तो अब लगेगी पेनाल्टी
वाटर रिसोर्स और रिवर डेवलेपमेंट सेक्रेटरी शशि शेखर के मुताबिक, सरकार सूखे के हालात पर नजर बनाए रखे हुए है और इससे निपटने के लिए बहुत जल्द नए कानून भी बनाए जा सकते हैं। सरकार किसानों को ड्रिप इरिगेशन के लिए फंड देगी। इसके साथ ही ग्राउंड वाटर के ज्यादा दोहन के लिए पेनॉल्टी भी लगाई जाएगी। इसके लिए एक मॉडल वॉटर लॉ पर विचार चल रहा है। 2000 के आंकड़ों पर नजर डालें तो हर शख्स को दो हजार क्यूबिक मीटर/ईयर पानी मिलता था। वहीं 2016 में यह आंकड़ा घटकर 1500 क्यूबिक मीटर/ईयर पर आ गया है।
15 साल बाद होंगे और बुरे हालात
शशि शेखर आगे बताते हैं कि अगर यही स्थिति रही तो अगले 15 सालों बाद हालात और बुरे होंगे। एक आदमी को सिर्फ 1100 क्यूबिक मीटर/ईयर पानी में गुजारा करना होगा। यहां आपको बता दें कि एक आदमी पर 1500 क्यूबिक मीटर/ईयर पानी की खपत पर चीन वाटर क्राइसिस डिक्लेयर कर चुका है।
क्यों पड़ इतना सूखा
इतने बड़े सूखे की वजह पिछले 2 सालों का मानसून है जो औसत से काफी कम रहा था। देश के अधिकांश रिजर्वायर में पानी बहुत कम मात्रा में बचा है। हालांकि ये क्राइसिस काफी सालों से चली आ रही है। पानी के पांरपरिक रिसोर्स को संभालकर नहीं रखा गया। खेती के साथ इंडस्ट्रियल डिमांड बढ़ती जा रही है। इसके चलते ग्राउंड वाटर खत्म हो रहा है।
नदियों की हालात भी बेहतर नहीं
सूखे से बचने के लिए हमें देश के रिवर मैनेजमेंट को भी सुधार करना होगा। इसमें नदियों से मिलने वाले पानी, उसकी इकोनॉमी और कंडीशन को पैमाना मान सकते हैं। शेखर बताते हैं कि हमारे यहां नदियों को पूरी तरह इग्नोर कर दिया गया है। काफी नदियां सूख चुकी हैं। ऐसे में ग्राउंड लेवल पर पानी का स्तर गिरना तो तय है। मॉडल लॉ में सर्फेस वाटर की तुलना में ग्राउंड वाटर की भूमिका ज्यादा अहम होगी।
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