चरण सिंह, जीएम, बीएसएनएल