- पुरानी गाडि़यों की नीलामी कर आरटीओ में रजिस्ट्रेशन कराना होता है कैंसिल

- सीसीटीवी से लैस हो गए सरकारी विभाग लेकिन जिम्मेदारों की नहीं पड़ती नजर

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anurag.pandey@inext.co.in

GORAKHPUR: ओल्ड टाइम में चलने वाली गाडि़यां कैसी दिखती थीं, ये देखना हो तो किसी विंटेज कार म्यूजियम में जाने की जरूरत नहीं। गोरखपुर के किसी भी सरकारी दफ्तर में इनके दीदार किए जा सकते हैं। जिम्मेदारों का आलसी रवैया कहें या फिर गैर जिम्मेदारी, यहां अमिताभ बच्चन वाली 'डॉन' के समय तक की गाडि़यां मौजूद हैं जो पड़े-पड़े सड़ रही हैं। जिसके चलते दफ्तर की सूरत तो खराब होती ही है, उस जगह का इस्तेमाल भी नहीं हो पा रहा। बीएसएनएल ऑफिस में पड़ी लंबी मेटाडोर वैन देख तो लोगों को बरबस ही डॉन फिल्म का सुपरहिट सॉन्ग 'खइके पान बनारस वाला' याद आ जाता है। लेकिन जिम्मेदार हैं कि उन्हें पुराने समय में इस्तेमाल में रहीं इन गाडि़यों के यूजलेस कबाड़ को हटाना तक याद नहीं है। सरकारी दफ्तरों के कैंपस में अमूमन ही दिखने वाले इन कबाड़ वाहनों की स्थिति के बारे में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने रियलिटी चेक किया। ज्यादातर जगहों पर जिम्मेदारों की उदासीनता का हाल बयां करती कबाड़ गाडि़यां नजर आईं।

बीएसएनल ऑफिस में जंग खा रहीं मेटाडोर

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम सबसे पहले आरटीओ के ठीक बगल में स्थित बीएसएनएल ऑफिस में पहुंची। गेट के अंदर घुसते ही कैंपस में जंग खा रहीं दो लंबी मेटाडोर वैन दिखी। वाहनों की हालत ये कि अंदर की खिड़की से झाडि़यां बाहर झांक रहीं थीं। सबसे बड़ी बात ये कि ये गाडि़यां चारों पहियों पर खड़ी थीं। जिस तरह अंतिम समय में मरीज बेड पर लेटे-लेटे दम तोड़ देता है, उसी तरह ये गाडि़यां भी अपनी अंतिम सांसें गिन रही हैं।

नगर निगम में भी वाहनों का कबाड़

इसके बाद टीम नगर निगम पहुंची। यहां कैंपस में ही बड़ा सा क्रेन जर्जर हालत में खड़ा है। थोड़ा और अंदर जाने पर एक जीप दिखी जो जमीन के अंदर धंस चुकी है। उसका नंबर प्लेट और कुछ हिस्सा ही दिख रहा था। ऐसा लग रहा था कि वो सरकारी जीप जिसमें कभी अधिकारी बैठकर हेकड़ी दिखाते थे, वो अब कह रही है कि मेरा अंतिम संस्कार कब होगा।

सीएमओ ऑफिस में भी सड़ रहीं गाडि़यां

इसके बाद टीम डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल स्थित सीएमओ ऑफिस पहुंची। यहां भी करीब आधा दर्जन गाडि़यां जंग खाती मिलीं। यहां पर हैरान करने वाली बात ये थी कि कुछ गाडि़यां रख-रखाव के अभाव में खत्म हो रही हैं। इनको अगर दुरुस्त करा दिया जाए तो इनसे काम लिया जा सकता है। वहीं कुछ गाडि़यां तो बिल्कुल पुराने जमाने की हैं जो अब नष्ट करने लायक हो चुकी हैं।

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गाडि़यां हटे तो जगह का हो यूज

बिजली विभाग हो या फिर और भी कई सरकारी डिपार्टमेंट सभी जगहों की हालत एक जैसी है। हर जगह सरकारी चीजों का गलत यूज किया जाता है। वहीं अगर बीएसएनएल ऑफिस, नगर निगम, सीएमओ ऑफिस या फिर अन्य जगहों से खत्म हो चुकी गाडि़यां जिन्हें अब नया जीवन नहीं दिया जा सकता है, उन्हें हटा लिया जाए तो अच्छी खासी जगह खाली होगी और सरकारी दफ्तर भी सुंदर दिखेंगे।

आरटीओ के रिकॉर्ड में जिंदा होंगी गाडि़यां

भले ही सरकारी ऑफिसों में खड़ी गाडि़यां दम तोड़ चुकी हों लेकिन आरटीओ ऑफिस के रिकॉर्ड में ये आज भी जिंदा होंगी। क्योंकि जब तक रजिस्ट्रेशन कैंसिल नहीं कराया जाता तब तक गाडि़यां फाइलों में दौड़ती ही रहती हैं।

वर्जन

सरकारी डिपार्टमेंट की जो हैवी गाडि़यां हैं, उनका फिटनेस कराया जाता है। ऐसी गाडि़यां अगर सड़ रही हैं तो उनकी नीलामी कराकर रजिस्ट्रेशन कैंसिल कराना चाहिए।

- श्याम लाल, आरटीओ प्रशासन