- मोक्ष नगरी काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका और हरिश्चन्द्र घाट पर महंगी हुई अंतिम संस्कार की सामग्री

- कफन, रामनामी, साड़ी, लकड़ी, शव वाली सीढ़ी तक के रेट में हुई बढ़ोतरी

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VARANASI:

मोक्ष नगरी काशी यानि बनारस में अब अंतिम संस्कार का खर्च बढ़ चुका है। स्थानीय दुकानदारों ने अंतिम संस्कार से जुड़ी अधिकांश सामग्री का रेट जीएसटी लागू होने के साथ बढ़ा दिया है। उनका कहना है कि कुछ कपड़े के जीएसटी दायरे में आने के बाद कफन, साड़ी, शव को पहनाये जाने वाली चुनरी तथा रामनामी आदि का दाम बढ़ा है। जबकि लकड़ी और शव के लिए इस्तेमाल होने वाली सीढ़ी का दाम ट्रांसपोर्टेशन के कारण बढ़ा है। यही वजह है कि अंतिम संस्कार की ज्यादातर सामग्री में क्0 से ख्भ् परसेंट तक इजाफा हो गया है।

बड़ी संख्या में आते हैं शव

बनारस में मणिकर्णिका घाट स्थित श्मशान का महाश्मशान माना जाता है। ये भी मान्यता है कि यहां अंतिम संस्कार पाने वाले व्यक्ति को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है। वह म्ब् लाख योनियों में जन्म-मृत्यु की प्रक्रिया से मुक्त हो जाता है। यही वजह है कि बनारस के मणिकर्णिका घाट पर सबसे ज्यादा संख्या में अंतिम संस्कार को शव आते हैं। सिर्फ बनारस ही नहीं बल्कि आस-पास के जिलों को अलावा यहां बिहार, मध्य प्रदेश से भी शव अंतिम संस्कार के लिए आते हैं। इसके अलावा हरिश्चंद्र घाट भी अंतिम संस्कार का प्रमुख केंद्र है जिसके बारे में कहा जाता है कि सत्यावादी राजा हरिश्चंद्र यहां डोमराजा के यहां काम करते थे।

पहले नहीं देना होता था टैक्स

मणिकर्णिका घाट पर ही अंतिम संस्कार सामग्री की दुकान चलाने वाले कमलेश पाण्डेय ने बताया कि जीएसटी लागू होने का बड़ा असर कफन और टिकटी (शव बांधने वाली छोटी सीढ़ी) पर पड़ा है। पहले न ही कपड़े पर टैक्स था और न बांस पर लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद इन दोनों पर पांच परसेंट टैक्स लग गया। जिसका सीधा असर मारकीन, रामनामी, कफन और साड़ी पर तो पड़ा ही है साथ में डेडबॉडी रखने के लिए यूज होने वाली बांस की टिकटी भी महंगी हो गई है। इसके अलावा रस्सी, डिब्बा बंद घी का रेट भी बढ़ा है जिससे अंतिम संस्कार के खर्च में औसत क्भ् से ख्0 परसेंट का इजाफा हुआ है।

ट्रांसपोर्ट ने बढ़ाया रेट

अंतिम संस्कार की सामग्री में शामिल लकड़ी का रेट भी जीएसटी के कारण बढ़ा है। लकड़ी कारोबारी पिन्टू कुमार ने बताया कि ये सिर्फ इसलिए हुआ है क्योंकि ट्रांसपोर्टर्स ने माल ढुलाई रेट बढ़ा दिया है। पिन्टू ने बताया कि पहले क्ख् परसेंट टैक्स देना पड़ता था जो जीएसटी के बाद क्8 परसेंट टैक्स कर दिया गया है। जिसके कारण लकड़ी की ढुलाई के लिए ज्यादा रुपये वसूल रहे हैं। मजबूरन घाट पर लकड़ी का रेट बढ़ाकर बेचना पड़ रहा है।

ये है रेट रुपयों में

सामान पहले अब

कफन 80 /पीस क्00 /पीस

रामनामी क्00 /पीस क्क्भ् /पीस

साड़ी ख्00 /पीस ख्भ्0 /पीस

घी ब्ख्0 केजी ब्भ्0 केजी

लकड़ी 8फ्0 कुंतल 87भ् कुंतल

टिकटी क्फ्0 /पीस क्भ्0 /पीस

कभी नहीं महाश्मशान की आग

मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार का अपना एक अलग ही महत्व है। इस महाश्मशान के बारे में मान्यता है कि यहां शिव की पत्‍‌नी सती के कानों के कुंडल की मणि गिरी थी। जिसके कारण इसका नाम मणिकर्णिका पड़ा। भगवान शंकर को ये स्थान अतिप्रिय है। यही वजह है कि लोग अपने प्रियजनों की मृत्यु के बाद उनका दाहसंस्कार कर उनकी मुक्ति के लिए शव लेकर यहां आते हैं। यहां शव के लिए आग खरीदने की परम्परा है। जिस जगह से आग ली जाती है वह सदियों से जलती आ रही है। माना जाता है कि इस आग के बुझने के बाद महाप्रलय होगा। इस अखंड अग्नि से ही आग लेकर शव को अंतिम संस्कार किया जाता है।