बहाल हुए पुराने नियम

कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की निकासी पर रोक के खिलाफ बेंगलुरु में विरोध और हिंसक प्रदर्शनों के बाद दबाव में आई सरकार ने यूटर्न ले लिया है। फैसला वापस लेने से अब पीएफ को लेकर पुराने नियम बहाल हो गए हैं। इससे कर्मचारी पहले की तरह अपने अलावा नियोक्ता के हिस्से का अंशदान भी निकाल सकेंगे। फैसला वापस लेने की घोषणा श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने मंगलवार को यहां प्रेस कांफ्रेंस में की। इससे कुछ घंटे पहले ही सरकार ने पीएफ निकासी के नए नियमों पर अमल तीन माह के लिए टालने का एलान किया था, मगर इससे बात नहीं बनी। केंद्रीय श्रम मंत्री ने कहा, 'ईपीएफ निकासी पर नए नियम लागू करने के संबंध में 10 फरवरी को जारी अधिसूचना रद कर दी गई है। अब पुरानी व्यवस्था जारी रहेगी। मैं कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ के केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) से मंजूरी ले लूंगा।' इसके बाद श्रम मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पुराने नियम बहाल हो जाने से अब संगठित क्षेत्र के कर्मचारी अपने पीएफ का पूरा पैसा निकाल सकेंगे। इसमें पेंशन की मद में जाने वाला नियोक्ता का 3.67 फीसद हिस्सा (अगर ज्यादा अंशदान है तो पूरा) भी शामिल होगा। यह दूसरा मौका है, जब सरकार को पीएफ के मसले पर अपने कदम वापस खींचने पड़े हैं। सरकार ने इस साल के बजट में ईपीएफ निकासी पर टैक्स लगाने के निर्णय को भी भारी विरोध के बाद मार्च में वापस ले लिया था।

कुछ ऐसे थे नए नियम

इस साल 10 फरवरी को कर्मचारी ईपीएफओ ने कर्मचारी भविष्य निधि से धन निकासी के नियमों में पहली मई से बदलाव का एलान किया था। नए नियमों के तहत बीच में नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारियों के 58 वर्ष की आयु से पहले पीएफ का पूरा पैसा निकालने पर पाबंदी लगा दी गई। उन्हें केवल आधा पैसा (कर्मचारी का अपना योगदान व ब्याज) निकालने की छूट दी गई थी। पूरा पैसा (कर्मचारी का अपना योगदान व ब्याज तथा नियोक्ता का योगदान व ब्याज) निकालने के लिए रिटायरमेंट आयु को 55 से बढ़ाकर 58 वर्ष कर दिया गया। यही नहीं, 90 फीसद ईपीएफ निकासी के लिए आवश्यक न्यूनतम आयु को भी 54 से बढ़ाकर 57 वर्ष कर दिया गया।नियम बदलने का विरोध इससे बेहतर कैरियर के लिए बीच में नौकरी छोड़कर दूसरी नौकरी ज्वाइन करने वाले या किसी कारणवश नौकरी खोने वाले निजी क्षेत्र के लाखों कर्मियों में मायूसी छा गई थी। पहली मई से पाबंदी लागू होने के डर से हजारों कर्मचारी देश के विभिन्न ईपीएफओ कार्यालयों में ईपीएफ निकासी के फॉर्म जमा कराने पहुंचने लगे थे।

ट्रेड यूनियनों के दवाब में बदला फैसला

श्रम मंत्री ने फैसला वापस लेने की वजह बताते हुए कहा कि पहले रोक लगाने का निर्णय भी यूनियनों की राय लेकर किया गया था। अब मजदूर यूनियनें फैसला वापस लेने के लिए अनुरोध कर रही हैं। इसलिए हमने फैसला वापस ले लिया। फैसले के रोल बैक से कुछ घंटे पहले सरकार ने ईपीएफ निकासी के नए नियमों पर अमल 31 जुलाई तक के लिए टालने का एलान किया। यानी नौकरी छोड़ने तथा 58 वर्ष से पहले रिटायर होने की स्थिति में पूरा ईपीएफ निकालने पर रोक अब पहली मई के बजाय एक अगस्त से लागू होगी। यही नहीं, नए नियमों में ढील भी दे दी, मगर इससे बात नहीं बनी।

बेंगलुरु में हिंसक प्रदर्शन का असर

भले ही बंडारू ने हिंसक प्रदर्शनों के दबाव की बात नहीं कही, मगर असली वजह तो यही थी। बेंगलुरु में पीएफ के नए नियमों के खिलाफ गारमेंट इंडस्ट्री के कामगारों का प्रदर्शन दूसरे दिन और उग्र हो गया। हजारों कर्मचारियों के सड़क पर उतरने से केंद्र सरकार पीएफ निकासी से जुड़े नए नियम रद करने पर मजबूर हो गई। इन प्रदर्शनों के अलावा कर्मचारियों ने इसके खिलाफ ऑनलाइन अभियान भी चला रखा था। मंगलवार को उन्होंने तीन बसों समेत दर्जनों वाहन जला दिए। प्रदर्शनकारियों ने एक थाने पर भी हमला किया। इन घटनाओं में एक सहायक पुलिस आयुक्त समेत 25 पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस के अनुसार ¨हसा फैलाने के लिए करीब एक सौ लोगों को हिरासत लिया गया।

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