हर रिश्ते का अंत बुरा हो यह जरूरी नहीं

फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम जैसे दूसरे सोशल मीडिया प्लेफार्म के जरिए आज लोग तेजी से कनेक्ट हो रहे हैं। लोग कुछ दिनों की चैट और बात के बाद प्रेम संबंध और फिर शादी जैसे बंधन में भी बंध जाते हैं। यहां से जुड़ा हर रिश्ते का अंत बुरा हो यह जरूरी नहीं है लेकिन अधिकांश रिश्तों का सच यही है। हाल ही में इसका एक उदाहरण गुजरात हाई कोर्ट में देखने को मिला है। हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति पार्डीवाला ने इन मामलों को देखते ही एक बड़ी टिप्प्णी भी की है।

शादी के दो महीने बाद अनबन होने लगी

राजकोट की रहने वाली फैंसी शाह को 2011 में फेसबुक के जरिए नवसारी के रहने वाले इंजीनियरिंग स्टूडेंट जयदीप से प्यार हो गया था। 2015 परिवार की रजामंदी के बाद विवाह कर लिया। शादी के दो महीने बाद दोनों के बीच अनबन होने लगी। परिजनों के काफी समझाने के बाद भी यह रिश्ता वापस पर पटरी पर नहीं आ रहा था। फैंसी ने जयदीप उसके भाई पीयूष और सास-ससुर के खिलाफ घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न में एफआइआर दर्ज करवा दी।  

फेसबुक पर तय शादियों का टूटना निश्चित

ऐसे में इस मामले में न्यायमूर्ति पार्डीवाला ने दोनों की रजामंदी देखते हुए फैंसी और जयदीप को आपसी रजामंदी से अपनी शादी तोड़कर आगे बढ़ने का सुझाव दिया। उनका कहना था कि अभी पति-पत्नी दोनों युवा हैं। ऐसे में वे अपने बेहतर भविष्य के लिए दूसरे विकल्पों पर विचार कर सकते हैं। हालांकि इस मामले में उन्होंने यह भी कहा कि फेसबुक पर तय होने वाली शादियों का टूटना निश्चित है। यह शादी भी फेसबुक पर निर्धारित आधुनिक शादियों का एक हिस्सा थी।

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