गाय चरने आती थीं
गोधरा गुजरात के पंचमहल जिले में एक नगर पालिका है। यहीं पर पंचमहल जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। गोधरा को लेकर मान्याता है कि गो शब्द का अर्थ गाय है और धरा शब्द का अर्थ जमीन है। इसलिए इसे प्राचीन काल से गाय की भूमि कहा जाता है। स्थानीय लोककथाओं के मुताबिक यहां पर बड़ी संख्या में पावागढ़ की गायें चरती थी। इसलिए इसका नाम गोधरा पड़ा था।
जैन भिक्षुओं का स्कूल
975 ईस्वीं में यहां पर जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभनाथ का कांस्य मिला था, जिसमें गोहदरा कुला का उल्लेख है। गोहदरा कुला गोहदरा में जैन भिक्षुओं का स्कूल हुआ करता था। वहीं गोधरा के ऐतिहासिक नाम को लेकर कहा जाता है कि इसका नाम गोधराक था। यह नाम 1415 में परमार के राजा धुंधुल मंडलिक द्वारा रखा गया था।
गोधरा सपनों का शहर
इस शहर को लेकर यह भी कहा जाता है कि करीब पांच सौ साल पहले, सम्मानित संत श्रीमद वल्लभाचार्य ने अपने सुबह के धार्मिक भाषण में एक सपनों के शहर का जिक्र किया। श्रीमद वल्लभाचार्य ने लोगों को बताया कि यह शहर उनकी बेटी द्वारा के सपनों में दिखाई दिया है। इसमें एक मुस्लिम निवासी ने इस शहर को एक हिंदू परिवार को सौंप दिया।
गोधरा में धार्मिक स्थान
गोधरा में कई धार्मिक स्थान हैं। यहां पर वैष्णव संप्रदाय से जुड़े चार मंदिर हैं। इनमें भगवान गोकुळनाथ जी के लिए दो मुख्य सीटें हैं। भगवान गुसाई जी के लिए एक सीट और महाप्रभुजी के लिए एक सीट है। गोधरा भारत का एकमात्र शहर है जिसमें महाप्रभुजी, गुसाई जी और गोकुळनाथ जी तीनों की सीटें स्थित हैं। यहां का अंबेधाम मंदिर भी प्रसिद्ध है।
साबरमती एक्सप्रेस कांड
वहीं गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी 2002 में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगाई गई थी। इस दौरान इसमें 59 कार सेवकों की मौत हो गई थी। इस घटना को लेकर लोगों का गुस्सा दंगे में बदल गया था। दंगे में बड़ी संख्या में लोग मारे गए थ्ो। मामले में लगातार जांच चल रही थी और हाईकोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई।
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