नई दिल्ली (आईएएनएस)। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने अपनी नई पुस्तक में मुंबई हमलों के बाद यूपीए -1 सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाया है। यह किताब आधिकारिक तौर पर 2 दिसंबर को जारी की जानी है, जो लगभग मुंबई हमलों की बरसी के मौके पर है। मनीष तिवारी ने मंगलवार को एक ट्वीट में अपनी नई किताब की घोषणा की। पुस्तक के कुछ अंशों के मुताबिक मनीष तिवारी का कहना है कि जब किसी देश को अगर निर्दोष लोगों के कत्लेआम करने का कोई खेद नहीं तो संयम ताकत की पहचान नहीं है, बल्कि कमजोरी की निशानी है। 26/11 एक ऐसा मौका था जब शब्दों से ज्यादा जवाबी कार्रवाई दिखाने का माैका था। इसके साथ ही उन्होंने मुंबई हमले की तुलना अमेरिका के 9/11 से करते हुए कहा कि भारत को उस समय भारत को अमेरिका की तरह ही जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए थी।


कांग्रेस नेतृत्व को एक महीने में दूसरी किताब से निपटना होगा
यह पुस्तक पिछले दो दशकों में भारत द्वारा सामना की गई प्रत्येक प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती का वस्तुपरक रूप से वर्णन करती है। कांग्रेस नेता द्वारा अपने पूर्व शासन की आलोचना भाजपा को बड़ा माैका दे सकती है, जिसका पुलवामा आतंकी हमले के बाद बालाकोट हवाई हमले पर एक बिंदु होगा। कांग्रेस नेतृत्व को एक महीने में दूसरी किताब से निपटना होगा, जिससे एक और विवाद छिड़ सकता है। इससे पहले, सलमान खुर्शीद की किताब ने एक विवाद पैदा किया था जहां उन्होंने हिंदुत्व की तुलना आईएस और बोको हराम से की थी। पुस्तक में मनीष तिवारी कहते हैं कि तालिबान के उदय के साथ खतरा बढ़ गया है पिछले दो दशकों में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौतियां जटिलता और तीव्रता दोनों में बढ़ गई थीं।
राष्ट्र 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों की 13वीं वर्षगांठ मनाएगा
इस सप्ताह राष्ट्र 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों की 13वीं वर्षगांठ मनाएगा, जिसने 2008 में तीन दिनों के लिए देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई को पूरी तरह से पंगु बना दिया था, जिसमें 160 से अधिक लोग पाकिस्तान के आतंकवादियों द्वारा मारे गए थे। सुरक्षा बलों को तीन दिनों तक अभियान चलाना पड़ा और ताज से 300, ट्राइडेंट से 250 और नरीमन हाउस से 60 लोगों (12 अलग-अलग परिवारों के सदस्य) को बचाया।

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