-गजल गायिकी के बेताज बादशाह गुलाम अली बनारस पहुंचे संकट मोचन संगीत समारोह में शामिल होने

-कहा कि दोनों देश आपस में प्यार रखें तो उनकी ताकत में इजाफा होगा

VARANASI : नफरत फैलाने से दिलों की दूरियां बढ़ती हैं। संगीत ही ऐसा जरिया हैं जो दिलों से नफरत खत्म करके प्यार भरता है। इस वक्त भारत और पाकिस्तान की सियासत की रिश्तों में थोड़ी तल्खी है लेकिन सुरों की मिठास पहले जैसी ही है। यह कहना है गजल गायकी के बेताज बादशाह गुलाम अली का। छह दिवसीय संकटमोचन संगीत समारोह में सिरकत करने आए गुलाम अली का बुधवार को बनारस पहुंचे। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से पवित्र नगरी काशी में प्यार का संदेश देने आया हूं।

प्यार से बढ़ेगी ताकत

गजल के बादशाह ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों आपस में प्यार बढ़ाएं। ऐसा करने से दोनों मुल्क दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली और समृद्ध हो जाएंगे। उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि जब से वह पीएम बने हैं भारत में बदलाव नजर आ रहा है। बनारस भी पहले से काफी बदल चुका है। डेवलपमेंट अब नजर आ रहा है। यह शहर मोदी प्रेम का पैगाम लेकर आगे बढ़ रहा है।

नाजुक दिल वाले हैं बनारस वाले

सुरों के शहंशाह बनारस के मोहब्बत के कायल हैं। कहा कि दुनिया में अपनी पहचान रखने वाली यहां की सिल्क की साड़ी की तरह ही यहां के लोग सिल्की हैं। उनके दिल बेहद नाजुक हैं। वह जिंदगी को जीना जानते हैं। बातचीत में उन्होंने बताया कि दो बार पहले बनारस आ चुका हूं। बचपन में बनारस से होते मुगलसराय गया था। इसके बाद यहां आयोजित कल्चरल प्रोग्राम में शामिल होने का मौका मिला। बनारस के लोगों ने हर बार खूब प्यार दिया। उसका असर अरसे तक दिलो-दिमाग में मौजूद रहा। गुलाम अली ने कहा कि बड़े नसीब वाले हैं कि उन्होंने हनुमान दरबार में सुरों की हाजिरी लगाने का मौका मिला।

नहीं हुआ है संगीत का बंटवारा

संगीत की महफिल में शामिल होने आए फेमस सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान अपने बेटों अमान और अयान के बनारस आए हैं। उन्होंने कहा कि संगीत की सेवा करने का जितना मौका मिले वह कम है। संगीत साधना के लिए एक बार फिर बनारस आने का सौभाग्य मिला है। उन्होंने कहा कि संगीत का मजहब नहीं होता है। जमीनों का बंटवारा भले हो लेकिन सुरों का बंटवारा कभी नहीं हो सकता है। पूरी दुनिया में सात ही सुर होते हैं।

हर कलाकार है भक्त

दुनिया को अपनी बांसुरी के धुनों पर मंत्र-मुग्ध कर देने वाले बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया ने भी संगीत समारोह में अपनी तान छेड़ी। कार्यक्रम से पहले मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कलाकार भगवान का भक्त होता है। यहां हर कोई श्रद्धा भाव से आता है। संगीत का समारोह एक पर्व होता है। कलाकार इसमें अपनी पूजा अर्पित करने आता है। उन्होंने कहा कि संगीत की साधना ही कलाकार को बड़ा बनाती है। जिसकी जैसी साधना उसका उतना कद होता है।

हर किसी को हो संगीत की जानकारी

संकटमोचन संगीत में शामिल होने आए कथक सम्राट पं। बिरजू ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हर किसी की संगीत की जानकारी होनी चाहिए। इसकी शुरुआत कम उम्र से ही होनी चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि सरकारी स्कूलों में इंटर तक संगीत की शिक्षा की व्यवस्था की जाए। उन्होंने बताया कि अपने विचार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने रखा है। इसके साथ ही अवार्ड कमेटियों में संगीत विशेषज्ञों को रखे जाने की भी मांग किया है। सरकारी स्तर पर कलाकारों को विदेश भेजने में भी नौकरशाहों की चलती है। इसमें चयन का अधिकार संगीतज्ञों को मिले तभी न्याय होगा। कहा कि काशी संगीतकारों और संगीत घरानों की नगरी है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यहां के सांसद हैं। वह संगीत के लिए जरूर कुछ करेंगे।