-विश्वनाथ कॉरिडोर के 70 फीसदी हिस्से में रहेगी ग्रीनरी, दिखेगा खूबसूरत नजारा
-2000 से ज्यादा लगाए जाएंगे पौधे, चढ़ावे का दूध और पानी होगा रिसाइकिल
देवों के देव महादेव की नगरी काशी में अब पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर की रूप रेखा तैयार हो गई है। बाबा के इस धाम को बीएचयू वीटी से भी सुंदर और हरा भरा बनाने का प्लान है। इसके तहत विश्वनाथ मंदिर परिसर से गंगा घाट तक प्रस्तावित बाबा धाम को जीरो काबर्न एरिया बनाया जाएगा। इसके लिए क्षेत्र में जहां करीब दो हजार पौधे लगाकर पूरे परिक्षेत्र में ग्रीनरी की जाएगी, वहीं यहां से निकलने वाले सॉलिड व लिक्विड वेस्ट का प्रबंधन खुद मंदिर प्रशासन करेगा। इसके साथ ही यहां फूल-माला आदि से अगरबत्ती, धूप बत्ती और सेंट बनाए जाएंगे। बाबा को चढ़ने वाले दूध और पानी को रिसाइकिल कर उसका इस्तेमाल पेड़-पौधों की सिचांई में किया जाएगा।
लगेंगे औषधि व आयुर्वेदिक पौधे
खास बात ये है कि यहां लगने वाले पौधे औषधीय व आयुर्वेदिक होंगे। इसके अलावा रुद्र वन में रुद्राक्ष के 350 से ज्यादा पौधे लगाए जाएंगे। बाबा दरबार परिसर से ललिता और मणिकर्णिका घाट तक बनने वाला कॉरिडोर वास्तविक रूप से धर्म नगरी का अहसास कराएगा तो यहां आनंद कानन और रुद्र वन की परिकल्पना साकार होगी। इस लिहाज से पांच लाख वर्ग फीट के कॉरिडोर एरिया में सिर्फ 30 फीसदी क्षेत्र में निर्माण होगा। कल्चरल सेंटर, वैदिक केंद्र, टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर, सिटी म्यूजियम, जप-तप भवन, भोगशाला, मोक्ष भवन और दर्शनार्थी सुविधा केंद्र अधिकतम दो मंजिला ही होंगे और ऊंचाई विश्वनाथ मंदिर के शिखर से ऊपर नहीं होगी। सुरक्षा एयरपोर्ट जैसी होगी।
मंदिर परिक्षेत्र में लगेगा इटीपी
मंदिर प्रशासन के मुताबिक ग्रीन बिल्डिंग की अवधारणा पर कॉरिडोर के सभी भवनों का निर्माण कराया जाएगा। यही नहीं यहां से निकलने वाले किसी भी तरह के वेस्ट को बाहर नहीं जाने दिया जाएगा। सभी को रिसाइकिल करने की व्यवस्था की जाएगी। दूध और पानी को शोधित करने के लिए परिक्षेत्र में ईटीपी लगाई जाएगी। इन सभी योजनाओं का खाका तैयार किया जा चुका है।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी
मंदिर में पानी की कमी को पूरी करने और बारिश के पानी को जुटाकर इस्तेमाल में लाने के लिए कॉरिडोर एरिये में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी डेवलप किया जाएगा। जिससे इस पानी का यूज मंदिर परिसर में अन्य कार्यो के लिए भी किया जाएगा। इसके साथ ही यहां सुरक्षा व्यवस्था को हाईटेक करते हुए कॉरिडोर निर्माण के बाद रेड जोन में अगरबत्ती व धूप जलाने पर भी रोक लग जाएगी। इसके साथ ही येलो और ग्रीन एरिया का विस्तार किया जाएगा। इन्हीं एरिया में श्रद्धालुओं को मंदिर की ओर से बनाए गए धूप, अगरबत्ती और दीया उपलब्ध कराया जाएगा।
70
फीसदी से ज्यादा क्षेत्र मे बिखेरी जाएगी हरियाली
02
हजार से ज्यादा लगेंगे छोटे-बड़े पौधे
350
से ज्यादा रुद्राक्ष के पौधे लगाए जाएंगे
2021
तक पूरा होगा प्रोजेक्ट वर्क
250
साल बाद हो रहा मंदिर का जीर्णोद्धार
ग्रीन बिल्डिंग की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए विश्वनाथ धाम में भवनों का निर्माण कराया जाएगा। पूरे परिक्षेत्र में दो हजार से ज्यादा पौधे लगाए जाएंगे।
विशाल सिंह, सीईओ-काशी विश्वनाथ मंदिर