नई दिल्ली (पीटीआई) पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में रिकॉर्ड वृद्धि से इस वित्त वर्ष में आर्थिक तंगी से जूझ रही सरकार को लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ होगा। यह कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से बंद हुए कारोबार व धीमी अर्थव्यस्था में खोए हुए राजस्व को फिर से ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद करेगा। मंगलवार की देर शाम, सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये लीटर की बढ़ोतरी की। हालांकि, इस वृद्धि से पंप पर पेट्रोल और डीजल के दामों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि दो महीने से भी कम समय में उत्पाद शुल्क पर यह दूसरी बढ़ोतरी है और इससे सरकार को 2019-20 के उपभोग स्तर पर सालाना अतिरिक्त राजस्व में 1.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक की मदद मिलेगी।

यात्रा पर प्रतिबंध के चलते तेल की खपत में कमी

अधिकारियों ने कहा कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते इन दिनों यात्रा पर भी प्रतिबंध है, जिसके कारण खपत में कमी आई है। अब उसे रिकवर करने के लिए यह बढ़ोतरी की गई है। इस वृद्धि के बाद चालू वित्त वर्ष में बचे 11 महीनों (अप्रैल 2020 से मार्च 2021) में सरकार को 1.6 लाख करोड़ रुपये के करीब लाभ होगा। एक्साइज ड्यूटी रेट में यह बदलाव 6 मई से प्रभावी होगा। इससे पहले, सरकार ने 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी, जिससे राजस्व में सालाना 39,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बढ़ोतरी हुई। अब सरकार का लक्ष्य इस वित्त वर्ष में 2 लाख करोड़ से अधिक राजस्व जुटाना है। बता दें कि कोरोना वायरस के चलते मांग नहीं होने के कारण पिछले महीने ब्रेंट क्रूड की कीमत प्रति बैरल 18.10 डॉलर के निम्न स्तर पर पहुंच गई थी। यह 1999 के बाद से सबसे कम कीमत थी।

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