चौतरफा हुआ विरोध

प्रस्ताव के अनुसार एक अप्रैल से बाद जमा राशि के 60 फीसद हिस्से की निकासी पर टैक्स लगेगा। अगर कर्मचारी इस राशि से पेंशन खरीदता है तो उसे टैक्स से छूट रहेगी। अधिकारी ने बताया कि हमने वित्त विधेयक 2016 में कर्मचारियों की कुछ श्रेणियों को इस टैक्स के दायरे से बाहर रखा है। जल्द ही इन श्रेणियों की अधिसूचना जारी होगी, जिनमें नया प्रस्तावित टैक्स नहीं लगेगा। सरकार ने 15,000 रुपये मासिक तक वेतन पाने वाले कर्मचारियों को पहले ही इस टैक्स के दायरे से बाहर रखा है। इस टैक्स पर कर्मचारी संगठनों और राजनीतिक दलों के चौतरफा विरोध के बाद जेटली ने इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार का आश्वासन दिया है। उन्होंने इस सप्ताह के शुरू में कहा था कि इस प्रस्ताव पर कुछ प्रतिक्रियाएं आई हैं।

संसद में चर्चा होगी

जब इस मसले पर संसद में चर्चा होगी, वह सरकार का जवाब देने और अंतिम फैसला बताएंगे। हालांकि सरकार ने सिर्फ अर्जित ब्याज पर टैक्स लगाने और मूल राशि को मुक्त रखने का संकेद दिया है। लेकिन इस मामले में पूरी तरह रोलबैक की मांग उठ रही है। ईपीएफओ में कुल 3.7 करोड़ सदस्य हैं, इनमें से तीन करोड़ सदस्य ऐसे हैं जिनका वेतन 15,000 रुपये या इससे कम है। वैधानिक रूप से पीएफ कटौती 15,000 रुपये पर ही होती है। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि ईपीएफ को तीनों स्तरों पर यानि जमा, ब्याज अर्जन और निकासी पर टैक्स से मुक्त रखा गया है।

समाधान पेश करेंगे

शुरू में यह स्कीम 15,000 रुपये या इससे कम वेतन वालों के लिए बनाई गई थी। लेकिन धीरे-धीरे ज्यादा वेतन पाने वाले कर्मचारी भी इस सुविधा का लाभ उठाने लगे। सरकार की मंशा त्रिस्तरीय छूट की सुविधा सिर्फ 15,000 तक वेतन वाले कर्मचारियों को देने की है। जल्दी ही वित्त मंत्री इस मामले में समाधान पेश करेंगे। दास ने कहा कि ईपीएफ स्कीम लांच होने के बाद सरकार एक और पेंशन स्कीम एनपीएस लेकर आई। इसमें सदस्यों को सिर्फ दो स्तरों यानि जमा और ब्याज अर्जन पर टैक्स से छूट मिलती है। तीसरे स्तर पर निकासी के समय टैक्स लगता है, चाहे वेतन कितना भी होगा। इस वजह से ईपीएफ और एनपीसी में समानता लाने के लिए टैक्स लगाना जरूरी हो गया।

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