इमरजेंसी में मौत पर भड़के परिजन
बीआरडी मेडिकल कॉलेज ट्यूजडे को युद्ध के मैदान में बदल गया। इमरजेंसी में इलाज के लिए एक पेशेंट की ऑक्सीजन के अभाव में मौत पर परिजन भड़क गए। लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा कर रहे मृतक के परिजनों की नोकझोंक जूनियर डॉक्टर्स से शुरू हो गई। दोनों के बीच तकरार इस हद तक पहुंच गई कि जूनियर डॉक्टर आपे से बाहर हो गए।

वार्ड में तीमारदारों को पीटा
आरोप है कि डॉक्टरों ने मृतक के परिजनों को वार्ड में ही पीटना शुरू कर दिया। इस दौरान घटना की कवरेज के लिए वहां मौजूद मीडियाकर्मी जूनियर डॉक्टर्स के निशाने पर आ गए। पेशेंट की जान बचाने में अपनी नाकामी और तीमारदारों की खुलेआम पिटाई को मीडिया के कैमरे में कैद होता देख जूनियर डॉक्टरों का गुस्सा और भड़क गया। जूनियर डॉक्टरों ने पूरी तरह आपा खो दिया और हाथों में हॉकी स्टिक, बेसबॉल, बैट, स्टंप लेकर मेडिकल कॉलेज परिसर से लेकर बाहर सड़क तक मीडियाकर्मियों को दौड़कर पीटना शुरू कर दिया। आरोप है कि जूनियर डॉक्टरों ने चार मीडियाकर्मियों के कैमरे लूट लिए।

चार जूनियर डॉक्टरों पर एफआईआर
उत्पात मचाने वाले जूनियर डॉक्टरों ने लगभग दो दर्जन गाड़ियों के शीशे चकनाचूर कर दिए। हंगामे की सूचना पर पहुंचे पुलिस बल और पीएसी ने लाठियां भांजकर किसी तरह सिचुएशन को कंट्रोल किया। इस मामले में पुलिस ने चार जूनियर डॉक्टर्स पर नेम्ड एफआईआर जबकि दो दर्जन अज्ञात जेआर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है। जूनियर डॉक्टरों के हमले में घायल मीडियाकर्मियों को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है। उधर, घटना के बाद मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गईं.जिन्हें बचानी थी जान, वे जान लेने पर उतर गए
मेडिकल कॉलेज में मंगलवार को जूनियर डॉक्टरों ने जो रूप दिखाया उससे मरीज, तीमारदार, पुलिस-प्रशासन सभी हैरान थे। गले में स्टेथेस्कोप और सफेद कोट पहने जूनियर डॉक्टरों के हाथ में हॉकी, डंडे थे। सैकड़ों की संख्या में जूनियर डॉक्टरों ने कॉलेज कैंपस और बाहर सड़क पर मीडियाकर्मियों, तीमारदारों के साथ ही सड़क से गुजर रहे लोगों पर हमला बोलना शुरू कर दिया। जो जहां था, वहां से भागकर किसी तरह अपनी जान बचाई।

चार मीडियाकर्मी बुरी तरह घायल
इमरजेंसी में लापरवाही के चलते मरीज की मौत की कवरेज के लिए श्रीन्यूज के रिपोर्टर आलोक अपने कैमरा मैन सिराज के साथ, समाचार प्लस के हरेन्द्र दुबे, रिपोर्टर दिलीप सिंह, वेद प्रकाश, दैनिक जागरण के फोटो जर्नलिस्ट संगम दुबे पहुंचे थे। मीडियाकर्मियों का कहना है कि उन्हें देखते ही जूनियर डॉक्टरों ने गालीगलौज शुरू कर दी और दौड़ा लिया। जूनियर डॉक्टरों के हमले में फोटोग्र्राफर अभिनव चतुर्वेदी, शैलेन्द्र शुक्ला, वेद प्रकाश, सिराज बुरी तरह घायल हो गए।

पुलिस-प्रशासन मौके पर
हंगामे की सूचना पाकर एसपी सिटी परेश पांडेय, सीओ गोरखनाथ समेत पुलिस कई थानों का फोर्स भी मौके पर पहुंच गया। पुलिस प्रशासन से बेखौफ हमलावर जूनियर डॉक्टर्स ने मीडियाकर्मियों को मेडिकल कालेज रोड पर दौड़ाकर पीटा। जूनियर डॉक्टर्स के खौफ से बचने के लिए मीडियाकर्मियों ने गली-कूचों में छिपकर जान बचाई। रोड पर बेहोश पड़े तीन फोटो जर्नलिस्ट्स को वहां से सादी वर्दी में गुजर रहे कुशीनगर जनपद के सब इंस्पेक्टर राजीव रंजन ने अपनी निजी कार से इलाज के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचाया। आरोप है कि जूनियर डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज रोड पर खड़ी दो दर्जन से ज्यादा गाड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया और आगजनी भी की कोशिश की।

विवाद की जड़
पडरौना के दिलीप कसौधन और उनका बेटा हिमांशु सुकरौली के पास सड़क हादसे में घायल होकर मंडे की देर रात मेडिकल कॉलेज इमरजेंसी पहुंचे थे। दिलीप के परिजनों का आरोप था कि ऑक्सीजन के अभाव में मंगलवार सुबह दिलीप की मौत हो गई। परिजनों ने इसी पर हंगामा शुरू किया था जिस पर जूनियर डॉक्टरों ने उनकी जमकर पिटाई की। मृतक के परिजनों की पिटाई का यह दृश्य कुछ मीडियाकर्मियों ने अपने कैमरे में कैद कर लिया था।

जूनियर डॉक्टर्स के खिलाफ केस दर्ज
प्रेस क्लब अध्यक्ष एसपी सिंह की तहरीर पर गुलरिहा पुलिस ने जूनियर डॉक्टर प्रशांत, गयासुउद्दीन, आरके गौतम और डॉ। गोयल समेत दो दर्जन जेआर के खिलाफ आईपीसी की धारा 395, 397, 323, 308, 427, 352, 504 आईपीसी के साथ 3 (1) एससीएसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। इस मामले की जांच क्षेत्राधिकारी गोरखपुर को सौंपी गई है। सिटी पुलिस ने भी हंगामा मचाने वाले जूनियर डॉक्टर्स के खिलाफ हंगामा, बवाल की रिपोर्ट दर्ज की है।

डीएम ने दी मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश
मेडिकल कॉलेज कैंपस में जूनियर डॉक्टर्स के तांडव और हंगामे के चलते 1700 मरीजों को हुई परेशानी के मामले में डीएम रवि कुमार एनजी ने मामले की तत्काल मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने एडीएम सिटी को पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। डीएम ने कहा जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रïवाई की जाएगी।

पहले उत्पात, फिर काम रोका
पहले तो मेडिकल कॉलेज के कैंपस में डॉक्टरों ने उत्पात किया, फिर सीनाजोरी करते हुए सभी डॉक्टरों ने काम ठप कर दिया। न तो ओपीडी चली और ना ही पैथालाजिकल जांच। आलम यह था कि अल्ट्रासाउंड के लिए खड़े मरीजों का अल्ट्रासाउंड तक नहीं किया गया। उन्हें वापस लौटा दिया गया। हास्पिटल वार्ड में एडमिट मरीजों का इलाज वार्ड व्बाय और नर्सेज के भरोसे चला।

मरीजों को उल्टे पांव लौटना पड़ा
ट्यूजडे को मेडिकल कॉलेज कैंपस में हुए हंगामे के बाद से ही ओपीडी के लिए आए मरीजों का इलाज बंद कर दिया गया। मरीजों को लौटा दिया गया। कई ऐसे मरीज थे, जिन्हें डाक्टर ने समय और डेट दे रखी थी। लेकिन बवाल के चलते डाक्टरों ने एकजुट होकर मरीजों का इलाज करने ही मना कर दिया। गाइनोकोलॉजी डिपार्टमेंट में आई प्रेंगनेट लेडी तक को भी लौटा दिया गया।

नहीं हुई पैथॉलोजिकल जांच
सेंट्रल पैथालॉजी में ब्लड और यूरीन टेस्ट के लिए करीब 150-200  मरीज प्रत्येक दिन आते हैं। लेकिन जूनियर डाक्टरों द्वारा मचाए गए उत्पात के बाद से ज्यादातर मरीजों के पैथालाजिकल जांच ही नहीं हुए।

तीमारदारों की पिटाई
बीआरडी मेडिकल कालेज के इंसेफेलाइटिस वार्ड में एडमिट मरीजों के तीमारदारों को पहले तो जूनियर डाक्टरों ने रोका। बाद में तीमारदारों की जमकर पिटाई भी की। तीमारदार डाक्टरों से अपने मरीज से मिलने के लिए डाक्टरों से गुहार लगाते रहे हैं, लेकिन बेरहम डाक्टरों ने उनकी एक भी नहीं सुनी। मारपीट के दौरान महाराजगंज के बरवा कला के रहने वाले ओंमकार पाण्डेय की जमकर पिटाई की। उनका सिर्फ इतना कसूर था कि वह अपने गै्रंड सन अमन से मिलने इंसेफेलाइटिस वार्ड में जाना चाहते थे। लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया।

इमरजेंसी भी रही ठप
24 घंटे खुले रहने वाले इमरजेंसी को भी हंगामे के बाद बंद कर दिया गया। दोपहर बाद आए सीरियस केस के मरीजों को एडमिट तक नहीं किया गया। इसके चलते सीरियस केस के मरीजों को वापस लौटना पड़ा। खबर लिखे जाने तक इमरजेंसी नहीं खुली थी।