नई दिल्‍ली (पीटीआई) । आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार 27.5-28.5 गीगाहर्ट्ज़ के बीच स्पेक्ट्रम फ़्रीक्वेंसी रेंज की नीलामी नहीं करेगी साथ ही इसे सैटेलाइट सर्विसेस के लिए छोड़ सकती है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने इस फ्रीक्वेंसी रेंज के लिए बेस प्राइस की सिफारिश की थी और सुझाव दिया था कि इसका उपयोग मोबाइल और सैटेलाइट दोनों सेवाओं के लिए किया जा सकता है। दो आधिकारिक सूत्रों ने स्वीकार किया कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) केवल 27.5 Ghz तक के स्पेक्ट्रम की नीलामी पर विचार कर रहा है क्योंकि सैटेलाइट और फोन दोनों सेवाओं के बीच शेयर करना मुश्किल है।

कई विचार हैं लेकिन अभी कुछ नहीं है तय

एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ट्राई यह भी समझता है कि 5G और सैटेलाइट ट्रांसमीटर दोनों के साथ-साथ काम करना मुश्किल है। हम केवल 27.5 Ghz तक की नीलामी के साथ आगे बढ़ रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि सरकार देख रही है कि क्या 27.5-28.5 गीगाहर्ट्ज़ में अर्थ स्टेशन इन मोशन (ईएसआईएम) की अनुमति दी जा सकती है, जो इन-फ़्लाइट और समुद्री कनेक्टिविटी के लिए उपलब्ध है। लेकिन इस बीच इस फ़्रीक्वेंसी रेंज को नीलाम करने की कोई योजना नहीं है। DoT के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विभाग के भीतर कई विचार हैं लेकिन अभी कुछ भी तय नहीं है।

जून की शुरुआत में नीलामी होने की है संभावना

ट्राई ने कहा था, सैटेलाइट अर्थ स्टेशन गेटवे को मामले-दर-मामला आधार पर अनइन्हेबाइटेड या रिमोट एरिया पर फ़्रीक्वेंसी रेंज 27.5-28.5 Ghz में लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए, जहां 5G IMT सेवाओं के आने की संभावना कम है। टेलीकॉम मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि यह नीलामी देश में 5जी सेवाओं के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी। साथ ही बताया कि इसके जून की शुरुआत में होने की संभावना है और इस साल अगस्त-सितंबर तक सेवाओं के शुरू होने की उम्मीद है।

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