JAMSHEDPUR: डिमना रोड स्थित मधुसूदन अपार्टमेंट के गार्ड सोनू वर्मा ने मौत को गले लगा लिया। अपार्टमेंट के रहने वालों ने पुलिस को सूचना दी कि गार्ड ने फांसी लगा ली है। पुलिस शव को उलीडीह थाना लाई तो सोनू के मोहल्ले वालों ने भाजपा नेता विकास सिंह के नेतृत्व में थाने का घेराव कर दिया। पुलिस ने किसी तरह शव को एमजीएम कॉलेज स्थित पोस्टमार्टम के शीतगृह में पहुंचा दिया। बस्तीवासी कार्रवाई की मांग कर रहे थे। बाद में पुलिस ने मामले में शिकायत दर्ज कर ली है। गार्ड के पिता रामसेवक वर्मा ने जर्मन सिक्योरिटी एजेंसी के मालिक अमित गिरी और मधुसूदन अपार्टमेंट में रहने वाले कुछ लोगों पर अपने बेटे को प्रताडि़त करने का आरोप लगाया है। रामसेवक ने पुलिस को बताया कि इसी प्रताड़ना से आजिज आकर उनके बेटे ने आत्महत्या की होगी।

परिजनों को हत्या का शक

गार्ड के पिता रामसेवक और उनके अन्य बस्तीवालों को शक है कि गार्ड सोनू वर्मा की हत्या की गई है। हत्या कर उनके शव को फांसी लगा कर लटका दिया गया है। परिजनों का कहना है कि सोनू को खिड़की से लटकाया गया था। इसलिए मामले की गहराई से जांच की जानी चाहिए। ताकि पता चल सके कि मामला हत्या का है या आत्महत्या का।

परिजनों को घटनास्थल जाने से रोका

सुबह अपार्टमेंट वालों ने गार्ड के पिता रामसेवक को फोन किया गया कि उनके बेटे की तबीयत खराब हो गई है, लेकिन पिता का आरोप है कि जब वो लोग अपार्टमेंट पहुंचे तो उन्हें घटनास्थल पर नहीं जाने दिया गया। इसी वजह से परिजनों का मामले में शक गहरा गया है।

घर का इकलौता था सोनू

रामसेवक वर्मा के दो बच्चों में सोनू वर्मा छोटा था। सोनू की बड़ी बहन सुधा देवी का विवाह हो गया है और वो ससुराल में रहती है। घर में सोनू अपने पिता और मां बिरंजी देवी के साथ रहता था। बताते हैं कि शनिवार की शाम को सात बजे वो घर से खाना खाकर ड्यूटी के लिए निकला था।

पीएफ व ईएसआइ की नहीं थी सुविधा

गार्ड के पिता का कहना है कि उनका बेटा जर्मन सिक्योरिटी एजेंसी के मार्फत मधुसूदन अपार्टमेंट में काम करता था। जर्मन एजेंसी की देखरेख करने वाला अमित गिरी सोनू को साढ़े छह हजार रुपये महीना देता था। उससे 12 घंटे की ड्यूटी कराई जाती थी। सोनू का पीएफ नहीं कटता था। ना ही उसे ईएसआइ की सुविधा दी गई थी।

अपार्टमेंट वाले भी कराते थे काम

गार्ड के पिता रामसेवक वर्मा ने बताया कि उनका बेटा सोनू बताता था कि अपार्टमेंट वाले भी उसके बेटे को प्रताडि़त करते थे। उससे पानी भराते थे। बाहर से सामान लाने को कहते थे। मना करने पर कहते थे कि ये सारा काम उन्हें करना होगा। नहीं करोगे तो यहां काम नहीं करने दिया जाएगा।